Quick Fact Check: पुरानी टेक्स्ट बुक में COVID-19 का उल्लेख नहीं है, भ्रामक पोस्ट फिर वायरल

पुरानी किताब में कोविड-19 और इसके इलाज के जिक्र होने का दावा भ्रामक है। पोस्ट एक बार फिर सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट फिर से वायरल हो रही है। इस पोस्ट में किसी किताब का एक पेज दिखाया जा रहा है। कैप्शन में दावा किया जा रहा है कि 12वीं क्लास की किताब में कोविड-19 का इलाज मौजूद है और वायरस नया नहीं है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में ये दावा भ्रामक पाया गया है। कोविड-19 कोरोना वायरस परिवार का नया वायरस है। इसकी वैक्सीन के लिए क्लिनिकल ट्रायल अब भी जारी है।

क्या हो रहा है वायरल

विश्वास न्यूज को फैक्ट चेकिंग वॉट्सऐप चैटबॉट (+91 95992 99372) पर ये दावा फैक्ट चेक के लिए मिला है। इस पोस्ट में लिखा है, ‘भाइयों काफी किताबों में ढूंढने के बाद बड़ी मुश्किल से कोरोना वायरस की दवा मिली है, हम लोग कोरोना वायरस की दवा ना जाने कहां-कहां ढूंढते रहे, लेकिन कोरोना वायरस की दवा इंटरमीडिएट की जन्तु विज्ञान की किताब में दी गई है, जिस वैज्ञानिक ने इस बीमारी के बारे में लिखा है उसने ही इसके इलाज के बारे में भी लिखा है और यह कोई नई बीमारी नहीं है इसके बारे में तो पहले से ही इंटरमीडिएट की किताब में बताया गया है साथ में इलाज भी। कभी-कभी ऐसा होता है कि डॉक्टर और वैज्ञानिक बड़ी-बड़ी किताबों के चक्कर में छोटे लेवल की किताबों पर ध्यान नहीं देते और यहां ऐसा ही हुआ है। (किताब- जन्तु विज्ञान, लेखक- डॉ रमेश गुप्ता, पेज नं-1072) भाइयों यह कोई फेक न्यूज़ नहीं है इसलिए मेरी आप से यह विनती है कि इस दवा को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें, ताकि किसी कोरोना वायरस से ग्रसित मरीज का इलाज हो सके।’

पड़ताल

इस पोस्ट में कई दावे किए गए हैं। विश्वास न्यूज ने एक-एक कर उन दावों की पड़ताल की:

दावा: डॉ. रमेश गुप्ता द्वारा लिखी गई इस किताब में कोरोना वायरस की डिटेल्स का उल्लेख है।

विश्वास न्यूज ने डॉ. रमेश गुप्ता के पुराने सहयोगी डॉ. वी के द्विवेदी से बात की। हमें उनसे पता चला कि डॉ. गुप्ता अब जिंदा नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी किताब में कोरोना वायरस परिवार की डिटेल्स मौजूद हैं। इसमें नोवल कोरोना वायरस (COVID-19) के बारे में नहीं बताया गया है।

विश्वास न्यूज पहले भी इस दावे की पड़ताल कर चुका है। उस फैक्ट चेक स्टोरी को नीचे विस्तार से पढ़ा जा सकता है।

निष्कर्ष: पुरानी किताब में कोविड-19 और इसके इलाज के जिक्र होने का दावा भ्रामक है। पोस्ट एक बार फिर सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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