विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल हो रही तस्वीर साल 1999 की है और इस तस्वीर के साथ जो कहानी वायरल की जा रही है उसका खंडन तस्वीर को खींचने वाले फोटोग्राफर ने भी किया है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक बुजुर्ग की फोटो वायरल हो रही है, जिसमें वह एक टूटी इमारत के सामने हाथ में रोटी लिए नजर आ रहे हैं। तस्वीर को शेयर करते हुए यूजर्स इसे तुर्किये में हाल ही में आए भूकंप का बताकर शेयर कर रहे हैं। तस्वीर के साथ यह दावा किया जा रहा है कि जिस इमारत के आगे यह बुजुर्ग शख्स खड़े हैं यह उन्हीं की थी और कुछ ही पल में सब बिखर गया।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल हो रही तस्वीर साल 1999 की है और इस तस्वीर के साथ जो कहानी वायरल की जा रही है उसका खंडन तस्वीर को खींचने वाले फोटोग्राफर ने भी किया है।
फेसबुक यूजर ने वायरल पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा, ‘तुर्की का ये आदमी भूकंप से पहले तीन बिल्डिंगों का मालिक था। फिर सिर्फ़ 40/ सेकंड के बाद इस हालत में आ गया की मांगी हुवी तीन रोटियां हाथों मैं उठा कर फूट फूट कर रोने लगा। ये वक्त का पहिया है जनाब इसलिए अपने कर्मो पर ध्यान दिजीये….
पोस्ट का आर्काइव वर्जन यहां देखें
पड़ताल शुरू करने के लिए हमने सबसे पहले गूगल लेंस से सर्च किया। सर्च करने पर हमें यह तस्वीर तुर्की नाउ नाम की न्यूज वेबसाइट पर दिसंबर 2020 को अपलोड हुई मिली।
और सर्च करने पर हमें यह तस्वीर AA.com.tr वेबसाइट पर भी मिली। यहां तस्वीर के साथ कैप्शन के मुताबिक, ’12 नवंबर 1999 को आए भूकंप को 15 साल हो गए हैं। भूकंप, जो 30 सेकंड तक चला, जिसने किंसले को नष्ट कर दिया और बोलो के एक हिस्से में जानमाल की हानि हुई। तस्वीर लेने वाले फोटोग्राफर का नाम अब्दुल रहमान अंताकिली लिखा हुआ नजर आया।
सर्च जारी रखने पर हमें अब्दुल रहमान अंताकिली का इंस्टाग्राम हैंडल मिला। यहां हमने पाया कि यह तस्वीर 12 नवंबर 2014 को अपलोड की गई थी। तस्वीर के साथ कैप्शन के मुताबिक, ’15 साल पहले ये तस्वीर तुर्किये के duzce में खींची गई थी।’
फोटो की पुष्टि के लिए हमने फोटो खींचने वाले फोटोग्राफर अब्दुल रहमान से संपर्क किया और उसने हमें बताया कि यह फोटो उसने 12 नवंबर, 1999 को तुर्किये में आए भूकंप के बाद ली थी। बुजुर्ग व्यक्ति का नाम एस्रिफ केंगिज था। तस्वीर में नजर आ रही वह इमारत नहीं थी, जिसमें वह रहता था। दाहिनी ओर की इमारत में कई लोग मारे गए थे, जिसका एक छोटा-सा हिस्सा ही दिखाई दे रहा है। यह जानकारी सुनकर बूढ़ा उनके लिए रो रहा था। बूढ़ा आदमी अपनी गोद में रोटी लिए हुए हैं, जिसे उसने क्षेत्र में भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए आए सहायता संगठनों से ली थी।”
भ्रामक पोस्ट को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर की सोशल स्कैनिंग में हमने पाया कि यूजर ‘Vikash Kaundinya‘ के 520 फॉलोअर्स हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल हो रही तस्वीर साल 1999 की है और इस तस्वीर के साथ जो कहानी वायरल की जा रही है उसका खंडन तस्वीर को खींचने वाले फोटोग्राफर ने भी किया है।
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