Fact Check: रियाद फैशन वीक में इस्लाम से पहले की मूर्तियों के प्रदर्शन की तस्वीर फर्जी है

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल फोटो एडिटेड है। रियाद फैशन वीक में इन मूर्तियों को प्रदर्शित नहीं किया गया। रैंप वॉक की असली तस्वीर में इन मूर्तियों को अलग से एडिट कर जोड़ दिया गया है। असली फोटो में कोई मूर्ति नहीं है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें कुछ मॉडल्स रैंप वॉक करती नजर आ रही हैं। फोटो में ऊपर कुछ मूर्तियां भी लटकी हुई देखी जा सकती हैं। तस्वीर को सऊदी अरब सरकार पर निशाना साधते हुए शेयर किया जा रहा है और यूजर्स दावा कर रहे हैं कि रियाद में हुए एक फैशन शो के दौरान इस्लाम से पहले अरब में पूजी जाने वाली मूर्तियों को प्रदर्शित किया गया है। तस्वीर को असली बताकर अलग-अलग भाषाओं में फैलाया जा रहा है।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल फोटो एडिटेड है। रियाद फैशन वीक में इन मूर्तियों को प्रदर्शित नहीं किया गया। रैंप वॉक की असली तस्वीर में इन मूर्तियों को अलग से एडिट कर जोड़ दिया गया है। असली फोटो में कोई मूर्ति नहीं है।

वायरल पोस्ट में क्या है?

एक फेसबुक यूजर ने वायरल पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा, ”एक बार मूर्तियों को अल्लाह के पैगंबर हजरत इब्राहिम ने तोड़ा था। आज सऊदी अरब में उन्हें फिर से सजाया गया। अपमान की चरम सीमा पर सऊदी कॉन्सर्ट। शापित मनात की मूर्तियां रखी गईं।”

पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखें।

पड़ताल

अरब न्यूज की 19 अक्टूबर की खबर के मुताबिक, रियाद फैशन वीक के दूसरे दिन सऊदी फैशन का शानदार प्रदर्शन हुआ, जिसमें मशहूर डिजाइनरों में वाड अलोकैली, फातिमा अब्दुलकादर, खावला अलैबन, अश्वाक अल-मर्शद, एटलियर हेकायत और याह्या अलबिशरी शामिल थे।

वायरल फोटो से जुड़ी अपनी पड़ताल शुरू करने के लिए हमने सबसे पहले तस्वीर को गूगल लेंस पर सर्च किया। सर्च करने पर हमें यह फोटो 24 अक्टूबर 2024 को सऊदी अरब के क्लोदिंग ब्रांड ‘Ashwaq Almarshad’ के इंस्टाग्राम हैंडल पर अपलोड की हुई मिली। यहां इस तस्वीर को बेहतर क्वालिटी में देखा जा सकता है, वहीं इस फोटो में मूर्तियां नजर नहीं आईं। फोटो के साथ दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘यह रियाद फैशन वीक की तस्वीर है।’

इसके आधार पर हमने अपनी जांच आगे बढ़ाई और हमें वायरल तस्वीर अश्वाक अल-मर्शद की वेबसाइट पर भी अपलोड हुई मिली, यहां भी इस तस्वीर में मूर्ति नहीं हैं।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हम रियाद फैशन वीक की वेबसाइट पर पहुंचे। वेबसाइट के फ्रंट पेज पर अपलोड किए गए वीडियो में हमें वायरल तस्वीर से मिलती- जुलती एक फोटो मिली। हालांकि, इस तस्वीर में भी मूर्तियां नहीं हैं।

रियाद फैशन वीक के यूट्यूब चैनल पर हमें इस शो के कई वीडियो अपलोड हुए मिले, किसी भी वीडियो में हमें वायरल तस्वीर वाली मूर्तियां देखने को नहीं मिलीं। इससे पता चलता है कि जो फोटो वायरल हो रही है उसे एडिट करके बनाया गया है।

एक अन्य यूट्यूब चैनल पर हमें इसी फैशन वीक के मौके का वीडियो अपलोड किया हुआ मिला। हालांकि, इसमें कहीं भी मूर्ति  नजर नहीं आ रही है ।

पड़ताल को जारी रखते हुए हमने इन मूर्तियों के बारे में सर्च किया। तस्वीर में चार मूर्तियां हैं। सबसे पहले हमने गूगल लेंस के जरिए एक साथ दिख रही दो मूर्तियों को सर्च किया। सर्च में हमें यह तस्वीर ‘हू वाज़ वार्शिप्ड इन अबू टेम्पल’ नाम की किताब में छपी मिली। यहां तस्वीर के साथ दी गई जानकारी के मुताबिक, यह इराक के प्राचीन शहर तेल अस्मार के एक मंदिर के अंदर की तस्वीर है।

हमें यही तस्वीर स्म्रिथ हिस्ट्री नाम की वेबसाइट पर भी अपलोड हुई मिली। यहां दी गई जानकारी के अनुसार, यह इराक में प्रारंभिक राजवंश काल, 2900-2350 ईसा पूर्व की के तेल अस्मार के एक मंदिर तस्वीर है।

वायरल तस्वीर में इस्तेमाल किए गए दूसरी मूर्ति की तस्वीर को गूगल लेंस पर सर्च करने पर हमें यह तस्वीर menil.org नाम की वेबसाइट पर मिली। यहां तस्वीर के साथ दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘यह प्रार्थना मुद्रा की एक प्राचीन मूर्ति है, जो अमेरिकी शहर ह्यूस्टन के एक संग्रहालय में द मेन्स कलेक्शन के नाम से मौजूद है।

गूगल लेंस पर तीसरी मूर्ति की तस्वीर खोजने पर हमें शटरस्टॉक की वेबसाइट पर यह तस्वीर मिली। यहां दी गई जानकारी के अनुसार, ये मोआई मूर्तियां हैं, जो दक्षिण अमेरिका में हैं।

मोआई संस्कृति के बारे में जानने के लिए यहां पढ़ें।

वायरल पोस्ट की पुष्टि के लिए हमने सऊदी अरब के पत्रकार सऊद हाफ़िज़ से संपर्क किया और उनके साथ वायरल पोस्ट साझा की। उन्होंने हमें पुष्टि की कि फोटो को एडिट किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि रियाद फैशन वीक में ऐसी कोई मूर्ति नहीं थी।

अब बारी थी फर्जी पोस्ट शेयर करने वाले फेसबुक यूजर की सोशल स्कैनिंग करने की। हमने पाया कि यूजर पाकिस्तान का है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल फोटो एडिटेड है। रियाद फैशन वीक में इन मूर्तियों को प्रदर्शित नहीं किया गया। रैंप वॉक की असली तस्वीर में इन मूर्तियों को अलग से एडिट कर जोड़ दिया गया है। असली फोटो में कोई मूर्ति नहीं है।

False
Symbols that define nature of fake news
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