विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह तस्वीर 2010 में पाकिस्तान में आई बाढ़ के बाद अस्थायी शिविर की है। इस पुरानी तस्वीर को भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें खाने के बर्तनों को हाथ में लिए बहुत-से लोगों को एक लम्बी लाइन में लगे हुए देखा जा सकता है। वायरल तस्वीर को पाकिस्तान में इस वक़्त आई हुई आर्थिक किल्लत से जोड़ते हुए शेयर किया जा रहा है।
विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह तस्वीर 2010 में पाकिस्तान में आई बाढ़ के बाद अस्थायी शिविर की है। इस पुरानी तस्वीर को भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
फेसबुक यूजर ने वायरल पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा, “ये खूबसूरत तस्वीर परमाणु बम शक्ति सम्पन्न पाकिस्तान से आई है और इनको कश्मीर चाहिए पर फिलहाल वहां चुन भी 170 रुपये किलो मिल रो है…!”
पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहाँ देखें।
अपनी पड़ताल को शुरू करते हुए विश्वास न्यूज ने सबसे पहले गूगल लेंस के जरिये वायरल तस्वीर को सर्च किया। सर्च में हमें यह तस्वीर बहुत-सी न्यूज़ वेबसाइट पर मिली।
सीएनएन की वेबसाइट पर 24 अगस्त 2010 को पब्लिश हुई खबर में इसी फोटो को देखा जा सकता है। यहाँ खबर में दी गई मालूमात के मुताबिक, “23 अगस्त, 2010 को सुक्कुर के अस्थायी शिविर में भोजन और पानी का इंतजार करते बाढ़ पीड़ित।”
24 अगस्त 2010 को अपलोड हुई दी गार्डियन की फोटो गैलरी में भी वायरल तस्वीर देखने को मिली। यहाँ खबर में और भी भीड़ की तस्वीरों को देखा जा सकता है। वायरल तस्वीर के बारे में यहाँ बताया गया, “सुक्कुर में फ्लड रिलीफ कैंप में खाने की कतार में लगे लोग।”
पोस्ट से जुड़ी पुष्टि के लिए हमने पाकिस्तान के आज टीवी के सीनियर कंटेंट प्रोड्यूसर आदिल अली से संपर्क किया और उन्होंने हमें बताया कि वायरल तस्वीर बाढ़ के बाद की है और इसका अभी के संकट से कोई लेना-देना नहीं है।
खबरों के मुताबिक, पाकिस्तान में आर्थिक संकट के कारण लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। खबर यहाँ पढ़ी जा सकती है।
भ्रामक पोस्ट को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर की सोशल स्कैनिंग में हमने पाया कि यूजर राजस्थान का रहने वाला है और उन्हें 200 लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह तस्वीर 2010 में पाकिस्तान में आई बाढ़ के बाद अस्थायी शिविर की है। इस पुरानी तस्वीर को भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
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