महात्मा गांधी की धार्मिक पहचान से लेकर उनकी पढ़ाई तक सोशल मीडिया पर वायरल हुए ये दावे 

आज हम आपको ऐसी ही फर्जी पोस्ट के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि महात्मा गांधी के बारे में जमकर सोशल मीडिया पर वायरल हुई हैं। 

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। महात्मा गांधी से जुड़ी फेक पोस्ट अक्सर सोशल मीडिया पर वायरल होती रहती है। उनकी पुरानी तस्वीर को एडिट कर गलत दावे के साथ शेयर किया गया है। या फिर पुराने और असंबंधित वीडियो को मनगढ़ंत कहानियों के साथ वायरल कर दिया जाता है। विश्वास न्यूज ने ऐसी ही पोस्ट की पड़ताल कर सच्चाई सामने रखी है। आज हम आपको ऐसी ही फर्जी पोस्ट के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि महात्मा गांधी के बारे में जमकर सोशल मीडिया पर वायरल हुई हैं। 

तो चलिए अब जानते हैं इन पोस्ट के बारे में।

पहली पोस्ट 

महात्मा गांधी की एक तस्वीर को सोशल मीडिया पर जमकर वायरल किया गया। तस्वीर में महात्मा गांधी डॉ. बी आर अंबेडकर के पैर छूते हुए नजर आ रहे हैं। इस तस्वीर को कुछ यूजर्स ने सच समझकर महात्मा गांधी पर तंज कसते हुए शेयर किया। 

विश्वास न्यूज ने जब दावे की पड़ताल की तो पाया कि यह गलत है। असल में वायरल तस्वीर एडिटेड है और इसे गलत दावों के साथ वायरल किया गया। असली तस्वीर में सिर्फ डॉ. बी आर अंबेडकर और उनकी पत्नी है। तस्वीर को एडिट कर महात्मा गांधी को जोड़ा गया है।

पूरी रिपोर्ट को यहां पर पढ़ा जा सकता है।

दूसरी पोस्ट 

सोशल मीडिया पर इसी तरह एक लड़की के साथ महात्मा गांधी की तस्वीर को जमकर वायरल किया गया। तस्वीर को शेयर करते हुए कई यूजर्स ने आपत्तिजनक दावे किए। 

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल दावा गलत है। हमारी पड़ताल में महात्मा गांधी की यह तस्वीर भी एडिटेड नकली। असली तस्वीर में लड़की नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू हैं, जिसकी तस्वीर को एडिट कर लड़की की तस्वीर लगा दी गई है। 

पूरी पड़ताल को यहां पर पढ़ा जा सकता है।

तीसरी पोस्ट

महात्मा गांधी की धार्मिक पहचान को लेकर भी सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हुई। पोस्ट को शेयर कर दावा किया गया कि वो मुस्लिम समुदाय से थे। यही कारण है कि उनकी मृत्यु के बाद उनकी अस्थियों को विसर्जित करने की बजाए रामपुर के तत्कालीन नवाब रजा अली खां को सौंप दिया, जिन्होंने उसे चांदी की सुराही में भरकर मुस्लिम तरीके से दफनाते हुए रामपुर में गांधी की मजार बना दी।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल दावा फर्जी और मनगढ़ंत है। दुष्प्रचार की मंशा से गांधी की धार्मिक पहचान को लेकर  मनगढ़ंत कहानी को वायरल किया जा रहा है। 

पूरी रिपोर्ट को यहां पर पढ़ा जा सकता है।

चौथी पोस्ट 

कुछ लोगों के साथ बैठे हुए महात्मा गांधी की एक तस्वीर को सोशल मीडिया पर शेयर कर दावा किया गया कि उन्होंने ब्रिटिश सेना में सार्जेंट मेजर के पद पर काम किया था। साथ ही पोस्ट में यह भी कहा जा रहा है कि उन्होंने   ब्रिटिश सेना के लिए बेहतरीन काम किया था। इसलिए उन्हें पदक से सम्मानित भी किया गया। 

विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा भ्रामक निकला। वायरल तस्वीर महात्मा गांधी की तरफ से बनाई गई फुटबॉल टीम के सदस्यों की है। 1893-1915 के बीच दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए महात्मा गांधी ने जोहान्सबर्ग और प्रिटोरिया में दो फुटबॉल क्लब का गठन किया था और दोनों ही टीमों का नाम ‘द पैसिव रेजिस्टर्स’ रखा गया था और वायरल तस्वीर इसी फुटबॉल क्लब के सदस्यों की है, जिसमें गांधी जी भी नजर आ रहे हैं।

पूरी रिपोर्ट को यहां पर पढ़ा जा सकता है। 

पांचवीं पोस्ट 

सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने एक पोस्ट को शेयर कर महात्मा गांधी की वकालत की डिग्री पर भी सवाल उठाए। यूजर्स ने पोस्ट को शेयर कर दावा किया कि गांधी ने अपनी वकालत की डिग्री अफ्रीका से ली थी। पोस्ट के जरिए यूजर्स गांधी की वकालत की डिग्री की वैधता पर सवाल उठा रहे हैं।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में वायरल दावे को बेबुनियाद पाया। महात्मा गांधी  सितंबर 1888 में कानून की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड गए थे। वहां पर उन्होंने इनर टेंपल से अपनी लॉ की पढ़ाई को पूरा किया था और 1891 में बार में शामिल हुए थे। महात्मा गांधी  ने अपना पंजीकरण लंदन हाई कोर्ट में भी कराया था। मगर, वो साल के आखिर में भारत आ गए थे और करीब दो सालों तक प्रैक्टिस करते रहे। इसके बाद उन्हें दक्षिण अफ्रीका में स्थित एक भारतीय कंपनी ने रोजगार का मौका दिया और फिर वह दक्षिण अफ्रीका चले गए, जहां उन्होंने करीब बीस सालों तक वकील के तौर पर सक्रिय रूप से काम किया।

पूरी रिपोर्ट को यहां पर पढ़ा जा सकता है। 

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