विश्वास न्यूज की पड़ताल में यूक्रेन के नाम पर वायरल पोस्ट फर्जी निकली। जिस तस्वीर को यूक्रेन का बताया जा रहा है, वह इस्तांबुल की है और 2018 की है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। रूस-यूक्रेन जंग के बीच सोशल मीडिया पर कई प्रकार के फर्जी पोस्ट्स वायरल हैं। एक वायरल तस्वीर में एक बुज़ुर्ग व्यक्ति को एक बिल्ली को हाथ में लिए रोते हुए देखा जा सकता है। यूजर्स इस फोटो को वायरल करते हुए दावा कर रहे हैं कि यह यूक्रेन की है। विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की जांच की। यह गलत साबित हुई। वायरल तस्वीर इस्तांबुल की है, यूक्रेन की नहीं।
फेसबुक यूजर पेट्रोस रेगोस (Petros Regos) ने वायरल तस्वीर को पोस्ट करते हुए लिखा : “dominic dyer @domdyer70 Bombs & bullets will never break our bond with our companion animals #StandWithUkraine.” जिसका हिंदी अनुवाद होता है “बम और गोलियां हमारे साथी जानवरों के साथ हमारे बंधन को कभी नहीं तोड़ सकतीं #StandWithUkraine” Archive link.
विश्वास न्यूज ने पड़ताल की शुरुआत गूगल रिवर्स इमेज सर्च से की। हमें यह तस्वीर dailysabah.com की 2018 की एक खबर में मिली। खबर के अनुसार, “अनुवादित: पश्चिमी तुर्की के मुदर्नू जिले के ऑर्डुलर गांव के निवासी बुधवार को एक बूढ़े व्यक्ति और उसकी प्यारी बिल्ली की त्रासदी को देखकर दुखी हो गए। इस बुजुर्ग व्यक्ति ने गलती से अपने घर में आग लगा दी। 83 वर्षीय अली मेसे ने गलती से खुद के घर में आग लगा ली, जब वे अपने हीटिंग स्टोव को गैसोलीन से जलाने की कोशिश कर रहे थे।”
हमें यह तस्वीर trtworld.com की एक गैलरी में भी मिली। इसे 2018 में इस्तांबुल का बताते हुए अपलोड किया गया था।
हमने इस विषय में डेली सबह के वेब एडिटर सिनान ओज़टर्क से ट्विटर के ज़रिये संपर्क साधा। जवाब में उन्होंने बताया “जैसा कि हमारे आर्टिकल में कहा गया है, यह तस्वीर वास्तव में तुर्की की है। इसका यूक्रेन से कोई लेना-देना नहीं है।”
विश्वास न्यूज ने पड़ताल के अंत में फर्जी दावे के साथ तस्वीर को वायरल करने वाले यूजर की जांच की। फेसबुक यूजर Petros Regos की सोशल स्कैनिंग में पता चला कि यूजर कैलिफ़ोर्निया का रहने वाला है।
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डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल को डेली सबाह के पत्रकार, सिनान ओजतुर्क का कोट मिलने के बाद अपडेट किया गया है।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में यूक्रेन के नाम पर वायरल पोस्ट फर्जी निकली। जिस तस्वीर को यूक्रेन का बताया जा रहा है, वह इस्तांबुल की है और 2018 की है।
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