Fact Check : मानवाधिकार रिपोर्ट को फाड़ते इजरायली राजनयिक का पुराना वीडियो भ्रामक दावे के साथ शेयर

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि मानवाधिकार रिपोर्ट को फाड़ते हुए इजरायल के अधिकारी के वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। वायरल वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि साल 2021 का है। दो साल पहले इजरायल के राजनयिक गिलाद एर्दान ने यूएन में मानवाधिकार रिपोर्ट को इजरायल विरोधी बताते हुए सबके सामने फाड़ दिया था।

Fact Check : मानवाधिकार रिपोर्ट को फाड़ते इजरायली राजनयिक का पुराना वीडियो भ्रामक दावे के साथ शेयर

विश्वास न्यूज (नई दिल्ली)। सोशल मीडिया एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, इस वीडियो में इजरायल के एक राजनयिक को एक रिपोर्ट को फाड़ते हुए देख सकते हैं। इस वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में इजरायल को मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर एक नोटिस जारी किया था, जिसे इजरायल के राजनयिक ने सबके सामने इस नोटिस को फाड़ दिया।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। वायरल वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि साल 2021 का है। दो साल पहले इजरायल के राजनयिक गिलाद एर्दान ने यूएन में मानवाधिकार रिपोर्ट को इजरायल विरोधी बताते हुए सबके सामने फाड़ दिया था।

क्या हो रहा है वायरल ?

फेसबुक यूजर ‘कुमार नीरज’ ने 18 अक्टूबर 2023 को वायरल वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “अपनी नोटिस अपने पास रखो..UN में इजरायल को समन किया, कि उसने मानवाधिकार का उल्लंघन किया है उसे 20 पन्नों की रिपोर्ट दी। इजरायल के प्रतिनिधि 2 मिनट के लिए स्टेज पर आये और आरोप पत्र “फाड़े” और चले गये। यह होता है एक खुद मुख्तार देश।” #ISupportIsrael #StandWithIsrael

पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।

पड़ताल 

वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स से सर्च करना शुरू किया। हमें दावे से जुड़ी एक न्यूज रिपोर्ट फिलिस्तीन क्रॉनिकल की वेबसाइट पर मिली। रिपोर्ट को 30 अक्टूबर 2021 को प्रकाशित किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, “इजरायल के राजदूत गिलाद एर्दान ने  संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकारों के उल्लंघन की रिपोर्ट को मंच पर सबके सामने फाड़ दिया। साथ ही रिपोर्ट को लेकर  संयुक्त राष्ट्र की कड़ी निंदा भी की।”

टाइम्स ऑफ इजरायल ने भी इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया था। 

पड़ताल के दौरान हमें वीडियो का लंबा वर्जन गिलाद एर्दान के आधिकारिक एक्स अकाउंट पर मिला। वीडियो को 30 अक्टूबर 2023 को शेयर किया गया है। कैप्शन में अंग्रेजी में बताया गया है, “आज  मैंने यूएन में उनकी मानवाधिकार परिषद की वार्षिक रिपोर्ट को लेकर अपनी बात कही। रिपोर्ट में लिखी बातें निराधार, एकतरफा और झूठी हैं। इस साल भी मानवाधिकार परिषद ने एक बार फिर हम सभी को निराश किया है… इसने दुनिया भर में उन लोगों को निराश किया है, जिनके मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। जो लोग दो हर दिन, हर घंटे, हर मिनट मानवाधिकारों का उल्लंघन सहते हैं – लेकिन उनकी आवाज नहीं सुनी जाती है। दुख की बात है कि उत्पीड़ितों की आवाज नहीं सुनी जा सकती, क्योंकि मानवाधिकार परिषद अपना समय, अपना बजट और अपने संसाधन बर्बाद करने पर अड़ी हुई है। इनका सिर्फ देश पर निशाना साधना है और वो है मेरा देश, जो कि स्वतंत्र और समृद्ध लोकतंत्र है। हमारी प्रेस भी पूर्ण रूप से स्वतंत्र है। 15 साल जब से परिषद की स्थापना हुई है, इसने इजराइल को ईरान की तरह 10 बार या फिर सीरिया की तरह 35 बार दोषी नहीं ठहराया,  बल्कि मानवाधिकार परिषद ने 95 प्रस्तावों के साथ इजरायल  पर हमला किया है। अन्य सभी देशों के मुकाबले 142 बार ज्यादा। इजरायल  हमेशा जरूरतमंद अनगिनत देशों को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करता है और हमेशा करेगा। फिर भी, इजरायल  को मानवाधिकार परिषद अपने घृणित इजरायल-विरोधी और यहूदी-विरोधी नजरों से देखती है। मानवाधिकार परिषद को हमास के आतंकी और इजरायल पर इतना समय और ऊर्जा केंद्रित करने से अच्छा है। वो पीड़ितों की पीड़ा पर ध्यान दें। आपको शर्म आनी चाहिए। आपको शर्म आनी चाहिए। आपको शर्म आनी चाहिए। इसी मंच पर यहूदी लोगों के घर पाने के अधिकार को नस्लवादी घोषित कर दिया गया था। एक निर्णय जिसे पलट दिया गया। एक निर्णय जिसे उस समय इजरायल के राजदूत चैम हर्ज़ोग ने संयुक्त राष्ट्र के समक्ष फाड़ दिया था। इस रिपोर्ट में एक बार फिर से मानवाधिकार परिषद ने इजरायल विरोधी बातें कही  हैं। इसका एकमात्र स्थान यहूदी विरोध के कूड़ेदान में है और हम इसके साथ ठीक इसी तरह व्यवहार करेंगे।”

इससे जुड़ी वीडियो रिपोर्ट को यहां पर देखा जा सकता है। 

इस बारे में हमने इजरायल के फैक्ट चेकर यूरिआ बार मेर से संपर्क कर उनको वायरल वीडियो भेजा। उन्होंने कहा, “वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। यह वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि करीब दो साल पुराना है।”

अंत में हमने वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। हमने पाया कि यूजर को 2.8 हजार लोग फॉलो करते हैं। प्रोफाइल पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, यूजर पटना का रहने वाला है। 

निष्कर्ष : विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि मानवाधिकार रिपोर्ट को फाड़ते हुए इजरायल के अधिकारी के वायरल वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। वायरल वीडियो हाल-फिलहाल का नहीं, बल्कि साल 2021 का है। दो साल पहले इजरायल के राजनयिक गिलाद एर्दान ने यूएन में मानवाधिकार रिपोर्ट को इजरायल विरोधी बताते हुए सबके सामने फाड़ दिया था।

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