जांच में पता चला कि प्रयागराज के एक स्कूल में हुई घटना के वीडियो को कर्नाटक के सरकारी स्कूल का बताकर झूठे सांपद्रायिक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।
नई दिल्ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें एक महिला को जबरन कुर्सी से उठाते हुए कुछ लोगों को देखा जा सकता है। इस वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि यह कर्नाटक के एक सरकारी स्कूल का वीडियो है। इतना ही नहीं, दावा यह भी किया जा रहा है कि जब एक हिंदू महिला इस सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल बनती हैं, तो वहां के ईसाई कर्मचारी उसे कुर्सी पर बैठने नहीं देते हैं।
विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की जांच की। दावा फर्जी और सांप्रदायिक साबित हुआ। दरअसल वायरल वीडियो यूपी के प्रयागराज के एक स्कूल का है। स्कूल की नई प्रधानाचार्य शर्ली मसीह को बैठाने के लिए पारुल सोलोमन को जबरन कुर्सी से हटाया गया। घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं था। दोनों ही पक्ष ईसाई थे।
इंस्टाग्राम हैंडल krishnabhardwaj889 ने 7 जुलाई को एक वीडियो को पोस्ट करते हुए इसे कर्नाटक के सरकारी स्कूल का बताया। वीडियो के ऊपर लिखा गया, “एक हिंदू महिला जब कर्नाटक में एक सरकारी स्कूल की प्रिंसिपल बनती है तो वहां का स्टाफ जो सभी ईसाई था वो उसको कुर्सी पर नहीं बैठने देता है और एक ईसई महिला जो पहले प्रिंसिपल थी उसी को फिर से बैठा देता है। हिंदुओं तुम सब एक एक कर खत्म हो जाओगे।”
वायरल पोस्ट के कंटेंट को यहां ज्यों का त्यों ही लिखा गया है। इसे सच मानकर दूसरे यूजर्स भी शेयर कर रहे हैं। पोस्ट का आर्काइव वर्जन यहां देखें।
विश्वास न्यूज ने वायरल वीडियो की सच्चाई जानने के लिए सबसे पहले इसके कई कीफ्रेम्स निकाले। फिर इन्हें गूगल लेंस टूल के जरिए सर्च किया। हमें कई न्यूज वेबसाइट पर इस वीडियो से जुड़ी खबरें मिलीं। इन खबरों के मुताबिक, वायरल वीडियो वाली घटना यूपी के प्रयागराज में घटी थी।
खबर में बताया गया, “पूरा मामला 11 फरवरी को हुए आरओ-एआरओ पेपर लीक से जुड़ा है। बिशप के मुताबिक, बिशप जॉनसन गर्ल्स विंग’ स्कूल से जुड़े स्टाफ विनीत जसवंत समेत दो लोगों को एसटीएफ ने पेपर लीक मामले में गिरफ्तार किया था, जिसमें प्रिंसिपल पारुल सोलोमन की भूमिका भी सामने आई थी। उनके मुताबिक, पेपर लीक मामले में नाम आने के बाद ही प्रिंसिपल पर एक्शन लिया गया है, उन्हें पहले ही टर्मिनेट किया जा चुका है। पेपर लीक मामले में स्कूल का नाम सामने आने के बाद स्कूल का नाम खराब हो रहा था।”
खबर में आगे बताया गया, “प्रिंसिपल पारुल सोलोमन को बर्खास्त करने के बाद शर्ली मेसी को स्कूल का नया प्रिंसिपल बनाया गया था, लेकिन जब मेसी चार्ज लेने पहुंची, तो पारुल सोलोमन ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और जब दरवाजा खोलकर वो लोग अंदर पहुंचे, तो स्कूल के कुछ टीचर्स ने उन्हें कुर्सी से हटा दिया। बिशप का कहना है कि पारुल ने उन लोगों के खिलाफ छेड़छाड़ सहित कई गंभीर धाराओं में मामला दर्ज करवाया है, जबकि वीडियो और सीसीटीवी फुटेज से साफ है कि उन्होंने पारुल को हाथ नहीं लगाया।”
एनडीटीवी की वेबसाइट पर यह खबर 6 जुलाई को पब्लिश की गई। पूरी खबर को यहां पढ़ा जा सकता है।
जांच के दौरान दैनिक जागरण, प्रयागराज के ईपेपर को स्कैन किया। हमें 6 जुलाई को प्रकाशित एक खबर मिली। इस खबर में बताया गया कि प्रयागराज बिशप जानसन गर्ल्स विंग की प्रधानाचार्य पारुल सोलोमन को हटाने का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हो रहा है। वीडियो में कुछ लोग पारुल को प्रधानाचार्य की कुर्सी से जबरन हटाते हुए नजर आ रहे हैं। नई प्रधानाचार्य को पदभार ग्रहण कराने के लिए बिशप मोरिस एडगर दान कुछ लोगों के साथ शुक्रवार को विद्यालय पहुंचे। वहां प्रधानाचार्य कार्यालय का दरवाजा बंद होने पर उसे तोड़कर सभी भीतर घुसे। प्रधानाचार्य की कुर्सी पर बैठीं पारुल सोलोमन से धक्का-मुक्की कर जबरन कुर्सी से हटाया गया। इसके बाद कुर्सी पर शलीं मसीह को बैठाकर बिशप दान ने आशीर्वाद दिया। पूरी खबर को नीचे पढ़ा जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए दैनिक जागरण, प्रयागराज के संपादकीय प्रभारी राकेश पांडेय से संपर्क किया। उनके साथ वायरल पोस्ट को शेयर किया। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि वायरल वीडियो के साथ किया गया दावा फेक है। घटना यूपी की है। दोनों पक्ष ईसाई हैं।
वहीं, कर्नलगंज थाना प्रभारी प्रदीप कुमार का कहना है कि स्कूल में हुए विवाद के बाद पूर्व प्रधानाचार्य पारुल सोलोमन द्वारा की गई शिकायत के आधार पर वर्तमान में प्रधानाचार्य सहित 10 के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जांच की जा रही है।
जांच के अंत में फर्जी पोस्ट करने वाले यूजर की जांच की गई। इंस्टाग्राम हैंडल krishnabhardwaj889 की सोशल स्कैनिंग की। यूजर को 23 हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष : विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल पोस्ट फेक साबित हुई। प्रयागराज के एक स्कूल में हुई घटना के वीडियो को कर्नाटक के सरकारी स्कूल का बताकर झूठे सांपद्रायिक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।
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