नई दिल्ली (विश्वास टीम)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के सरकार को अधिशेष ट्रांसफर किए जाने के बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि विश्व बैंक ने भारत को कंगाल देशों की सूची में डालते हुए उसे कोई भी कर्ज देने से इनकार कर दिया है। विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा फर्जी निकला। वास्तव में विश्व बैंक ऐसी कोई सूची ही जारी नहीं करता है और नहीं भारत को बैंक ने कर्ज देने से मना किया है।
”प्रियंका गांधी-फ्यूचर ऑफ इंडिया” नाम के प्रोफाइल पेज से शेयर किए गए इस दावे में लिखा हुआ है, ‘विश्व बैंक ने भारत को कोई भी लोन देने से किया इनकार। कंगाल देश की लिस्ट में डाला भारत को। मोदी बढ़िया आदमी है वैसे।’
पड़ताल किए जाने तक इस पोस्ट करीब 1,500 से अधिक लोग शेयर कर चुके हैं, वहीं 3500 से अधिक लोगों ने इस पोस्ट को पसंद किया है।
सोशल मीडिया पर भारत की अर्थव्यवस्था से जुड़ी अफवाहें वैसे समय में जोर पकड़ रही है, जब हाल ही में सरकार ने अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए कई राहत उपायों की घोषणा की है और देश के केंद्रीय बैंक आरबीआई ने विमल जालान समिति की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये का अधिशेष ट्रांसफर किया है।
पड़ताल की शुरुआत हमने विश्व बैंक की आधिकारिक वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों से की। विश्व बैंक की वेबसाइट पर सभी देशों को दिए गए कर्ज का विवरण मिला। आंकड़ों के मुताबिक, विश्व बैंक से सर्वाधिक कर्ज लेने के मामले में भारत शीर्ष 10 देशों की सूची में शुमार है। सबसे पहले नंबर पर पेरु (2.85 अरब डॉलर) है, जबकि दूसरे पायदान पर भारत है, जिसने विश्व बैंक से 2.82 अरब डॉलर का कर्ज ले रखा है। तीसरे नंबर पर चीन है, जिसके ऊपर 1.98 अरब डॉलर का कर्ज है। वेबसाइट के मुताबिक कर्जदारों देशों की रैंकिंग शुद्ध रूप से मूलधन के आधार पर तय की गई है।
यानि भारत विश्व बैंक से कर्ज पाने वाले देशों की सूची में दूसरे नंबर पर है। ‘’World Bank+India” कीवर्ड के साथ न्यूज सर्च करने पर भारत की अर्थव्यवस्था के बारे में विश्व बैंक की हालिया रिपोर्ट मिली। इसके मुताबिक, 2018 की GDP रैंकिंग में भारत सातवें पायदान पर खिसक गया है। 2017 में भारत विश्व बैंक की रैंकिंग में छठी बड़ी अर्थव्यवस्था थी।
रिपोर्ट के मुताबिक 20.5 ट्रिलियन डॉलर के साथ अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है जबकि 13.6 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के साथ चीन दूसरे नंबर पर है। वहीं, 2.7 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के साथ भारत सातवें पायदान पर है।
विश्व बैंक की रैंकिंग में भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया के शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाओं में शुमार है। दोनों सूचनाओं के आधार पर देखा जाए तो विश्व बैंक की सूची में भारत दुनिया की सातवीं बड़ी अर्थव्यवस्था और कर्ज के मामले में दूसरा बड़ा देश है, जो वायरल पोस्ट में किए गए दावे से उलट है, क्योंकि अगर विश्व बैंक भारत को कंगाल देशों की सूची में डालता तो भारत विश्व बैंक से फंडिंग पाने वाले अग्रणी देशों में शामिल नहीं होता।
