नई दिल्ली (विश्वास टीम)। फेसबुक पर पुलवामा के नाम पर एक घायल सैनिक की फर्जी तस्वीर वायरल हो रही है। दावा किया जा रहा है कि घायल सैनिक को जैसे ही पता चला कि सेना को खुली छूट मिल गई है तो वह अस्पताल से बाहर निकल आया। फेसबुक पोस्ट देखकर ऐसा लगा रहा है कि जैसे यह पुलवामा आतंकी हमले में घायल कोई सैनिक हो, लेकिन विश्वास टीम की पड़ताल में यह दावा गलत साबित हुआ। पुलवामा के घायल सैनिक के नाम पर जो तस्वीर वायरल हो रही है, वह 15 साल पुरानी रूसी सैनिक की है।
Sadhvi Dr. Prachi Didi (@SadhviPrachi) नाम के फेसबुक पर 16 फरवरी को एक घायल सैनिक की तस्वीार अपलोड करते हुए लिखा गया – ”सेना के घायल जवान को पता चलते ही कि सेना को खुली छूट मिल गई। इलाज के बीच से उठकर दुश्मन से बदला लेने अस्पताल से बाहर निकल आया। ये है हमारी सेना का जज्बा। जय हिंद वन्दे मातरम्।”
एक हजार से ज्यादा लोग इस पोस्ट को अब तक एक हजार से ज्यादा लोग शेयर कर चुके हैं, जबकि 471 लोगों ने इस पर कमेंट किया है। फेसबुक के दूसरे पेजों के अलावा Twitter पर भी यह फोटो वायरल हो रही है।
विश्वास टीम ने वायरल पोस्ट की पड़ताल करने के लिए सबसे पहले तस्वीर को ध्यान से देखा। तस्वीर देखने से साफ पता चल रहा है कि यह सैनिक भारतीय फौज का नहीं है। इतना ही नहीं, इस तस्वीर के बैकग्राउंड में खड़े लोग भी भारतीय नजर नहीं आ रहे हैं। पोस्ट पर कई यूजर्स ने भी इस तस्वीर को गलत बताते हुए कमेंट किया था।
इस पोस्ट की सच्चाई जानने के लिए हमने तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज में सर्च किया। हमें यहां एक Tweet मिला। यहां लिखा हुआ था – Russian Spetsnaz Maxim Alexandrovich Razumovsky returned to continue his mission to rescue school children from terrorists even after he was wounded …
यानि इससे हमें पता चला कि यह कोई रूसी जवान है, जो स्कूली बच्चों के स्कूल पर आतंकी हमले के ऑपरेशन से लौट रहा था।
अब हमने गूगल में इससे जुड़ी खबर को सर्च करना शुरू किया। हमें रूस की एक वेबसाइट का लिंक मिला। जहां यह तस्वी़र मौजूद थी। यह खबर रसियन में थी। गूगल ट्रांसलेशन की मदद से हमें पता चला कि इस सैनिक का नाम मैक्सिम रजुमोवस्की है। यह इंटरनेट पर ”रूसी टैंक” के नाम से फेमस है।
अनुवाद से हमें पता चला कि 2004 में जब आतंकियों ने एक स्कूल को अपने कब्जे कर लिया था, तो उस वक्त सैकड़ों लोगों की मौत हुई थी। एक सितंबर, 2004 की इस घटना में रूस की बेसलन स्कूजल को आतंकियों ने कब्जे में लिया था। 1100 से ज्यादा लोगों को बंधक बना लिया गया था। उस वक्त रूस सेना ने बंधकों को छुड़ाने के लिए ऑपरेशन किया था। फोटो उसी दौरान की है।
इसके बाद हमने Sadhvi Dr. Prachi Didi (@SadhviPrachi) नाम के फेसबुक पेज का Stalkscan.com से सोशल स्कैन किया। यहां हमें पता चला कि साध्वी प्राची के नाम से बने इस फैन पेज को लाइक करने वालों की तादाद चार लाख से ज्यादा है।
निष्कर्ष : सोशल मीडिया पर भारतीय जवान के नाम पर जो तस्वीर वायरल हो रही है, वह फर्जी है। वायरल फोटो 15 साल पुरानी रूसी जवान की है।
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