Fact Check : संत प्रह्लाद जानी का वर्ष 2020 में ही हो चुका है निधन, वायरल पोस्‍ट भ्रामक है

Fact Check : संत प्रह्लाद जानी का वर्ष 2020 में ही हो चुका है निधन, वायरल पोस्‍ट भ्रामक है

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। गुजरात के प्रख्‍यात संत प्रह्लाद जानी को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्‍ट वायरल हो रही है। इस पोस्‍ट में दावा किया जा रहा है कि प्रह्लाद जानी का निधन आज (10 अक्‍टूबर) को हो गया है। विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। दावा भ्रामक साबित हुआ। दरअसल प्रह्लाद जानी का निधन वर्ष 2020 में ही हो गया था। लेकिन कुछ लोग उनकी तस्‍वीर का इस्‍तेमाल करते हुए भ्रम फैला रहे हैं।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर आशीष पांडेय ने एक ग्रुप में 10 अक्‍टूबर को एक पोस्‍ट करते हुए लिखा : ‘ये सन्त प्रहलाद बाबा जो 80 वर्षो से बिना अन्न ~ जल ग्रहण किये बिना ये तपस्या भगवान की भक्ति में लिन थे ये आज इनकी मृत्यु हो गई भगवान इनकी आत्मा को शांती दे शिव ~ शिव यह हमारे सनातन धर्म के सुपरस्टार हैं आज अगर कोई हीरो मर जाता पूरे फेसबुक पर छा जाता हमारे समस्त सत्य सनातन धर्म सबको पता लगे इसलिए सभी से अनुरोध करता हूं कि जिस तरह बॉलीवुड के हीरो मर जाते हैं उनके लिए चिल्ला चिल्ला कर फेसबुक पर तुम जो रोते हो कम से कम अपने सत्य सनातन धर्म को भी देख लिया करो।’

वायरल पोस्‍ट के क्‍लेम को यहां ज्‍यों का त्‍यों लिखा गया है। इसे सच मानकर दूसरे यूजर्स भी वायरल कर रहे हैं। इसका आर्काइव वर्जन यहां देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने पड़ताल की शुरुआत ऑनलाइन टूल से की। इसके लिए सबसे पहले वायरल पोस्‍ट में इस्‍तेमाल की गई तस्‍वीर को गूगल रिवर्स इमेज टूल में अपलोड करके सर्च किया। यह तस्‍वीर हमें 7 जून 2020 को एक यूजर की पोस्‍ट में मिली। इसमें बताया गया कि संत प्रह्लाद जानी ब्रह्मलीन हो गए। इस पोस्‍ट को आप यहां देख सकते हैं।

जांच को आगे बढ़ाते हुए विश्‍वास न्‍यूज ने गूगल ओपन सर्च किया। दैनिक जागरण की वेबसाइट पर 26 मई 2020 को पब्लिश एक खबर में बताया गया कि संत प्रह्लाद जानी का 25 मई 2020 को निधन हो गया था। इस खबर में उनके बारे में विस्‍तार से बताया गया था। खबर में बताया गया कि प्रह्लाद जानी का जन्म 13 अगस्त 1929 को हुआ था। उनके 5 भाई और एक बहन थी। महज 10 वर्ष की आयु में ही उन्होंने आध्यात्मिक जीवन के लिए अपना घर छोड़ दिया था। उन्‍होंने माउंट आबू समेत महाबलेश्‍वर में तपस्‍या की। एक साल तक वह माता अंबे की भक्ति में डूबे रहे, जिसके बाद वह साड़ी, सिंदूर और नाक में नथ पहनने लगे। वह पूरी तरह से महिलाओं की तरह श्रृंगार करते थे। पिछले 50 वर्ष से जानी गुजरात के अहमदाबाद से 180 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर अंबाजी मंदिर की शेषनाग के आकार वाली गुफा के पास रहते थे। पूरी खबर यहां पढ़ें।

विश्‍वास न्‍यूज ने जांच को आगे बढ़ाते हुए गुजराती जागरण के एसोसिएट एडिटर जीवन कपूरिया से संपर्क किया। उन्‍होंने बताया कि संत प्रह्लाद जानी का निधन 2020 में ही हो गया था।

पड़ताल के अंत में भ्रामक पोस्‍ट करने वाले यूजर की जांच की गई। फेसबुक यूजर आशीष पांडेय की सोशल स्‍कैनिंग में पता चला कि यूजर को 10 हजार से ज्‍यादा लोग फॉलो करते हैं। यूजर यूपी के प्रयागराज का रहने वाला है। इस अकाउंट को जुलाई 2020 को बनाया गया था।

निष्‍कर्ष : विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में पता चला कि संत प्रह्लाद जानी का वर्ष 2020 में ही निधन हो गया था। कुछ सोशल मीडिया यूजर्स इनकी मौत को लेकर भ्रामक पोस्‍ट कर रहे हैं।

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