Quick Fact Check : 35 साल पुरानी तस्‍वीर को अब कोरोना से जोड़कर किया जा रहा है वायरल

विश्‍वास न्‍यूज की जांच में पता चला कि वायरल पोस्‍ट झूठी है। 1985 की तस्‍वीर को अब 2020 में कोरोना से जोड़कर फर्जी दावों के साथ वायरल किया जा रहा है।

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया में एक मां और बच्‍चे की मार्मिक तस्‍वीर वायरल हो रही है। इस तस्‍वीर को कोरोना से जोड़कर वायरल किया जा रहा है। तस्‍वीर के साथ दावा किया गया कि यह इटली की एक कोरोना पीड़ित महिला और उसके बच्‍चे की तस्‍वीर है।

विश्‍वास न्‍यूज ने पहले भी वायरल तस्‍वीर की जांच की थी। हमारी जांच में वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। दरअसल यह तस्‍वीर 1985 की है। 35 साल पुरानी यह तस्‍वीर वॉशिंगटन के फ्रेड हचिंसन कैंसर सेंटर की है।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक पेज ‘दोस्‍त’ ने 24 जून को वायरल पोस्‍ट को अपलोड करते हुए लिखा कि महामारी की गंभीरता को समझें।

पोस्‍ट में हमें एक महिला दिखीं। लेटी हुई यह महिला प्‍लास्टिक के सुरक्षा कवच से पूरी तरह ढकी हुई थी। तस्‍वीर में महिला के ऊपर हमें एक बच्‍चा लेटा हुआ दिखा। तस्‍वीर के साथ लिखा गया : ‘मान जाओ, तुम्‍हारे भी बीवी बच्‍चे हैं। इटली की महिला कोरोना की तीसरी ओर आखिरी स्‍टेज में थी। सामने उनका 18 महीने का बच्‍चा बहुत रो रहा था। उसने अपनी आखरी इच्छा सरकार से जाहिर कि की वो अपने बच्‍चे को गले लगाना चाहती हैं। सरकार ने उसकी पूरी बॉडी को पारदर्शी मोम से कवर करके बच्‍चे को उसकी छाती पर लेटा दिया। बच्‍चा चुप हो गया ओर मां हमेशा के लिए चुप हो गई।’

इस वायरल पोस्‍ट को सच मानकर अब तक 400 से ज्‍यादा लोग शेयर कर चुके हैं।

पोस्‍ट का ओरिजनल और आकाईव वर्जन यहां देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने पड़ताल के दौरान सबसे पहले वायरल तस्‍वीर को गूगल रिवर्स इमेज टूल में अपलोड करके सर्च करना शुरू किया। सबसे पुरानी तस्‍वीर हमें अमेरिकन फोटो एजेंसी Magnum Photos की वेबसाइट पर मिली।

तस्‍वीर के कैप्‍शन में जानकारी दी गई कि यह फोटो बर्ट ग्लिन ने क्लिक की थी। तस्वीर वॉशिंगटन के फ्रेड हचिंसन कैंसर सेंटर की है। तस्वीर 1985 की है। तस्‍वीर में दिख रहा बच्चा लेमिनार एयर फ्लो रूम में था। जिसके कारण उसकी मां ने ये सुरक्षा पोशाक पहनी हुई है। बच्चे का बोनमैरो ट्रांसप्लांट होने वाला था।

इसके बाद विश्‍वास न्‍यूज ने फोटो जर्नलिस्‍ट बर्ट ग्लिन के बारे में जानकारी जुटाना शुरू किया। हमें पता चला कि उनकी मौत 2008 में ही हो चुकी है। इसके बाद विश्‍वास न्‍यूज ने उनकी पत्‍नी एलिना प्रोहस्‍का ग्लिन से संपर्क किया। उन्‍होंने बताया कि तस्‍वीर बहुत पुरानी है। इसका कोरोना से कोई संबंध नहीं है।

पूरी पड़ताल आप यहां पढ़ सकते हैं।

अंत में हमने फर्जी पोस्‍ट करने वाले फेसबुक पेज की जांच की। हमें पता चला कि ‘दोस्‍त’ नाम का यह पेज 28 अगस्‍त 2011 को बना था। इसे पांच लाख से ज्‍यादा लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की जांच में पता चला कि वायरल पोस्‍ट झूठी है। 1985 की तस्‍वीर को अब 2020 में कोरोना से जोड़कर फर्जी दावों के साथ वायरल किया जा रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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