Fact Check : उदयपुर में डॉग के बच्‍चों को बचाने का पुराना वीडियो तुर्किये के भूकंप के नाम पर वायरल

दावा भ्रामक साबित हुआ। दरअसल वीडियो का भूकंप से कोई संबंध नहीं है। यह राजस्‍थान के उदयपुर का पुराना वीडियो है।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। तुर्किये और सीरिया में आए प्रलयंकारी भूकंप के बाद से ही सोशल मीडिया में कई प्रकार के फर्जी वीडियो और तस्‍वीरों को गलत दावों के साथ वायरल किया जा रहा है। अब एक वीडियो को वायरल करते हुए दावा किया जा रहा है कि एक डॉग के बच्‍चे भूकंप के कारण दफन हो गए थे। किसी शख्‍स ने उसे बचाया। वीडियो में एक शख्‍स को डॉग के बच्‍चों को बचाते हुए देखा जा सकता है। विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। दावा भ्रामक साबित हुआ। दरअसल वीडियो का भूकंप से कोई संबंध नहीं है। यह राजस्‍थान के उदयपुर का पुराना वीडियो है।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर खैर मोहम्‍मद ने 8 फरवरी को वीडियो को पोस्‍ट करते हुए अंग्रेजी में दावा किया, ‘The dog’s child was buried under the ruins after earthquake.”

पोस्‍ट के दावे को सच मानकर दूसरे यूजर्स भी इसे वायरल कर रहे हैं। पोस्‍ट का आर्काइव वर्जन यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल वीडियो की सच्‍चाई पता लगाने के लिए सबसे पहले ऑनलाइन टूल्‍स की मदद ली। इसके लिए इनविड टूल में वायरल वीडियो को अपलोड करके कई ग्रैब्‍स निकाले गए। फिर इन्‍हें गूगल लेंस टूल की मदद से खोजा गया। सर्च के दौरान असली वीडियो एनिमल एड अनलिम‍िटेड नाम के एक फेसबुक पेज पर मिला। ओरिजिनल वीडियो को 28 अगस्‍त 2019 को अपलोड करते हुए बताया गया कि उन्‍हें एक कॉल आया कि एक डॉगी लगातार रो रही है। जिसके बाद संस्‍था की ओर से एक शख्‍स को भेजा गया। पता चला कि एक मकान के ढह जाने के कारण इस डॉगी के बच्‍चे मलबे में दब गए थे। बड़ी मुश्किल से इन बच्‍चों को बचाया जा सका।

यही वीडियो हमें एनिमल एड अनलिमिटेड के यूट्यूब पेज पर मिला। इसे तीन साल पहले अपलोड किया गया था।

विश्‍वास न्‍यूज ने जांच को आगे बढ़ाते हुए दैनिक जागरण, उदयपुर के संवाददाता सुभाष शर्मा से संपर्क किया। उनके साथ वायरल वीडियो को शेयर किया। उन्‍होंने संस्‍था से बात करके जानकारी दी कि वायरल वीडियो करीब तीन साल पुराना है। उस वक्‍त भी यह वीडियो काफी वायरल हुआ था। यह उदयपुर का वीडियो है।

पड़ताल के अंत में फर्जी पोस्‍ट करने वाले यूजर की जांच की गई। फेसबुक यूजर खैर मोहम्‍मद की सोशल स्‍कैनिंग में पता चला कि यूजर पाकिस्‍तान का रहने वाला है। यह अकाउंट अक्‍टूबर 2015 में बनाया गया था।

निष्‍कर्ष : विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल वीडियो के साथ किया गया दावा फर्जी साबित हुआ। राजस्‍थान के उदयपुर में एक डॉगी के बच्‍चों को बचाने का वीडियो अब तुर्किये में भूकंप के नाम पर वायरल किया जा रहा है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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