Fact Check: अफगान नागरिक की पुरानी तस्वीर को तालिबानी लड़ाके की हालिया तस्वीर बता कर किया जा रहा है वायरल

विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। वायरल तस्वीर हालिया नहीं, बल्कि 2002 की है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद, तालिबानियों की बहुत-सी तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जहाँ उन्हें शहरी ज़िन्दगी का आनंद लेते देखा जा सकता है। कहीं इन तालिबानियों को जिम में एक्सरसाइज करते देखा जा सकता है, तो कहीं इन्हें एम्यूज़मेंट पार्क में मज़े करते देखा जा सकता है। ऐसे में एक तस्वीर वायरल हो रही है, जहाँ एक व्यक्ति को दोनों हाथों में आइसक्रीम पकडे़ मुस्कुराते हुए देखा जा सकता है। पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि यह अफगानिस्तान की हालिया तस्वीर है और तस्वीर में दिख रहा व्यक्ति एक तालिबानी है। विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। वायरल तस्वीर हालिया नहीं, बल्कि 2002 की है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

Abdelrahman hamed नाम के सोशल मीडिया यूजर ने इस पोस्ट को शेयर करते हुए दावा किया “#A_Taliban man tastes ice cream with great happiness” अनुवाद “#तालिबान आदमी ने बड़ी खुशी के साथ आइसक्रीम का स्वाद चखा”

पड़ताल

इस पोस्ट की जांच करने के लिए विश्वास न्यूज़ ने इस तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च किया। यह तस्वीर iwastesomuchtime.com/ पर मिली। तस्वीर के साथ लिखा था “अफ़ग़ान आदमी अपनी आइसक्रीम कोन पकड़े हुए, पुली खुमरी, अफ़ग़ानिस्तान।” और इस तस्वीर का क्रेडिट स्टीव मैककरी को दिया गया था।

कीवर्ड्स के साथ ढूंढ़ने पर हमें पता चला कि स्टीव मैककरी एक जाने-माने फोटोग्राफर हैं। हमें यह तस्वीर स्टीव मैककरी के ऑफिशियल फेसबुक पेज पर भी मिली। 28 जून को उन्होंने इस तस्वीर को अपने फेसबुक पेज पर अपलोड करते हुए लिखा था “A man buys ice cream for his children in Pol-e-Khomri, Afghanistan, 2002.”

हमने इस विषय में स्टीव मैककरी की टीम से मेल के ज़रिये संपर्क साधा। जवाब में हमें उनके टीम मेंबर पॉल हॉलैंड द्वारा बताया गया, “इस तस्वीर में एक अफगान व्यक्ति को अपने बच्चों के लिए आइसक्रीम खरीदते हुए देखा जा सकता है। यह तस्वीर स्टीव मैककरी ने 2002 में अफगानिस्तान के पोल-ए-खोमरी शहर में खींची थी।”

इस तस्वीर को गलत दावे के साथ Abdelrahman hamed नाम के ट्विटर यूजर ने शेयर किया था। यूजर मिस्र का रहने वाला है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। वायरल तस्वीर हालिया नहीं, बल्कि 2002 की है।

False
Symbols that define nature of fake news
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