Fact Check : गिलगित में लड़की और स्नो लेपर्ड की काल्पनिक तस्वीर झूठी कहानी के साथ वायरल

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। यह फर्जी साबित हुई। इस तस्‍वीर को मिडजर्नी की मदद से बनाया गया है।

Fact Check : गिलगित में लड़की और स्नो लेपर्ड की काल्पनिक तस्वीर झूठी कहानी के साथ वायरल

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर एक लड़की की एक तस्‍वीर वायरल हो रही है। इसमें उसे स्‍नो लेपर्ड के साथ बैठे हुए दिखाया गया है। इस तस्‍वीर को कई यूजर्स गिलगित की बताकर एक काल्‍पनिक कहानी के साथ वायरल कर रहे हैं।

दावा किया जा रहा है कि गिलगित की गुलमिना जब छोटी थी, तो वह बिल्ली का बच्चा समझ कर तेंदुआ के बच्चे को घर ले आई थी। उसका ख्‍याल रखती थी, लेकिन जब घरवालों को पता चला कि यह बिल्‍ली का बच्‍चा नहीं, तेंदुआ है तो उसे जंगल में छोड़ आए। इसके बावजूद यह तेंदुआ अक्‍सर गुलमिना से मिलने आता रहता है।

सोशल मीडिया यूजर्स इस कहानी को सच मानकर तस्‍वीर को बड़ी तादाद में वायरल कर रहे हैं। विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। यह फर्जी साबित हुई। इस तस्‍वीर को मिडजर्नी की मदद से बनाया गया है।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर फैजान आलम ने तस्‍वीर को पोस्‍ट करते हुए लिखा, “गिलगिट,सरहद पार,की गुलमिना छोटी थी तो बिल्ली का बच्चा समझ कर तेंदुआ के बच्चे को घर उठा लायी।दूध पिलाती, उसका ख्याल रखती।कुछ दिन में घर वालों को लगा कि ये तेंदुआ है तो उसे जंगल में छोड़ आए। तेंदुआ बड़ा हो गया पर गुलमिना से मिलने आता रहता है। वो जंगली है। नेताओं की वफादारी देखिए!”

इस पोस्‍ट को 3 अप्रैल को किया गया था। इसके अलावा भी दूसरे यूजर्स इसे वायरल कर रहे हैं। पोस्‍ट का आर्काइव वर्जन यहां देखें।

इस तस्‍वीर को Threads पर भी काफी वायरल किया जा रहा है। हैदर अली शाह नाम के एक यूजर ने 4 मार्च को इस तस्‍वीर को अपने Threads हैंडल पर अपलोड किया।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे पहले वायरल तस्‍वीर के बारे में जानने के लिए गूगल लेंस टूल का इस्‍तेमाल किया। तस्‍वीर को यहां अपलोड करके सर्च करने पर यह तस्‍वीर हमें कई जगह मिली। सबसे पुरानी तस्‍वीर हमें babrakk नाम के एक इंस्‍टाग्राम हैंडल पर मिली। इसे 24 मार्च को पोस्‍ट किया गया था। तस्‍वीर के साथ कैप्‍शन में लिखा गया कि शिरीन अपने साथी के साथ। इस तस्‍वीर को लेकर कई लोगों ने कमेंट बॉक्‍स में आश्‍चर्य जताया। एक कमेंट का जवाब देते हुए babrakk हैंडल की ओर से बताया गया कि यह तस्‍वीर मिडजर्नी की मदद से बनाई गई है। मिडजर्नी एक एआई प्रोग्राम है।

पड़ताल के दौरान babrakk के हैंडल को जब स्‍कैन किया गया, तो हमें कई काल्‍पनिक तस्‍वीरें मिलीं, जिसे एआई की मदद से तैयार की गई थीं। इन तस्‍वीरों को देखकर ही समझ में आ रहा था कि यह सभी तस्‍वीरें काल्‍पनिक हैं।

विश्‍वास न्‍यूज ने जांच को आगे बढ़ाते हुए एआई पर काम करने वाले अभिजीत पराशर से संपर्क किया। उन्‍होंने बताया, “यह एआई क्रिएटेड तस्वीर है।”

साइबर सिक्‍युरिटी एडवाइजर और एआई एक्‍सपर्ट चातक वाजपेयी ने भी बताया कि वायरल तस्‍वीर एआई जेनेरेटेड इमेज है। इसे मिडजर्नी नाम के टूल से बनाया गया है।

पड़ताल के अंत में फेसबुक यूजर फैजान आलम के अकाउंट की जांच की गई। पता चला कि यूजर यूपी के सहारनपुर का रहने वाला है। इससे ज्‍यादा जानकारी इस अकाउंट पर नहीं मिली।

निष्‍कर्ष : विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में गिलगित के नाम पर वायरल लड़की और स्‍नो लेपर्ड की तस्‍वीर काल्‍पनिक साबित हुई। इसे एआई टूल की मदद से तैयार किया गया है।

False
Symbols that define nature of fake news
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