Fact Check : धीरे-धीरे धंस रहे जोशीमठ के नाम पर पेरू में आए भूस्‍खलन की पुरानी तस्‍वीर वायरल

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। यह भ्रामक साबित हुई। जिस तस्‍वीर को जोशीमठ का बताकर वायरल किया जा रहा है, वह 2018 में पेरू में आए एक भूस्‍खलन की है।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। जोशीमठ के पहाड़ दरक रहे हैं। इसी के साथ वहां के निवासियों की उम्‍मीदें भी टूट रही हैं। हर दिन जोशीमठ से डरावनी और दर्दनाक तस्‍वीरें आ रही हैं। इन्‍हीं तस्‍वीरों के बीच एक पहाड़ के भूस्‍खलन की खौफनाक तस्‍वीर को शेयर करते हुए कुछ सोशल मीडिया यूजर्स इसे जोशीमठ की बताकर वायरल कर रहे हैं। विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। यह भ्रामक साबित हुई। जिस तस्‍वीर को जोशीमठ का बताकर वायरल किया जा रहा है, वह 2018 में पेरू में आए एक भूस्‍खलन की है।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर आशु चमोली पहाड़ी ने एक पोस्‍ट को शेयर करते हुए सेफ जोशी मठ लिखा। यह पोस्‍ट 11 जनवरी को की गई। इसमें एक तस्‍वीर का इस्‍तेमाल करते हुए अंग्रेजी में लिखा गया : 600 families of Uttarakhand’s sinking joshimath to be shiftedto safer locations, Plea in SC to declare it ‘national disaster’

पोस्‍ट के कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्‍यों लिखा गया है। इसे फेसबुक, ट्विटर और वॉट्सऐप पर भी वायरल किया जा रहा है। इस पोस्‍ट का आर्काइव वर्जन यहां देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल तस्‍वीर की सच्‍चाई जानने के लिए सबसे पहले गूगल रिवर्स इमेज टूल का इस्‍तेमाल किया। तस्‍वीर को इस टूल के माध्‍यम से सर्च करने पर कई वेबसाइट पर यह तस्‍वीर पुरानी तारीख से अपलोड मिली। इस तस्‍वीर को लेकर बताया गया कि 2018 में पेरू में आए भूस्‍खलन की यह तस्‍वीर है। इस भूस्‍खलन के कारण लुटो कुटटो गांव पूरी तरह तहस-नहस हो गया था। इसके बारे में यहां पढ़ा जा सकता है।

सर्च के दौरान हमें यूट्यूब पर भी इस घटना से जुड़े कई वीडियो मिले। एक यूट्यूब चैनल ने इतिहास के पांच सबसे बड़े लैंडस्‍लाइड कैप्‍शन के साथ बनाए गए वीडियो में इसे भी शामिल किया। इस वीडियो में जोशीमठ के नाम से इस्‍तेमाल की गई तस्‍वीर को 3:30 मिनट बाद देखा जा सकता है। इसमें बताया गया कि पेरू के एक गांव में यह भूस्‍खलन आया था।

जांच के दौरान असली तस्‍वीर हमें पेरू के रक्षा मंत्रालय के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी मिली। इसे 16 मार्च 2018 को पोस्‍ट किया गया था।

पड़ताल के अगले चरण में हमने जोशी मठ के बारे में जानकारी जुटाई। दैनिक जागरण के देहरादून संस्‍करण में 12 जुलाई को प्रकाशित खबरों से विस्‍तार से जोशीमठ में आ रही दरार के बारे में जानकारी मिली। खबरों में बताया गया कि धीरे-धीरे धंस रहे जोशीमठ में प्रशासन और स्‍थानीय जन के बीच खतरे की जद में आए भवनों के मूल्‍यांकन और मुआवजा राशि को लेकर गतिरोध जारी है। जोशीमठ के चार वार्डों गांधीनगर, सिंहधार, मनोहर बाग और सुनील को खाली कराया जा रहा है। इन वार्डों में 398 भवन चिहिन्‍त किए जा चुके हैं, जो निवास योग्‍य नहीं हैं। इनमें 86 भवन व होटल खतरनाक की श्रेणी आ चुके हैं।

पड़ताल के दौरान हमें पता चला कि सुप्रीम कोर्ट में जोशीमठ के संकट को राष्‍ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए अदालत से हस्‍तक्षेप करने की भी मांग की गई है।

विश्‍वास न्‍यूज ने जांच को आगे बढ़ाते हुए दैनिक जागरण के चमोली जिला प्रभारी देवेंद्र रावत से संपर्क किया। उनके साथ वायरल तस्‍वीर को शेयर किया। उन्‍होंने जानकारी देते हुए बताया कि वायरल तस्‍वीर जोशी मठ की नहीं है।

पड़ताल के अंतिम चरण में पेरू की तस्‍वीर को जोशीमठ की बताकर शेयर करने वाले यूजर की जांच की गई। फेसबुक यूजर चमोली पहाड़ी की सोशल स्‍कैनिंग में पता चला कि यूजर को छह सौ से ज्‍यादा लोग फॉलो करते हैं।

निष्‍कर्ष : विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में जोशीमठ के नाम पर वायरल तस्‍वीर पेरू की निकली। यह 2018 में वहां आए भूस्‍खलन की फोटो है। इसका जोशीमठ से कोई संबंध नहीं है।

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