विश्वास टीम की पड़ताल में पता चला कि नजीब के नाम पर वायरल तस्वीर फर्जी है। ओरिजनल तस्वीर रायटर्स की 2015 की है। जबकि नजीब 2016 से गायब है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया में एक बार फिर से जेएनयू से लापता छात्र नजीब को लेकर झूठ फैलाया जा रहा है। एक फर्जी तस्वीर के जरिए दावा किया जा रहा है कि नजीब ने ISIS ज्वाइन कर लिया है। विश्वास न्यूज की जांच में पता चला कि वायरल पोस्ट फर्जी है। नजीब को बदनाम करने के लिए जानबूझ झूठ फैलाया जा रहा है। विश्वास न्यूज ने पहले भी इस तस्वीर की पड़ताल की थी।
फेसबुक यूजर संदीप ने 4 मार्च को एक तस्वीर को अपलोड करते हुए लिखा : ”याद है नजीब?? 15 अक्टूबर 2016 को JNU से लापता नजीब अहमद किसे याद नही। उसकी माँ ने कितना हंगामा किया था। गुमशुदगी के लिए ABVP ,भारत सरकार,दिल्ली पुलिस और सीधे प्रधानमंत्री मोदी को जिम्मेदार ठहराया गया। केजरीवाल ने नजीब के समर्थन में धरना दिया। कैंडल मार्च निकाला जिसमे राहुल गांधी शामिल हुए।पूरा JNU ओर वामपंथी संगठन सड़कों पर उतर आए थे। और मामला CBI को सौंपना पड़ा। लेकिन अब चोंकाने वाली तस्वीर आयी है। वही नजीब अहमद अब ISIS का आंतकवादी बन चुका है।”
विश्वास न्यूज की पड़ताल में पता चला कि जिस तस्वीर को नजीब की बताकर वायरल किया गया, वह ISIS के आतंकी हैं। ओरिजनल तस्वीर रायटर्स की है। इसे रायटर्स के फोटो जर्नलिस्ट थायर अल सुदानी ने 7 मार्च 2015 को इराक के तल कसाइबा में क्लिक की थी। तस्वीर के कैप्शन के अनुसार, फोटो में दिख रहे लोग ISIS के शिया समुदाय के आतंकी हैं। इस तस्वीर को रायटर्स ने 9 मार्च 2015 को रात नौ बजे अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया था।
इसके बाद हमने वायरल तस्वीर में दिख रहे लड़ाकों की शक्ल को नजीब की तस्वीर से मिलाया। वायरल फोटो में दिख रहे किसी भी लड़ाके की तस्वीर नजीब से नहीं मिली।
नजीब की मां फातिमा नफीस ने विश्वास न्यूज को बताया कि एक साजिश के तहत फर्जी तस्वीरों को उनके बेटे के नाम पर वायरल किया जा रहा है। आजतक मेरे बेटे का कुछ पता नहीं लग पाया। नजीब 15 अक्टूबर 2016 से गायब है।
अंत में हमने संदीप के फेसबुक अकाउंट की सोशल स्कैनिंग की। हमें पता चला कि यूजर दिल्ली का रहने वाला है। इसके अकाउंट पर हमें एक खास पार्टी के खिलाफ ज्यादा पोस्ट मिलीं।
निष्कर्ष: विश्वास टीम की पड़ताल में पता चला कि नजीब के नाम पर वायरल तस्वीर फर्जी है। ओरिजनल तस्वीर रायटर्स की 2015 की है। जबकि नजीब 2016 से गायब है।
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