विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह डेढ़ दशक से ज्यादा पुरानी तस्वीर उस वक्त की है, जब शंकराचार्य रामदेव पीर की समाधि के प्रतिरूप पर श्रद्धासुमन अर्पित करने पहुंचे थे। पुरानी तस्वीर को मजार के हवाले से फर्जी दावे के साथ फैलाया जा रहा है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसको शेयर करते हुए यूजर शंकराचार्य पर निशाना साध रहे हैं। यूजर दावा कर रहे हैं शंकराचार्य पिछले दिनों मजार पर चादर चढाने गए थे।
विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह डेढ़ दशक से ज्यादा पुरानी तस्वीर उस वक्त की है, जब शंकराचार्य रामदेव पीर की समाधि के प्रतिरूप पर श्रद्धासुमन अर्पित करने पहुंचे थे। पुरानी तस्वीर को मजार के हवाले से फर्जी दावे के साथ फैलाया जा रहा है।
फेसबुक यूजर ने वायरल पोस्ट को शेयर हुए लिखा, ‘राम मंदिर नहीं गया क्योंकि वहां सब शास्त्र विरोधी कार्य हो रहा है,यहां सब ठीक ठाक था इसलिए आ गया! मजार वाले बाबा के जय हो।’
पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखें।
अपनी पड़ताल को शुरू करते हुए सबसे पहले हमने गूगल लेंस के जरिये वायरल फोटो को सर्च किया। सर्च किये जाने पर हमें वायरल फोटो ईमंच नाम के एक फेसबुक पेज पर 17 जुलाई 2023 को अपलोड हुई मिली। यहां दी गई जानकारी के मुताबिक, यह तस्वीर उस वक्त की है, जब दिल्ली में शंकराचार्य ने स्वामी अरविंद के गुरु की समाधि पर श्रद्धासुमन अर्पित किए थे। वहीं, इस वायरल फोटो के बैकग्राउंड में सफ़ेद कपड़ों में नजर आ रहे शख्स स्वामी अरविंद हैं।
इसी बुनियाद पर हमने अपनी पड़ताल को आगे बढ़ाया और हमें ज्योर्तिमठ शंकराचार्य के एक्स हैंडल पर 16 जनवरी 2024 को एक इंटरव्यू पोस्ट हुआ मिला। यहां इंटरव्यू में शंकराचार्य से जब अजमेर शरीफ में चादर चढ़ाने के दावों से जुड़ा सवाल किया गया तो शंकराचार्य ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि वह किसी मजार या दरगाह पर नहीं गए हैं। उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने के मकसद से ऐसा फर्जी दावा किया जा रहा है। जब रामसेतु को लेकर आंदोलन चल रहा था, तब अरविंद स्वामी नाम के व्यक्ति ने उनसे दिल्ली स्थित आश्रम में आने की गुजारिश की थी। वहां संत रामदेव पीर की समाधि का प्रतिरूप बनाकर पूजा की जाती थी। अरविंद स्वामी के कहने पर वह वहां गए थे।
यह पोस्ट इससे पहले भी वायरल हो चुकि है और उस वक्त हमने ज्योर्तिमठ के मीडिया प्रभारी संजय पांडे से संपर्क किया था। उन्होंने इस बारे में बात करते हुए बताया था कि शंकराचार्य रामदेव पीर की समाधि के प्रतिरूप पर गए थे। मजार पर जाने का दावा गलत है।
आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, ”सनातन धर्म में शंकराचार्य का पद सर्वोच्च माना जाता है। भारत में शंकराचार्य पद की स्थापना आदि शंकराचार्य ने की थी। आदि शंकराचार्य ने भारत में चार मठों की स्थापना की थी। इन चारों मठों में उत्तर के बद्रिकाश्रम का ज्योर्तिमठ, दक्षिण का शृंगेरी मठ, पूर्व में जगन्नाथपुरी का गोवर्धन मठ और पश्चिम में द्वारका का शारदा मठ शामिल है। इन चार मठों के प्रमुख को शंकराचार्य कहा जाता है।”
बता दें कि इस वक्त सनातन धर्म में चार शंकराचार्य हैं। जिनमें ज्योतिष्पीठाधीश्वर अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती समेत तीन अन्य शंकराचार्य, शारदा पीठाधीश्वर स्वामी श्री सदानन्द सरस्वती जी महाराज, गोवर्धन पीठाधीश्वर निश्चलानन्द सरस्वती जी महाराज, और दक्षिणाम्नाय स्वामी श्री भारतीतीर्थ जी महाराज शामिल हैं।
अब बारी थी फर्जी पोस्ट को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर की सोशल स्कैनिंग करने की। हमने पाया कि यूजर विचारधारा प्रेरित पोस्ट शेयर करता है।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह डेढ़ दशक से ज्यादा पुरानी तस्वीर उस वक्त की है, जब शंकराचार्य रामदेव पीर की समाधि के प्रतिरूप पर श्रद्धासुमन अर्पित करने पहुंचे थे। पुरानी तस्वीर को मजार के हवाले से फर्जी दावे के साथ फैलाया जा रहा है।
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