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Fact Check : इस तस्‍वीर का अफगानिस्‍तान की कलाकार शमशिया हसानी से नहीं है कोई संबंध

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट भ्रामक साबित हुई। वायरल तस्‍वीर का अफगानिस्‍तान की शमशिया हसानी से कोई संबंध नहीं है। वायरल तस्‍वीर में छेड़छाड़ करके अलग से एक लाल किताब जोड़ी गई है, जबकि ओरिजनल तस्‍वीर में रिपोर्टर मैगजीन को साफ देखा जा सकता है।

विश्‍वास न्‍यूज (नई दिल्‍ली)। अफगानिस्‍तान में तालिबानी सरकार के आने के साथ ही सोशल मीडिया में कई प्रकार की फर्जी खबरें वायरल होना शुरू हुई थीं। अब सोशल मीडिया में एक तस्‍वीर वायरल हो रही है। इसमें बहुत-सी औरतों को बुर्का पहने एक दिशा में जाते हुए देखा जा सकता है, जबकि इनमें से एक महिला बिना सिर ढके एक लाल किताब के साथ विपरीत दिशा में जाती दिख रही है। दावा किया जा रहा है कि इस पेटिंग को अफगानिस्‍तान की कलाकार शमशिया हसानी ने बनाया है।

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट भ्रामक साबित हुई। दरअसल यह प्राग की रिपोर्टर मैगजीन के लिए बनाई गई एक पुरानी तस्‍वीर है। इसका अफगानिस्‍तान की शमशिया हसानी से कोई ताल्लुकात नहीं है। वायरल पोस्‍ट में इस्‍तेमाल की गई तस्‍वीर भी एडिटेड है। इस तस्‍वीर में अलग से लाल किताब को जोड़ा गया है, जबकि ओरि‍जनल तस्‍वीर में रिपोर्टर मैगजीन को देखा जा सकता है।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर देबज्‍योति चंदा ने 13 सितंबर को एक तस्‍वीर को पोस्‍ट करते हुए इसे अफगानिस्‍तान की कलाकार शमसिया हसानी की पेंटिंग बताया। अंग्रेजी में क्‍लेम कुछ यूं था : ‘A painting by Afghan artist Shamsia Hassani. Nothing can be more verbose more telling…’

फेसबुक पोस्‍ट के कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्‍यों पढ़ा जा सकता है। पोस्‍ट को सच मानकर दूसरे यूजर्स भी इसे वायरल कर रहे हैं। इसका आर्काइव्‍ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल तस्‍वीर का सच जानने के लिए यान्‍डेक्‍स टूल का इस्‍तेमाल किया। रिवर्स इमेज टूल के जरिए हमें एक तस्‍वीर मिली, जिसमें हमें बिना सिर ढकी महिला के हाथ में लाल किताब की जगह एक मैगजीन दिखी। मैगजीन को ध्‍यान से देखने पर हमें रिपोर्टर लिखा नजर आया।

जांच को आगे बढ़ाते हुए हमने कुछ कीवर्ड बनाए और उन्‍हें गूगल सर्च में खोजना शुरू किया। हमें ओरिजनल तस्‍वीर ad-murphy.com पर मिली। इसमें बताया गया कि इस तस्‍वीर को बनाने में प्राग की यंग एंड रूबीकाम एजेंसी ने मदद की थी।

गूगल सर्च में और खोजने में हमें इस तस्‍वीर के बारे में ज्‍यादा जानकारी मिली। यहां क्लिक करके आप जान सकते हैं कि प्राग की रिपोर्टर मैगजीन के लिए इस तस्‍वीर को यंग एंड रूबीकाम नाम की नेटवर्क एजेंसी ने तैयार किया था। इसे पावेल हेजने ने क्लिक किया था। इस छायाचित्र को ‘Questioning Radicalism’ विषय के तहत रिपोर्टर मैगजीन के लिए बनाया गया था। इसे 2018 में बनाया गया था। इसके अलावा भी कुछ छाया चित्र इस सीरिज में बनाए गए थे।

अब तक की जांच में यह साबित हो गया कि वायरल तस्‍वीर न सिर्फ एडिटेड है, बल्कि इसका तालिबान के बाद वाले अफगानिस्‍तान से भी कोई संबंध नहीं है। अब हमें यह जानना था कि सोशल मीडिया में जिस अफगान कलाकार शमशिया हसानी के नाम से यह तस्‍वीर फैलाई जा रही है, वह कौन हैं।

सर्च के दौरान हमें शमशिया हसानी के सोशल मीडिया अकाउंट मिले। फेसबुक पर मौजूद अकाउंट पर 14 सितंबर 2021 को उन्‍होंने एक पोस्‍ट लिखते हुए साफ किया कि वायरल आर्टवर्क का उनसे कोई संबंध नहीं है। यह आर्टवर्क उनका नहीं है।

यही बात शमशिया हसानी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर भी पोस्‍ट की है। वे एक ग्रैफिटी आर्टिस्ट हैं।

अधिक जानकारी के लिए विश्‍वास न्‍यूज ने शमशिया हसानी को सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए संपर्क किया। उनकी ओर से जवाब आने के बाद इसे अपडेट कर दिया जाएगा।

पड़ताल के अं‍त में हमने उस यूजर की जांच की, जिसने एडिटेड तस्‍वीर पोस्‍ट की। हमें पता चला फेसबुक यूजर देबज्योति चंदा कोलकाता के रहने वाले हैं। उन्‍होंने यह अकाउंट सितंबर 2016 को बनाया था।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट भ्रामक साबित हुई। वायरल तस्‍वीर का अफगानिस्‍तान की शमशिया हसानी से कोई संबंध नहीं है। वायरल तस्‍वीर में छेड़छाड़ करके अलग से एक लाल किताब जोड़ी गई है, जबकि ओरिजनल तस्‍वीर में रिपोर्टर मैगजीन को साफ देखा जा सकता है।

  • Claim Review : A painting by Afghan artist Shamsia Hassani.
  • Claimed By : फेसबुक यूजर देबज्योति चंदा
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