Fact Check : रूस के रॉकेट चुराने के नाम पर वायरल हुई एडिटेड तस्‍वीर

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। रॉकेट की पुरानी तस्‍वीर को एडिट करके अब वायरल किया जा रहा है।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। रूस और यूक्रेन के दरमियान जंग के बीच एक तस्‍वीर वायरल हो रही है। इसमें एक रॉकेट को एक ट्रैक्टर के द्वारा खींचते हुए देखा जा सकता है। सोशल मीडिया पर यूजर्स इस तस्‍वीर को वायरल करते हुए दावा कर रहे हैं कि यूक्रेन का एक किसान रूस के सोयुज रॉकेट को चुरा कर ले जा रहा है। विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट के दावों की जांच की। यह फर्जी साबित हुई। जिस तस्‍वीर को वायरल किया जा रहा है, वह भी एडिटेड है। कजाकिस्तान की एक पुरानी तस्‍वीर को अब एडिट करके कुछ लोग रूस और यूक्रेन की जंग के बीच फेक दावों के साथ वायरल कर रहे हैं।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर Sao Mon ने 12 मार्च को एक फेसबुक पोस्‍ट के स्‍क्रीनशॉट को अपने अकाउंट पर पोस्‍ट किया। इसमें Wes Brednhof नाम के यूजर की पोस्‍ट का जिक्र था। इसमें एक रॉकेट को ट्रैक्‍टर से खींचते हुए ले जाते हुए देखा जा सकता है। अंग्रेजी में दावा किया गया : ‘Just saw this breaking news item about a ukrainian farmer stealing a Russian soyuz rocket. They ain’t ever gettin’ it back. Love those guys.’

इस पोस्‍ट का हिंदी अनुवाद कुछ यूं है : अभी एक ब्रेकिंग न्‍यूज देखा। इसमें एक यूक्रेनी किसान के द्वारा रूसी सोयुज राकेट को चुराने के बारे में बताया गया।

फैक्ट चेक के उद्देश्य से पोस्ट में लिखी गई बातों को यहां ज्यों का त्यों पेश किया गया है। इस पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर भी कई अन्य यूजर्स ने इसे समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल तस्‍वीर की सच्‍चाई जानने के लिए सबसे पहले गूगल रिवर्स सर्च टूल का इस्‍तेमाल किया। वायरल तस्‍वीर को इसमें अपलोड करके सर्च किया। तस्‍वीर हमें स्‍पेसडॉटकॉम नाम की एक वेबसाइट पर मिली। इसमें बताया गया कि यह तस्‍वीर 9 अक्‍टूबर 2018 की है। इस तस्‍वीर में हमें कहीं भी ट्रैक्टर नजर नहीं आया। पूरी खबर यहां पढ़ें।

वायरल तस्‍वीर हमें गेट्टी की वेबसाइट पर भी मिली। इसमें बताया गया कि 9 अक्‍टूबर 2018 को कजाकिस्तान में एक सोयुज राकेट को ट्रेन के माध्‍यम से खींच कर लॉन्च पैड तक ले जाया गया। पूरी खबर यहां देखें।

यह तस्‍वीर अलामी डॉट कॉम पर भी देखी जा सकती है।

पड़ताल के अगले चरण में विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्टल की पुष्टि के लिए ईमेल के जरिए यूक्रेन की फैक्ट-चेकिंग टीम से संपर्क किया है। वहां से जवाब मिलते ही खबर को अपडेट किया जाएगा।

विश्‍वास न्‍यूज ने पड़ताल के अंत में फर्जी पोस्‍ट करने वाले यूजर की जांच की। फेसबुक यूजर Sao Mon की सोशल स्‍कैनिंग में पता चला कि यूजर के तीन हजार फ्रेंड हैं। यूजर थाईलैंड के बैंकॉक में रहता है।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। रॉकेट की पुरानी तस्‍वीर को एडिट करके अब वायरल किया जा रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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