नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म पर एक खबर की कटिंग वायरल हो रही है। इसमें दावा किया गया कि बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में अंबानी-अडाणी की पत्नियों को प्रोफेसर बनाने पर हंगामा हो गया है। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स इसे वायरल कर रहे हैं।
विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की जांच की तो पता चला कि दो साल पुराने एक मामले को अब गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है। हाल-फिलहाल में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। वायरल पोस्ट गलत साबित हुई।
फेसबुक यूजर अमर नाथ ने 13 दिसंबर को एक अखबार की कटिंग को पोस्ट करते हुए लिखा, सैंया भई कोतवाल अब डर काहे का।
खबर का शीर्षक है : अंबानी और अडाणी की पत्नियों को प्रोफेसर बनाने पर हंगामा।
पोस्ट को समान और मिलते जुलते दावों के साथ दूसरे यूजर्स भी शेयर कर रहे हैं। पोस्ट के दावे को यहां ज्यों का त्यों ही लिखा गया है। इसका आर्काइव वर्जन यहां देखा जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की सच्चाई का पता लगाने के लिए सबसे पहले गूगल ओपन सर्च टूल का इस्तेमाल किया। यहां संबंधित कीवर्ड से सर्च करने पर कई न्यूज वेबसाइट पर अलग-अलग खबरें मिलीं। जागरण डॉट कॉम पर 17 मार्च 2021 को पब्लिश एक खबर में बताया गया, “नीता अंबानी को बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) में विजिटिंग प्रोफेसर बनाए जाने की सूचना के बाद इस बात का खंडन जारी किया गया है। एएनआई के अनुसार, उन्हें बीएचयू से कोई निमंत्रण नहीं मिला है। इस बाबत रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की ओर से जानकारी देने की बात सामने आई है। खंडन में इस आशय की खबरों को गलत बताते हुए किसी प्रकार की सूचना से इनकार किया गया है।” पूरी खबर यहां पढ़ें।
सर्च के दौरान न्यूज एजेंसी एएनआई के एक्स हैंडल पर एक पोस्ट मिली। इसमें रिलायंस इंडस्ट्री लिमिटेड के प्रवक्ता के हवाले से बताया गया कि नीता अंबानी के बीएचयू में विजिटिंग प्रोफेसर की खबर फर्जी है। यह पोस्ट 17 मार्च 2021 को की गई थी।
बीएचयू के एक्स हैंडल पर हमें 17 मार्च 2021 को की गई एक पोस्ट मिली। इसमें बताया गया कि बीएचयू स्थित सामाजिक विज्ञान संकाय के महिला अध्ययन केन्द्र में श्रीमती नीता अंबानी को विजिटिंग प्रोफेसर बनाए जाने संबंधी मीडिया खबरों के संदर्भ में ये स्पष्ट किया जाता है कि इस बारे में कोई आधिकारिक निर्णय बीएचयू प्रशासन ने नहीं लिया है और न ही ऐसा कोई प्रशासनिक आदेश जारी हुआ। विज़िटिंग प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए विद्वत परिषद् की मंज़ूरी आवश्यक होती है। इस मामले में न तो ऐसी कोई मंज़ूरी दी गई है और न ही इस प्रकार का कोई प्रस्ताव विद्वत परिषद् के समक्ष विचारार्थ प्रस्तुत हुआ है।
विश्वास न्यूज ने पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के जनसंपर्क अधिकारी डॉक्टर राजेश सिंह से संपर्क किया। उनके साथ वायरल पोस्ट को शेयर किया। उन्होंने इसे फर्जी बताया।
जांच के अंत में वायरल पोस्ट करने वाले यूजर की जांच की गई। फेसबुक यूजर अमर नाथ को एक हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। यूजर पटना में रहता है।
निष्कर्ष : विश्वास न्यूज की वायरल पोस्ट गलत साबित हुई। अखबार की एक पुरानी कटिंग को अभी की बताकर भ्रम फैलाने की कोशिश की गई है।
सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी खबर पर संदेह है जिसका असर आप, समाज और देश पर हो सकता है तो हमें बताएं। हमें यहां जानकारी भेज सकते हैं। हमें contact@vishvasnews.com पर ईमेल कर सकते हैं। इसके साथ ही वॅाट्सऐप (नंबर – 9205270923) के माध्यम से भी सूचना दे सकते हैं।