नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट फिर से वायरल हो रही है। इसमें दावा किया जा रहा है कि पांडिचेरी यूनिवर्सिटी के एक स्टूडेंट ने कोविड-19 का घरेलू उपचार खोज लिया है और WHO ने भी इसे मान्यता दे दी है। विश्वास न्यूज़ को फैक्ट चेकिंग वॉट्सऐप चैटबॉट (+91 95992 99372) पर भी कई यूजर्स की तरफ से फैक्ट चेकिंग के लिए ये मैसेज भेजा गया है। विश्वास न्यूज़ की पड़ताल में यह दावा गलत पाया गया है। विश्वास न्यूज पहले भी इस दावे की पड़ताल कर चुका है।
फेसबुक यूजर फिर से वायरल हो रहे इस दावे को शेयर कर रहे हैं। Nitin Sawant नाम के एक फेसबुक यूजर ने भी इस दावे को शेयर किया गया। यह दावा अंग्रेजी में शेयर किया गया है।
इस पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
बिल्कुल यही दावा अनुवादित होकर हिंदी में हमें वॉट्सऐप चैटबॉट पर भी मिला है। इस हिंदी दावे में लिखा है, ‘सुखद समाचार 👇 अन्ततोगत्वा पॉन्डिचेरी विश्वविद्यालय के एक भारतीय छात्र रामू ने Covid19 का घरेलू उपचार खोज लिया जिसे WHO ने पहली बार में ही स्वीकृति प्रदान करदी। उसने सिद्ध कर दिया कि एक चम्मच भरकर काली मिर्च का चूर्ण, दो चम्मच शहद थोड़ा सा अदरख का रस लगातार 5 दिनों तक लिया जाय तो कोरोना के प्रभाव को 100%तक समाप्त किया जा सकता है। सम्पूर्ण जगत इस उपचार को लेना आरम्भ कर रहा है। अन्ततः 2020 में एक सुखद अनुभव। इसे अपने सभी परिचितों को प्रेषित अवश्य करें। धन्यवाद।’ यहां इस दावे को ज्यों का ज्यों लिखा गया है।
विश्वास न्यूज ने इस दावे को कई हिस्सों में बांटकर अपनी पड़ताल शुरू की। दावे के मुताबिक, पांडिचेरी यूनिवर्सिटी के एक स्टूडेंट ने कोविड-19 का इलाज खोजा है। हमने पांडिचेरी यूनिवर्सिटी के डायरेक्टर प्रोफेसर एस. बालाकृष्णन से बात की। उन्होंने इस दावे को खारिज करते हुए बताया, ‘यह भ्रामक सूचना पांडिचेरी यूनिवर्सिटी के नाम से वायरल हो रही है। हमारे किसी भी स्टूडेंट ने कोरोना वायरस का कोई इलाज नहीं खोजा है।’
इस मैसेज के दूसरे दावे के मुताबिक, WHO ने स्टूडेंट की बनाई दवा को मान्यता भी दे दी है। हमने इसकी पड़ताल की। असल में WHO के मुताबिक, कुछ पश्चिमी, पारम्परिक या घरेलू उपचार से कोरोना के मामूली लक्षणों में थोड़ा आराम मिल सकता है, लेकिन अब तक ऐसी कोई दवा नहीं बन पाई है, जिससे पूरी तरह से कोरोना वायरस का संक्रमण ठीक हो सके।
यहां क्लिक कर इस दावे को लेकर विश्वास न्यूज की पहले की पड़ताल को पढ़ा जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने इस संदर्भ में आयुष मंत्रालय के डॉक्टर विमल एन से भी संपर्क किया। उन्होंने बताया, ‘अदरक, शहद और काली मिर्च से खांसी में आराम मिल सकता है, लेकिन इससे कोरोना वायरस का इलाज हो सके, ऐसा कोई प्रमाण अब तक नहीं मिला है।’
इस पोस्ट को Nitin Sawant नाम के फेसबुक यूजर ने शेयर किया है। हमने इस प्रोफाइल को स्कैन किया। हमें पता चला कि यूजर मुंबई का रहनेवाला है।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा फर्जी पाया गया है। पांडिचेरी यूनिवर्सिटी ने इस दावे का खंडन किया है कि उनके स्टूडेंट ने कोविड-19 की दवा खोज ली है। WHO ने भी ऐसी किसी दवा को मान्यता नहीं दी है।
Disclaimer: विश्वास न्यूज की कोरोना वायरस (COVID-19) से जुड़ी फैक्ट चेक स्टोरी को पढ़ते या उसे शेयर करते वक्त आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिन आंकड़ों या रिसर्च संबंधी डेटा का इस्तेमाल किया गया है, वह परिवर्तनीय है। परिवर्तनीय इसलिए,क्योंकि इस महामारी से जुड़े आंकड़ें (संक्रमित और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या, इससे होने वाली मौतों की संख्या) में लगातार बदलाव हो रहा है। इसके साथ ही इस बीमारी का वैक्सीन खोजे जाने की दिशा में चल रहे रिसर्च के ठोस परिणाम आने बाकी हैं और इस वजह से इलाज और बचाव को लेकर उपलब्ध आंकड़ों में भी बदलाव हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि स्टोरी में इस्तेमाल किए गए डेटा को उसकी तारीख के संदर्भ में देखा जाए।
सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी खबर पर संदेह है जिसका असर आप, समाज और देश पर हो सकता है तो हमें बताएं। हमें यहां जानकारी भेज सकते हैं। हमें contact@vishvasnews.com पर ईमेल कर सकते हैं। इसके साथ ही वॅाट्सऐप (नंबर – 9205270923) के माध्यम से भी सूचना दे सकते हैं।