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सोशल मीडिया पर रतन टाटा के नाम से साझा होने वाले वायरल दावों की हकीकत

विश्‍वास न्‍यूज ने वक्त- वक्त पर ऐसे कई दावों का फैक्ट चेक किया है और सच्चाई से अपने पाठकों से अवगत कराया है। आज हम आपको ऐसी ही कुछ फैक्ट चेक रिपोर्ट्स के बारे में जानकारी देंगे, जिनकी जांच विश्वास न्यूज ने की है। चलिए जानते हैं इन फर्जी पोस्ट के बारे में।

  • By: Umam Noor
  • Published: Oct 10, 2024 at 02:52 PM
  • Updated: Oct 11, 2024 at 12:23 PM

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। देश के दिग्गज बिजनेसमैन रतन टाटा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने बुधवार के रोज मुंबई के अस्पताल में आखिरी सांस ली। राष्ट्रपति और पीएम मोदी समेत कई नेताओं और सेलेब्रिटीज ने उनके निधन पर शोक जताया है। सुर्खियों में रहने वाले टाटा से जुड़ी फेक न्यूज अक्सर ही सोशल मीडिया पर वायरल होती रही है। कभी उनके नाम से किसी फर्जी बयान को वायरल किया गया, तो कभी उनके हवाले से ऐसी घोषणा को फैलाया गया, जिसके बारे में उन्होंने कभी कहा ही नहीं।  

विश्‍वास न्‍यूज ने वक्त-वक्त पर ऐसे कई दावों का फैक्ट चेक किया है और सच्चाई से अपने पाठकों से अवगत कराया है। आज हम आपको ऐसी ही कुछ फैक्ट चेक रिपोर्ट्स के बारे में जानकारी देंगे, जिनकी जांच विश्वास न्यूज ने की है। चलिए जानते हैं इन फर्जी पोस्ट के बारे में:

“रतन टाटा ने JNU के छात्रों को नौकरी नहीं देने का एलान किया।

देश का एक बड़ा नाम होने की वजह से रतन टाटा भी फेक न्यूज से बच न सके। अक्सर ही उनके नाम पर सोशल मीडिया पर कई बार एक बयान वायरल होता रहा है, जिसमें जवाहर लाल यूनिवर्सिटी के छात्रों से जुड़ा दावा किया गया। वायरल पोस्ट में रतन टाटा की फोटो के साथ दावा किया जाता रहा है कि रतन टाटा ने जेएनयू के छात्रों को नौकरी नहीं देने का एलान किया है। और साथ ही कहा कि जो देश का न हुआ, वह कंपनी का क्या होगा।

हालांकि, जब विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल की तो पाया कि रतन टाटा ने जेएनयू के छात्रों को नौकरी नहीं देने जैसा कोई भी बयान नहीं दिया है। यह एक फर्जी बयान है, जो उनके नाम से वायरल किया गया था। वहीं, इस फर्जी बयान को लेकर टाटा ग्रुप भी खंडन कर चुका है।

पूरी रिपोर्ट को यहां पर पढ़ा जा सकता है।

“रतन टाटा ने मुकेश अम्बानी के साथ तुलना किये जाने पर कहा कि हम इंडस्ट्रियलिस्ट हैं, बिज़नेसमैन नहीं।”

देश के दोनों ही बड़े उद्योगपति रतन टाटा और मुकेश अम्बानी का अक्सर ही एक- दूसरे के साथ सोशल मीडिया पर कम्पैरिजन किया जाता रहा है। यही वजह है कि एक पोस्ट वायरल हुई, जिसमें यह दावा किया गया, एक बार एक रिपोर्टर ने रतन टाटा से पूछा कि मुकेश अंबानी एशिया में सबसे अमीर हैं, रतन टाटा क्यों नहीं। जिस पर जवाब देते हुए रतन टाटा ने कहा कि हम इंडस्ट्रियलिस्ट हैं, बिज़नेसमैन नहीं। मैं इंडिया को एक इकोनॉमिक सुपरपावर नहीं, बल्कि एक खुशहाल देश के तौर पर देखना चाहता हूं।

