नई दिल्ली (विश्वास टीम)। एक सितंबर से देशभर में लागू हुए नए ट्रैफिक नियम के बाद पुलिस के अत्याचार से जुड़े कई पुराने वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं। इसी कड़ी में एक पुराना वीडियो अब यूपी के बस्ती जिले का वायरल हो रहा है। इसमें दावा किया जा रहा है कि 14 सितंबर को पुलिस ने वाहन चेकिंग के नाम पर वाहन मालिक को मारा। विश्वास टीम की पड़ताल में वीडियो के साथ किया गया दावा फर्जी साबित हुआ। वीडियो करीब दो साल पुराना है। बस्ती के गौर थाने के पास एक युवक शराब पीकर उत्पात मचा रहा था। वायरल वीडियो उसी घटना से जुड़ा हुआ है।
फेसबुक यूजर पंडित शुभम शुक्ला ने 14 सितंबर को दोपहर के 11:51 बजे एक वीडियो को अपलोड करते हुए दावा किया : “आज शनिवार को गौर थाना की पुलिस ने वाहन चेकिंग के नाम पर मचाई आतंक घसीट घसीट कर वाहन मालिक को मारा गया आज 14 तारीख यह है बस्ती जिले के गौर थाने की पुलिस पुलिस इन लोगों इन लोगों के खिलाफ तत्काल कार्यवाही होनी चाहिए।”
इस वीडियो को अब तक 1300 से ज्यादा बार शेयर किया जा चुका है। इस पर 184 लोग अपनी प्रतिक्रिया दे चुके हैं।
विश्वास टीम ने सबसे पहले वायरल वीडियो को ध्यान से सुना। इसमें हमें सड़क किनारे एक बोर्ड नजर आया। इस पर थाना गौर और जनपद बस्ती लिखा हुआ था। इसका मतलब यह हुआ कि वीडियो यूपी के बस्ती जिले के गौर थाने का है।
इसके अलावा पुलिसवालों ने जो वर्दी पहनी हुई है, वह ऊनी वर्दी है, जो कि ठंड में पहनी जाती है। यानि वीडियो ठंड के मौसम का है।
इसके बाद हमने यूट्यूब पर ‘बस्ती के गौर थाने की पुलिस’ टाइप करके सर्च किया तो हमें पता लगा कि इस वीडियो को गलत दावे के साथ यूट्यूब पर भी अपलोड किया जा रहा है।
लेकिन हमें यह जानना था कि सबसे पहले यह वीडियो कब अपलोड किया गया था। सर्च के दौरान हमें सबसे पुराना वीडियो 14 नवंबर 2017 का मिला। इसे OnaNews के यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया था।
पड़ताल के दौरान हमें पंजाबकेसरी की वेबसाइट पर एक खबर और वीडियो मिला। इसमें बताया गया कि यूपी पुलिस ने सरेआम युवक को बेरहमी से पीटा। घटना बस्ती के गौर थाने की है। खबर के मुताबिक, युवक शराब पीकर कई लोगों को परेशान कर रहा था। वीडियो के वायरल होने के बाद जांच के आदेश दे दिए गए थे। पीडि़त युवक पास के ही माझामानपुर गांव का रहने वाला राम निहोर था। यह खबर साइट पर 14 नवंबर 2017 को पब्लिश की गई थी।
जांच को आगे बढ़ाते हुए हम बस्ती पुलिस के ट्विटर हैंडल @bastipolice पर गए। वहां पर 16 सितंबर को इस वायरल वीडियो को ट्वीट करते हुए सूरज सिंह नाम के यूजर ने यूपी पुलिस को टैग करते हुए पूछा कि क्या यह मानवाधिकार उल्लंघन नहीं है। इसके जवाब में बस्ती पुलिस ने लिखा : उक्त वीडियो वर्ष 2017 का है न कि वर्तमान समय का है । यह घटना काफी पुरानी है ,वीडियो को देखने से वर्दी शीतकालीन है जबकि वर्तमान समय में ग्रीष्मकालीन वर्दी धारण की जा रही है यह घटना न ही किसी वाहन चेकिंग की है।
इसके बाद विश्वास टीम ने बस्ती के पुलिस अधीक्षक के कार्यालाय में कॉल किया। हमारी बात पुलिस अधीक्षक के पीआरओ आलोक राय से हुई। उन्होंने बताया कि वायरल वीडियो 2017 का है। इस वीडियो का वाहन चेकिंग से कोई संबंध नहीं है।
फिर विश्वास टीम ने गौर थाने में संपर्क किया। वहां हमारी बात सब इंस्पेक्टर जगन्नाथ यादव से हुई। उन्होंने बताया कि वायरल वीडियो करीब दो साल पुराना है। बाजार में पति-पत्नी खरीददारी के लिए आए हुए थे। वहीं पति ने शराब पीकर पत्नी से मारपीट की थी। जिसके बाद पत्नी भागते हुए थाने में आ गई थी। पति थाने में भी उत्पात मचाने लगा था। वीडियो उसी घटना का है।
पड़ताल के अंतिम चरण में हमने उस यूजर की सोशल स्कैनिंग की, जिसने दो साल पुराने वीडियो को गलत संदर्भ में अब वायरल किया। हमें पता लगा कि पंडित शुभम शुक्ला यूपी के लखनऊ में रहते हैं। शुभम ने नवंबर 2017 को फेसबुक पर अपना अकाउंट बनाया था। इस अकाउंट को 1300 लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष : हमारी पड़ताल में पता चला कि वाहन चेकिंग के नाम पर गाड़ी मालिक को पीटने वाला वीडियो का दावा फर्जी है। वीडियो नवंबर 2017 का है। यूपी के बस्ती जिले के गौर थाने के पास एक आदमी पर शराब पीकर उत्पात मचाने का आरोप लगा था। वीडियो उसी घटना का है। इस वीडियो का वाहन चेकिंग से कोई संबंध नहीं है।
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