विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह वीडियो सीरिया का है और पुराना है। इस वीडियो को फिलिस्तीन और इजरायल से जोड़ते हुए भ्रामक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। फिलिस्तीन और इजरायल के बीच चल रहे हालिया हमलों के बीच इससे जुड़े कई दावे सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। इसी कड़ी में एक वीडियो वायरल किया जा रहा है, जिसमें एक दीवार के किनारे खड़े सैनिकों पर एक मिसाइल से हमला होते देखा जा सकता है। पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि वीडियो हालिया है और जिन सैनिकों पर हमला हुआ, वे इजरायली थे।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह वीडियो सीरिया का है और 2016 का है।
फेसबुक यूजर worldviews_360 ने वायरल पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा, ”Large crowd of Israel soldiers gets hit by a missile. (इजरायली सैनिकों पर मिसाइल से हमला)”.
पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखें।
अपनी पड़ताल को शुरू करते हुए सबसे पहले हमने गूगल लेंस के जरिये वायरल वीडियो को तलाश करना शुरू किया। सर्च में हमें वायरल वीडियो न्यूज़ वेबसाइट अल जजीरा की एक खबर में अपलोड मिला, जिसे 19 अगस्त 2016 को पब्लिश किया गया था। अरबी में लिखी इस खबर की हेडलाइन थी: अनुवादित: “विपक्ष ने अलेप्पो में शासन के हमले का विरोध किया और संघर्ष विराम का स्वागत किया”. इस खबर में सीरियाई सशस्त्र बलों द्वारा अलेप्पो के दक्षिण में रामौसा क्षेत्र में एयर टेक्निकल कॉलेज पर हमले के प्रयास का विवरण दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, वीडियो में सीरियाई विद्रोही गुटों के एक सशस्त्र सदस्य फतेह हलब ऑपरेशन रूम द्वारा सीरियाई सशस्त्र बलों के सदस्यों की लक्षित हत्या को दिखाया गया है।
हमें यह वीडियो फेसबुक पर भी 2016 में (Eyewitness Aleppo)شاهد عيان حلب नाम के पेज पर अपलोड मिला। साथ में डिस्क्रिप्शन लिखा था, अनुवादित: “एयर कॉलेज के आसपास असद सेना के दो समूहों को दो निर्देशित मिसाइलों से निशाना बनाया गया।”
हमने इस विषय में इजराइली फैक्ट चेकिंग संगठन, द व्हिसल में मुख्य शोधकर्ता और विदेशी संबंध प्रबंधक उरिया बार-मीर से संपर्क साधा। उन्होंने भी कन्फर्म किया कि वीडियो हालिया नहीं है और इसका इजरायल-हमास संघर्ष के कोई लेना देना नहीं है।
भ्रामक पोस्ट को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर वर्ल्डव्यूज़_360 की सोशल स्कैनिंग में हमने पाया कि यूजर ‘के 1000 से अधिक फॉलोअर्स हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह वीडियो सीरिया का है और पुराना है। इस वीडियो को फिलिस्तीन और इजरायल से जोड़ते हुए भ्रामक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।
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