विश्वास न्यूज की जांच में पता चला कि जिस वीडियो को यूजर लद्दाख का समझ कर वायरल कर रहे हैं, वह 2011 का पाकिस्तान का वीडियो है।
नई दिल्ली (Vishvas News)। लद्दाख से सटे सीमावर्ती इलाकों में भारत और चीन के बीच विवाद के दरिमयान कुछ लोग सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों को फैला रहे हैं। शहीद और घायल सैनिकों के एक वीडियो के जरिए यह बताने की कोशिश की जा रही है कि लद्दाख में भारतीय सैनिकों की स्थिति बुरी है।
विश्वास न्यूज ने इस वायरल वीडियो की जांच की। हमें पता चला कि वायरल वीडियो का हिंदुस्तान से कोई संबंध नहीं है। वीडियो हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान का है। 2011 में नाटो के हमले से कई पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो गई थी।
फेसबुक से लेकर वॉट्सऐप तक पर एक वीडियो को वायरल किया जा रहा है। कुछ लोग सीधे तौर पर तो कुछ यूजर्स घूमा-फिराकर इस वीडियो को लद्दाख का बता रहे हैं।
एक ऐसे ही यूजस शमीर खान ने 20 जून को इस वीडियो को अपलोड करते हुए लिखा : ‘Haqeeqat pata nahin bataya ja raha hai Ladakh 🤔 Aye khuda Mere Desh ke har Insan ki hifazat farma🇮🇳’
पड़ताल की शुरूआत करने से पहले विश्वास न्यूज ने वायरल वीडियो को ध्यान से देखना शुरू किया। शुरूआत में ही हमें बस के ऊपर पाकिस्तानी झंडा दिखा। मतलब साफ था कि वीडियो पाकिस्तान का है। हमें यह जानना था कि इस वीडियो के पीछे कहानी क्या है।
इसके लिए हमने वायरल वीडियो को InVID टूल में अपलोड करके कई वीडियो ग्रैब निकाले और इन्हें गूगल रिवर्स इमेज सर्च टूल में खोजना शुरू किया। शुरुआती खोज में ही हमें यही वीडियो 2011 में अपलोड किए गए एक Youtube चैनल पर मिला। 27 नवंबर 2011 को अपलोड इस वीडियो के बारे में बताया गया कि यह पाकिस्तान ऑर्मी कैंप के ऊपर नाटो अटैक का है। पूरा वीडियो यहां देखें
पड़ताल के दौरान हमें Samaa.tv नाम की वेबसाइट पर एक खबर मिली। इस खबर में वायरल वीडियो के ग्रैब का इस्तेमाल करते हुए बताया गया कि पाकिस्तान के सैनिक कैंप पर नाटो के हमले में 2011 में 24 जवान मारे गए थे। पूरी खबर यहां पढ़ें।
पड़ताल के दौरान हमने भारतीय सेना के प्रवक्ता से बात की। उन्होंने भी वायरल वीडियो की पुष्टि करते हुए बताया कि इस वीडियो का भारत या भारतीय सेना से कोई संबंध नहीं है।
अंत में हमने पाकिस्तान के पुराने वीडियो से भ्रम पैदा करने वाले फेसबुक यूजर शमीर खान के पेज की जांच की। हमें पता चला कि यूजर को 39 हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। पेज को 16 जून 2017 को बनाया गया था।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की जांच में पता चला कि जिस वीडियो को यूजर लद्दाख का समझ कर वायरल कर रहे हैं, वह 2011 का पाकिस्तान का वीडियो है।
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