वायरल हो रहा वीडियो कर्नाटक का नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के उज्जैन का पुराना वीडियो है।
नई दिल्ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर वायरल एक वीडियो में ट्रैक्टर सवार को एक मूर्ति को तोड़ते हुए देखा जा सकता है। 58 सेकंड के इस वीडियो को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि कर्नाटक में कांग्रेस के राज में भगवान राम की मूर्ति को नुकसान पहुंचाया गया है।
विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की विस्तार से जांच की। कई ऑनलाइन टूल्स का उपयोग किया। पड़ताल में हमने इसे गलत पाया। वायरल हो रहा वीडियो कर्नाटक का नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के उज्जैन का पुराना वीडियो है।
दरअसल, जनवरी 2024 में उज्जैन जिले में डॉ भीमराव आंबेडकर और सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा लगाने को लेकर विवाद हो गया था। एक पक्ष आंबेडकर की प्रतिमा लगाना चाहता था, जबकि दूसरे पक्ष ने पटेल की प्रतिमा लगा दी। इसके बाद विवाद हो गया। कुछ लोग ने सरदार पटेल की प्रतिमा तोड़ दी थी। अब उसी घटना से जुड़े वीडियो को कर्नाटक का बताकर सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।
फेसबुक यूजर Chandradeo B Singh Tomar ने 3 सितंबर को एक वीडियो को पोस्ट करते हुए लिखा, “कर्नाटक के हिन्दुओं ने बीजेपी सरकार को हराकर कांग्रेस पार्टी की सरकार बनाई थी। अब कांग्रेस सरकार की हरकतों और मुस्लिम तुष्टिकरण की पराकाष्ठा के कारण पछता रहे हैं।Think again and again.?? Agar aaj nahi chety to ye aapkey waha bhi hoga ek din।”
वायरल पोस्ट के कंटेंट को यहां ज्यों का त्यों ही लिखा गया है। इसके आर्काइव वर्जन को यहां देखा जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने पड़ताल की शुरुआत वायरल वीडियो को स्कैन करने से की। वीडियो में दिख रहे लोग ऊनी कपड़े पहने हुए हैं। इसका मतलब यह हुआ कि वायरल वीडियो में हुई घटना सर्दी के मौसम में हुई है।
जांच को आगे बढ़ाते हुए विश्वास न्यूज ने वायरल वीडियो के कई कीफ्रेम्स निकाले। फिर इन्हें गूगल लेंस टूल की मदद से सर्च करना शुरू किया। हमें वायरल वीडियो से जुड़ी क्लिप कई खबरों में मिली।
एमपी तक नाम के एक यूट्यूब चैनल ने 25 जनवरी 2024 को अपनी खबर में बताया गया, “मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव के गृह जिले उज्जैन में खूब बवाल हुआ। यहां पर सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा को बेरहमी से तोड़ दिया गया। प्रतिमा को ट्रैक्टर से गिरा दिया गया। इस घटना के बाद से दूसरा पक्ष भी नाराज हो गया। जमकर हंगामा हुआ। कुछ गाड़ियां भी जला दी गईं। जिस दौरान प्रतिमा तोड़ी जा रही थी। उस दौरान वहां पर पुलिस वाले भी मौजूद थे। लेकिन उपद्रवियों के आगे वो हाथ बांधे खड़े दिखे। प्रतिमा को तोड़ने में महिलाओं ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।”
गूगल सर्च के दौरान हमें नईदुनिया डॉट कॉम पर एक खबर मिली। 25 जनवरी 2024 को पब्लिश इस खबर में बताया गया, “उज्जैन जिले के माकड़ोन क्षेत्र में सरदार पटेल की प्रतिमा क्षतिग्रस्त करने पर विवाद हो गया। दो पक्षों में जमकर विवाद के बाद पथराव हुआ। इस दौरान कुछ वाहन भी जला दिए गए। एक पक्ष संविधान निर्माता डॉ भीमराव आंबेडकर की मूर्ति लगाना चाहता था, लेकिन दूसरे पक्ष ने सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति लगा दी। इसके बाद विवाद हो गया।”
पूरी खबर यहां पढ़ा जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने जांच को आगे बढ़ाते हुए नईदुनिया, उज्जैन के ब्यूरो चीफ सूर्यनारायण मिश्रा से संपर्क किया। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि वायरल पोस्ट वाली घटना जनवरी 2024 में मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के माकड़ोन क्षेत्र की है। दो पक्षों में हुए विवाद के दौरान ट्रैक्टर से सरदार पटेल की प्रतिमा गिरा दी गई थी। इस मामले में पुलिस ने 22 आरोपितों को गिरफ्तार कर कार्रवाई की थी।
अंत में फेसबुक यूजर Chandradeo B Singh Tomar की सोशल स्कैनिंग की गई। पता चला कि यूजर भोपाल में रहता है। इसके अकाउंट को एक हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष : विश्वास न्यूज की पड़ताल में पता चला कि उज्जैन में हुई घटना के वीडियो को कर्नाटक का बताकर झूठ फैलाया जा रहा है। उज्जैन में जनवरी 2024 को कुछ लोग ने सरदार पटेल की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाया था।
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