नई दिल्ली। “हिंदुस्तान अपनी विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यहां डिजिटल यूजर्स की सबसे बड़ी आबादी है। भाषाओं और संस्कृतियों की अपनी समृद्ध विरासत और विविधताओं के बीच भारतीय फैक्ट चेकर्स की भूमिका और जिम्मेदारी और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।” यह बात जागरण न्यू मीडिया के सीईओ भरत गुप्ता ने सियोल में आयोजित दुनियाभर के फैक्ट चेकर्स की सबसे बड़ी समिट ‘ग्लोबल फैक्ट 10’ में कही। श्री गुप्ता ने “फैक्ट चेकिंग में राज्य का हस्तक्षेप: भारत के अनुभव” विषय पर आयोजित पैनल डिस्कशन में अपने विचारों को रखा।
फैक्ट चेकर्स का सबसे बड़ा जमावड़ा जून के अंतिम सप्ताह में दक्षिण कोरिया के अत्याधुनिक शहर सियोल में हुआ। ‘ग्लोबल फैक्ट 10’ नाम के इस महाआयोजन में 80 देशों के करीब 300 पत्रकार जुटे। दक्षिण कोरिया की एसएनयू फैक्ट चेक संस्थान की साझेदारी के साथ में इंटरनेशनल फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क ने यह आयोजन किया था। दुनिया के सबसे बड़े और सबसे प्रभावशाली फैक्ट चेकिंग समिट में दैनिक जागरण की फैक्ट चेकिंग यूनिट ‘विश्वास न्यूज’ की ओर से जागरण न्यू मीडिया के सीईओ भरत गुप्ता, एडिटर इन चीफ राजेश उपाध्याय, सीआरओ गौरव अरोड़ा के साथ एग्जीक्यूटिव एडिटर जतिन गांधी, एसोसिएट एडिटर आशीष महर्षि, एसोसिएट एडिटर उर्वशी कपूर और डिप्टी एडिटर देविका मेहता ने भी शिरकत की।
समिट में प्रसिद्ध पत्रकार क्रेग सिल्वरमैन ने एक सेशन में फैक्ट चेकिंग में इस्तेमाल किए जाने वाले ऑनलाइन टूल्स के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा, दुनिया में ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से तैयार की जा रही तस्वीरों और वीडियो का इस्तेमाल दुष्प्रचार और झूठ फैलाने के लिए किया जा रहा है। ऐसे वीडियो और तस्वीरों को एआई के किन टूल्स की मदद से पहचाना जा सकता है।
समिट में इस बात पर खास जोर दिया गया कि कैसे एकजुटता के साथ फेक और भ्रामक सूचनाओं से लड़ा जा सकता है। इसके लिए फैक्ट चेकिंग के अलावा मीडिया साक्षरता भी एक बड़ा विकल्प बनकर सामने उभरा है। 3 दिन के इस आयोजन में फैक्ट चेकिंग वर्ल्ड के पिछले 10 साल के अनुभव और उनकी सीख पर प्रकाश डालने के साथ ही दुनिया के अलग-अलग कोनों में फैक्ट चेकर्स को किस प्रकार की कठिनाइयों और चुनौतियां का सामना करना पड़ रहा है, उस पर भी विस्तार से चर्चा हुई। इस दौरान यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग के बीच फर्जी और भ्रामक सूचनाओं पर भी विस्तार से बात हुई। समिट में यूक्रेन से आए फैक्ट चेकर्स ने बताया कि रूस की ट्रोल फैक्ट्री काफी सक्रिय है। इसका फायदा रूस की सरकार को मिलता है।
तीन दिन तक चले इस समिट के पहले दिन 15 सेशन हुए। इसमें अकादमिक और फैक्ट चेकर्स, अपनी टीम को ऑनलाइन हैरेसमेंट से कैसे बचाएं, बिल्डिंग ट्रस्ट, डिबंकिंग इलेक्शन जैसे विषय पर चर्चा हुई। वहीं, दूसरे दिन की शुरुआत फिनलैंड की पत्रकार जेसिका एरो के साथ चर्चा से हुई। इस चर्चा में उन्होंने रूस की ट्रोल आर्मी पर लिखी अपनी किताब पर बात की। इसके अलावा उन्होंने अपने अनुभव शेयर करते हुए यह भी बताया कि उन्हें किस प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ा। दूसरे दिन भी 15 से ज्यादा सेशन और पैनल डिस्कशन हुआ। ब्राजील, चीन, यूक्रेन, रूस, यूरोपियन देशों के संदर्भ में भी बातचीत हुई। समिट के अंतिम दिन 22 सेशन और पैनल डिस्कशन हुए। इसमें क्षेत्रीय फैक्ट चेकिंग का उदय और भूमिका, फैक्ट चेकिंग के न्यू टूल्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस , दक्षिण कोरिया के फैक्ट चेकिंग के अनुभव पर विस्तार से बातचीत हुई।
ग्लोबल फैक्ट की सबसे पहले शुरुआत 2014 में लंदन में हुई थी। कुछ लोगों ने मिलकर इस अंतरराष्ट्रीय समिट की नींव डाली थी। एक अनुमान के अनुसार, अब तक चार हजार के करीब लोग इस समिट में हिस्सा ले चुके हैं। लंदन के अलावा, ब्यूनस आयर्स, मैड्रिड, रोम, केप टाउन और ओस्लो में भी यह आयोजन हो चुका है। कोविड के दौरान ऑनलाइन यह आयोजन हुआ था।
सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी खबर पर संदेह है जिसका असर आप, समाज और देश पर हो सकता है तो हमें बताएं। हमें यहां जानकारी भेज सकते हैं। हमें contact@vishvasnews.com पर ईमेल कर सकते हैं। इसके साथ ही वॅाट्सऐप (नंबर – 9205270923) के माध्यम से भी सूचना दे सकते हैं।