X
X

Quick Fact Check: हर साल खिलने वाले फूल ब्रह्म कमल को ‘लॉकडाउन के दौरान खिला दुर्लभ फूल’ बता कर फिर से किया जा रहा है वायरल

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में ब्रह्मकमल खिलने वाली पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। पुराने वीडियो को अब कुछ लोग कोरोना के कारण कम हुए प्रदूषण से जोड़कर वायरल कर रहे हैं। यह फूल उत्तराखंड में हर साल खिलता है।

  • By: Pallavi Mishra
  • Published: Jun 27, 2020 at 04:03 PM
  • Updated: Sep 17, 2020 at 08:17 PM

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)।सोशल मीडिया पर आज कल एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक व्यक्ति एक सफ़ेद फूल के बगीचे में खड़ा है और बता रहा है कि यह सफेद रंग के फूल ब्रह्म कमल है। इस वीडियो को काफी लोग शेयर कर रहे हैं। वायरल पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि इस फूल का नाम ‘ब्रह्म कमल’ है और यह फूल लॉकडाउन के चलते कम प्रदूषण की वजह से उत्तराखंड में कई सालों बाद खिला है। हमने इस वीडियो की पहले भी पड़ताल की थी। उस समय हमने पाया था कि असल में वीडियो में नजर आ रहे फूल का नाम ब्रह्म कमल ही है मगर यह फूल उत्तराखंड में हर साल खिलता है।

क्या हो रहा है वायरल?

वायरल वीडियो में एक व्यक्ति एक सफ़ेद फूल के बगीचे में खड़ा है और बता रहा है कि यह सफेद रंग के फूल ब्रह्म कमल है। वीडियो के साथ डिस्क्रिप्शन में लिखा है, “#उत्तराखंड की घटना यह अनहोनी घटना सदियों बाद हुई है। कभी न दिखाई देनेवाला देव पुष्प ब्रह्मकमल जिसके दर्शन मात्र से पुण्य की प्राप्ति होती है, लॉकडाऊन में वहीं ब्रह्मकमल प्रदुषण कम होने के चलते प्रकृति के करवट लेते ही देवभूमि उत्तराखंड की वादियों में लाखों की संख्या में खिला है।”

इस पोस्ट का आर्काइव लिंक यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

इस वायरल पोस्ट की पड़ताल करने के लिए हमने इस वीडियो को InVID टूल पर डाला था और इस वीडियो के की-फ्रेम्स को गूगल रिवर्स इमेज सर्च पर सर्च किया था। हमें यूट्यूब पर 10 दिसंबर 2017 को अपलोडेड इसी वीडियो का बड़ा वर्जन मिला था। साफ़ था कि यह वीडियो कोरोना वायरस के चलते चल रहे लॉकडाउन के दौरान का नहीं, बल्कि पुराना था।

ज़्यादा पुष्टि के लिए हमने दिल्ली विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग में सहायक प्रोफेसर (अतिथि संकाय) श्रुति कसाना से संपर्क किया था। उन्होंने हमें बताया था “मैंने यह फ़ेसबुक पोस्ट देखा और मैं यकीन से कह सकती हूँ कि यह पौधा सौसरिया ओब्लाटा (सामान्य नाम: ब्रह्म कमल) है। यह उत्तराखंड में अधिकतम उगने वाला फूल है और हिमालय क्षेत्र में 3000 से 4800 मीटर की ऊंचाई पर बहुतायत से उगता है। चूंकि इस पौधे का स्थानीय लोगों द्वारा धार्मिक प्रथाओं में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है और इसके औषधीय गुणों के कारण इसका उपयोग भी किया जाता है, इसलिए यह फूल वर्तमान में दुर्लभ है। मैं पिछले तीन वर्षों से व्यक्तिगत रूप से इस पौधे का अवलोकन कर रही हूं, यह कहना गलत है कि यह कई वर्षों के बाद खिलता है। सौसरिया ओब्लाटा के फूल सालाना खिलते हैं। फूलों की अवधि जुलाई से सितंबर के महीने तक होती है।”

इस पोस्ट को ‘Thakur AbhiRaj Singh Chandell” नाम के एक फेसबुक यूजर ने शेयर किया है। यूजर दिल्ली का रहने वाला है।

विश्वास न्यूज़ ने पहले भी इस पोस्ट की पड़ताल की थी। इस पूरी पड़ताल को आप यहाँ पढ़ सकते हैं।

https://www.instagram.com/p/CCAqdVrn9Tv/

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में ब्रह्मकमल खिलने वाली पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। पुराने वीडियो को अब कुछ लोग कोरोना के कारण कम हुए प्रदूषण से जोड़कर वायरल कर रहे हैं। यह फूल उत्तराखंड में हर साल खिलता है।

  • Claim Review : यह अनहोनी घटना सदियों बाद हुई है। कभी न दिखाई देनेवाला देव पुष्प ब्रह्मकमल! लॉकडाऊन में प्रदुषण कम होने के चलते प्रकृति के करवट लेते ही देवभूमि उत्तराखंड की वादियों में लाखों की संख्या में खिला है।
  • Claimed By : Thakur AbhiRaj Singh Chandell
  • Fact Check : झूठ
झूठ
फेक न्यूज की प्रकृति को बताने वाला सिंबल
  • सच
  • भ्रामक
  • झूठ

पूरा सच जानें... किसी सूचना या अफवाह पर संदेह हो तो हमें बताएं

सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी मैसेज या अफवाह पर संदेह है जिसका असर समाज, देश और आप पर हो सकता है तो हमें बताएं। आप हमें नीचे दिए गए किसी भी माध्यम के जरिए जानकारी भेज सकते हैं...

टैग्स

अपनी प्रतिक्रिया दें

No more pages to load

संबंधित लेख

Next pageNext pageNext page

Post saved! You can read it later