Quick Fact Check: मास्क पहनने से फंगल लंग इन्फेक्शन होने के फर्जी दावे वाली पोस्ट फिर से वायरल

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज): मास्क से जुड़ी एक पोस्ट सोशल मीडिया पर फिर से वायरल हो रही है। इस पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि मास्क पहनने से लोगों को फंगल इन्फेक्शन हो रहा है और उन्हें इमरजेंसी रूम में जाना पड़ रहा है। विश्वास न्यूज पहले भी इस दावे की पड़ताल कर चुका है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में ये दावा फर्जी निकला है।

क्या हो रहा है वायरल

विश्वास न्यूज को अपने वॉट्सऐप चैटबॉट (+91 95992 99372) पर ये वायरल दावा फैक्ट चेक के लिए मिला है। यह किसी पोस्ट के स्क्रीनशॉट जैसा है। इसमें लिखा है, ‘मास्क पहनने से लोगों को फंगल लंग इन्फेक्शन हो रहा है और वो ERs में जा रहे हैं!! अपने मास्क से ब्रेक लें।’

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने इंटरनेट पर सर्च कर यह जानकारी लेनी चाही कि क्या मास्क पहनने से फंगल लंग इन्फेक्शन होता है। हमें ऐसी कोई प्रामाणिक रिपोर्ट नहीं मिली, जो इस दावे की पुष्टि करती हो।

हमें यूएस सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) की वेबसाइट पर एक रिपर्ट मिली। इसमें कहा गया है कि लोगों को सार्वजनिक जगहों या अनजान लोगों के बीच में जाने पर मुंह ढंकने वाले मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए।

विश्वास न्यूज ने इस संबंध में नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. निखिल मोदी से भी बात की। उन्होंने कहा कि मास्क पहनने से फंगल लंग इन्फेक्शन का यह दवा पूरी तरह झूठा है।

विश्वास न्यूज पहले भी इस वायरल दावे की पड़ताल कर चुका है। इस बारे में विस्तार से नीचे शेयर की गई खबर की हेडिंग पर क्लिक कर पढ़ा जा सकता है –

निष्कर्ष: कोरोना संक्रमण से बचने के लिए मास्क पहनने से फंगल लंग इन्फेक्शन नहीं होता है। वायरल पोस्ट का दावा फर्जी है।

Disclaimer: विश्वास न्यूज की कोरोना वायरस (COVID-19) से जुड़ी फैक्ट चेक स्टोरी को पढ़ते या उसे शेयर करते वक्त आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिन आंकड़ों या रिसर्च संबंधी डेटा का इस्तेमाल किया गया है, वह परिवर्तनीय है। परिवर्तनीय इसलिए ,क्योंकि इस महामारी से जुड़े आंकड़ें (संक्रमित और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या, इससे होने वाली मौतों की संख्या ) में लगातार बदलाव हो रहा है। इसके साथ ही इस बीमारी का वैक्सीन खोजे जाने की दिशा में चल रहे रिसर्च के ठोस परिणाम आने बाकी हैं और इस वजह से इलाज और बचाव को लेकर उपलब्ध आंकड़ों में भी बदलाव हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि स्टोरी में इस्तेमाल किए गए डेटा को उसकी तारीख के संदर्भ में देखा जाए।

False
Symbols that define nature of fake news
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