Fact Check : स्मार्ट मीटर से जुड़ी 2017 की खबर को अब वायरल करके फैलाया गया भ्रम

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। यह भ्रामक साबित हुई।

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया में अखबार की एक क्लिप वायरल हो रही है। कोटा की इस खबर को अभी की समझकर कई सोशल मीडिया यूजर्स इसे शेयर कर रहे हैं। इसमें स्‍मार्ट मीटर और सामान्‍य मीटर के बारे में बताया गया।

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। यह भ्रामक साबित हुई। पड़ताल में पता चला कि वायरल न्‍यूज काफी पुरानी है। इसका हाल-फिलहाल से कोई संबंध नहीं है। वर्ष 2017 की खबर को अब शेयर किया जा रहा है।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर आलोक कुमार ने एक जुलाई 2024 को एक अखबार की न्‍यूज को पोस्‍ट करते हुए दावा किया, “स्मार्ट मीटर पैसा वसूलने में भी स्मार्ट है बिजली बिल लगभग 3 गुना आता है। उसके साथ ये भी बड़ा प्रोब्लम है किसी के पास पैसे नहीं है तो बह बिजली का उपयोग से वंचित रह जायेगा और अंधेरे में रहना होगा जबकि बिजली मूलभूत सुवधा में शामिल किया गया है और आम नागरिक को पैसे के नाम पे अंधेरे में रखना गलत है सामान्य मीटर में 2 महीना लेट से पैसा का bhuktan किया जाता था कोई बड़ा इस्सू नही था थोड़ा चार्ज ज्यादा देना होता था लेकिन इसमें आपको अपडेट रहना पड़ता है।”

वायरल पोस्‍ट के कंटेंट को यह‍ां ज्‍यों का त्‍यों ही लिखा गया है। इसे सच मानकर कई दूसरे यूजर्स वायरल कर रहे हैं। पोस्‍ट का आर्काइव वर्जन यहां देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज एक बार पहले भी वायरल पोस्‍ट की जांच कर चुका है। इसके लिए हमने वायरल खबर को ध्‍यान से पढ़ा। खबर की शुरुआत में हमें संदेश न्‍यूज और कोटा लिखा हुआ नजर आया।

इस क्‍लू के आधार पर जब हमने गूगल ओपन सर्च टूल के माध्‍यम से खोज को आगे बढ़ाया तो हमें चंबल संदेश नाम के एक फेसबुक पर असली खबर मिली। इसे 26 सितंबर 2017 को पोस्‍ट किया गया था। अब तक की जांच में यह साबित हो गया कि सात साल पुरानी खबर को अब वायरल किया जा रहा है।

विश्‍वास न्‍यूज ने पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए चंबल संदेश नाम के इस पेज को स्‍कैन किया। हमें वहां एक मोबाइल नंबर मिला। इस नंबर पर पर हमने कॉल किया। हमें चंबल संदेश की ओर से जानकारी देते हुए बताया कि वायरल खबर सात साल पुरानी है।

विश्‍वास न्‍यूज ने कीवर्ड के आधार पर गूगल ओपन सर्च किया। हमें भास्‍कर डॉट कॉम पर पब्लिश एक पुरानी खबर मिली। इसमें लिखा गया, “कोटा में जनभावना देखते हुए केईडीएल ने स्मार्ट मीटर लगाने का फैसला बदल दिया है। अब पुराने तरीके के इलेक्ट्रिक मीटरों का ही उपयोग कर रही है। यही मीटर लगाए जा रहे हैं। कंपनी के अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कंपनी केन्द्र सरकार के फैसले के अनुरूप शहर में स्मार्ट मीटर लगा रही थी, लेकिन उपभोक्ताओं ने इसका तगड़ा विरोध किया। विरोध देखते हुए स्मार्ट मीटर लगाना बंद कर इलेक्ट्रानिक मीटर लगा रहे है।” पूरी खबर को यहां पढ़ा जा सकता है।

पड़ताल के अंतिम चरण में फेसबुक यूजर आलोक कुमार के अकाउंट की विस्‍तार से जांच की गई। पता चला कि यूजर पटना में रहता है। इसे छह हजार से ज्‍यादा लोग फॉलो करते हैं।

विश्‍वास न्‍यूज एक बार पहले भी वायरल पोस्‍ट की सच्‍चाई अपने पाठकों के सामने ला चुका है। उस पड़ताल को विस्‍तार से यहां पढ़ा जा सकता है।

निष्‍कर्ष : विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में पता चला कि कोटा के एक स्‍थानीय अखबार की 2017 की खबर को अब वायरल करके भ्रम फैलाया जा रहा है। स्‍मार्ट सिटी की यह खबर 2017 में छपी थी। इसका हाल-फिलहाल से कोई संबंध नहीं है। हमारी पड़ताल में वायरल पोस्‍ट भ्रामक साबित हुई।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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