वरिष्ठ अर्थशास्त्री अरुण कुमार ने विश्वास न्यूज के साथ बातचीत में बताया, ‘आरबीआई के सरप्लस ट्रांसफर के बाद चिंताएं हैं, लेकिन इसका यह मतलब यह नहीं है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की रेटिंग में तत्काल कोई बदलाव आएगा।’ उन्होंने कहा कि विश्व बैंक के पास ऐसी कोई दीवालिया देशों की सूची नहीं होती है, बल्कि जिन देशों की आर्थिक हालत खराब होती है, रेटिंग एजेंसियां (मूडीज, एसएंडपी, फिच आदि) उसकी रेटिंग को डाउनग्रेड करती हैं और इसकी वजह संबंधित देश की खराब हालत और कर्ज नहीं चुका पाने की क्षमता से तय होती है।
उन्होंने कहा कि भारत या दुनिया के किसी भी देश को कर्ज या फंडिंग उसके चुका पाने की स्थिति और भुगतान संतुलन जैसे कारकों को ध्यान में रखकर मिलता है और भारत के पास इस वक्त 400 अरब डॉलर से अधिक का विदेशी मुद्रा भंडार है, जो चिंता की स्थिति नहीं है। आरबीआई के आंकड़ों से इसकी पुष्टि होती है।
दुनिया भर के अर्थव्यवस्थाओं की रेटिंग और आर्थिक गतिविधियों को ट्रैक करने वाली वेबसाइट countryeconomy.com पर मूडीज, एसएंडपी और फिच के समय-समय पर जारी भारत की रेटिंग के बारे में देखा जा सकता है।
मूडीज ने जहां आखिरी बार 2017 में भारत की रेटिंग को Baa3 (पॉजिटिव) से अपग्रेड कर Baa2 (स्टेबल) कर दिया था। वहीं, एसएंडपी ने भारत की रेटिंग को स्टेबल रखा हुआ है, जबकि फिच ने भारत की रेटिंग को BBB- रखा हुआ है।
न्यूज रिपोर्ट से भी इसकी पुष्टि होती है। न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के हवाले से बिजनेस स्टैंडर्ड में 23 मई 2019 को प्रकाशित खबर के मुताबिक, मूडीज ने 2017 में भारत की रेटिंग को Baa3 से बढ़ाकर Baa2 कर दिया था और साथ ही, भारत के आउटलुक को पॉजिटिव से अपग्रेड कर स्टेबल कर दिया था। एजेंसी ने कहा था कि भारत में मोदी सरकार की तरफ से किए जा रहे सुधार उपायों के कारण कर्ज के बढ़ते स्तर को थामने में मदद मिलेगी।
countryeconomy.com पर दी गई जानकारी के मुताबिक, रेटिंग एजेंसियों की ग्रेडिंग मुख्य तौर पर छह प्रकार की होती है। जो देश डिफॉल्ट की स्थिति में होते हैं या जिनकी कर्ज चुका पाने की क्षमता और भुगतान संतुलन बेहद खराब होता है, उन्हें मूडीज की रेटिंग में NP, एसएंडपी में C और फिच में C श्रेणी में रखा जाता है, जिनकी और भी कई सब कैटेगरी होती हैं, जिन्हें नीचे दिए गए चार्ट में विस्तार से देखा जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने इस मामले में विश्व बैंक से संपर्क किया। विश्व बैंक के लीड एक्सटरनल अफेयर्स एडवाइजर सुदीप मजूमदार ने सोशल मीडिया पर भारत की आर्थिक हैसियत को लेकर जारी अफवाहों को खारिज करते हुए कहा, ‘विश्व बैंक ने न तो भारत को ऐसी किसी सूची में डाला है और न ही उसे कर्ज देने से मना किया है।’ मजूमदार की बातों की पुष्टि विश्व बैंक से कर्ज लेने वाले शीर्ष 10 देशों की सूची से साबित होती है, जिसका जिक्र ऊपर विस्तार से किया जा चुका है।
अर्थशास्त्री अरुण कुमार ने कहा, ‘विश्व बैंक और आईएमएफ ऐसी कोई सूची नहीं जारी करते हैं, लेकिन जब कोई देश खराब आर्थिक हालत या भुगतान संतुलन के संकट की स्थिति में इनसे मदद मांगने जाता है, तो यह दोनों एजेंसियां तारतम्यता के साथ काम करती है। आईएमएफ की अपनी निगरानी प्रणाली है और इसके अलावा वह एजेंसियों की रेटिंग जैसे अन्य कारकों पर भी विचार करती है।’
निष्कर्ष: विश्व बैंक के भारत को कंगाल देशों की सूची में डाले जाने और उसे कर्ज देने से इनकार किए जाने के दावे के साथ वायरल हो रही पोस्ट गलत और फर्जी है। विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, भारत 2018 में दुनिया की सातवीं बड़ी अर्थव्यवस्था और कर्ज लेने वाले शीर्ष 10 देशों की सूची में दूसरे पायदान पर बना हुआ है।
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