विश्वास न्यूज़ ने जब इस दावे की पड़ताल की तो इसे भी उनके नाम से फैला हुआ फर्जी बयान पाया। रतन टाटा ने मुकेश अंबानी से खुद को कम्पेयर करते हुए ऐसा बयान कभी नहीं दिया। विश्वास न्यूज़ से बात करते हुए टाटा ट्रस्ट ने भी इस पोस्ट को गलत बताया। इसके अलावा ‘मैं इंडिया को एक इकोनॉमिक सुपरपावर नहीं, बल्कि एक खुशहाल देश के तौर पर देखना चाहता हूँ।” यह कोट जेआरडी टाटा का है, जिसको गलत संदर्भ में फर्जी तरीके से इस पोस्ट के साथ जोड़कर गुमराह करने के मकसद से फैलाया गया।

पूरी रिपोर्ट को यहां पर पढ़ा जा सकता है।

“रतन टाटा ने अफगानिस्तान के खिलाड़ी राशिद खान को 10 करोड़ रुपये का पुरस्कार दिए जाने का एलान किया।”

पिछले साल हुए वर्ल्ड कप 2023 से जुड़े कई फर्जी और भ्रामक दावे सोशल मीडिया पर वायरल किए गए। इसी बीच सोशल मीडिया पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हुई। जिसमें  दावा किया गया कि पाकिस्तान-अफगानिस्तान के मैच के बाद अफगानिस्तान के खिलाड़ी राशिद खान ने “भारत माता की जय” के नारे लगाए। जिसके बाद पाकिस्तान की शिकायत पर आईसीसी ने खान पर 55 लाख रुपए का जुर्माना लगा दिया। वायरल पोस्ट में दावा किया गया कि राशिद खान पर लगे इस जुर्माने का भुगतान रतन टाटा करेंगे। और इसके साथ ही टाटा ने उन्हें 10 करोड़ रुपये का पुरस्कार दिए जाने का एलान भी किया।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि अफगानिस्तान के खिलाड़ी राशिद खान को रतन टाटा ने 10 करोड़ देने की घोषणा नहीं की। हालांकि, जब यह बयान वायरल हुआ उस वक्त रतन टाटा ने खुद भी इस वायरल दावे का खंडन किया।

पूरी रिपोर्ट को यहां पर पढ़ा जा सकता है।

“रतन टाटा ने अपने एक बयान में कहा कि शराब की बिक्री आधार कार्ड देखकर होनी चाहिए।”

उद्योगपति रतन टाटा के नाम पर वायरल हुए फर्जी बयानों की लिस्ट लम्बी है। इसी कड़ी में अक्सर ही उनके हवाले से कहा गया कि रतन टाटा ने शराब की बिक्री को लेकर एक बयान दिया है,जिसमें उनका कहना है कि शराब की बिक्री आधार कार्ड देखकर होनी चाहिए, क्योंकि जो शराब खरीद सकते हैं, वो अनाज भी खरीद सकते हैं। ऐसे लोगों की सरकारी खाद्य सब्सिडी बंद कर देनी चाहिए।

हालांकि, हमने अपनी पड़ताल में पाया कि रतन टाटा के नाम से वक्त- वक्त पर शराब की बिक्री के बारे में वायरल हुआ ये बयान फर्जी है। उन्होंने इस तरह का कोई बयान कभी नहीं दिया।

पूरी रिपोर्ट को यहां पर पढ़ा जा सकता है।

“रतन टाटा ने भारत को कोरोनामुक्त देश बनाने के लिए अपनी पूरी संपत्ति खर्च करने की बात कही।”

जब देश और दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही थी उस वक्त भी सोशल मीडिया रतन टाटा के नाम पर एक फर्जी पोस्ट वायरल हुई। वायरल पोस्ट में दावा किया गया कि उद्योगपति रतन टाटा ने भारत को कोरोनामुक्त देश बनाने के लिए अपनी पूरी संपत्ति खर्च करने की बात कही है।

विश्वास न्यूज ने पड़ताल में पाया कि वायरल पोस्ट में रतन टाटा के हवाले से कहा जा रहा स्टेटमेंट गलत है। हालांकि, रतन टाटा ने कोरोनावायरस से लड़ने के लिए कई सौ करोड़ रुपये  दान करने का एलान  किया था। सके साथ ही टाटा समूह ने मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ाने में सरकार का सहयोग करने की बात भी कही थी। रतन टाटा ने यह बयान कभी नहीं दिया कि वे कोरोनावायरस से लड़ने के लिए अपनी पूरी संपत्ति खर्च करने के इच्छुक हैं।

पूरी रिपोर्ट को यहां पर पढ़ा जा सकता है।

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