Fact Check : राम मंदिर के लिए चंदा देने के नाम पर वायरल हुई फर्जी पोस्ट

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल पोस्‍ट फर्जी है। तस्‍वीर में दिख रही महिला ने राम मंदिर के लिए चंदा नहीं दिया है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। अयोध्‍या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो गई। हालांकि, अभी भी इससे जुड़ी फर्जी और भ्रामक तस्‍वीरें और वीडियो के वायरल होने का सिलसिला जारी है। एक पोस्‍ट को शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि वृंदावन की गलियों में भक्‍तों के जूतों की सुरक्षा से जुटाए 51 लाख रूपए यशोदा नाम की एक महिला ने राम मंदिर के लिए दान कर दिए। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स इस दावे को सही मानकर वायरल कर रहे हैं।

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल दावे की विस्‍तार से जांच की। यह फर्जी साबित हुई। दरअसल पोस्‍ट में दिख रही महिला से जुड़ी कई खबरें 2017 में मीडिया में आई थीं कि उन्‍होंने गौशाला के लिए कुछ रूपए दान में दिए हैं। हालांकि, विश्‍वास न्‍यूज स्‍वतंत्र रूप से इसकी पुष्टि नहीं करता है। अब उसी महिला की तस्‍वीर को राम मंदिर के लिए चंदा देने के नाम पर वायरल किया गया है। हमारी जांच में राम मंदिर के दावे वाली पोस्‍ट फर्जी साबित हुई।

क्‍या हो रहा है वायरल

सहदेव ढांढल नाम के एक फेसबुक यूजर ने अपनी वॉल पर एक तस्‍वीर को पोस्‍ट करते हुए दावा किया, “पीली साड़ी में जो माता जी दिख रहीं हैं उनका नाम #यशोदा हैं…। मात्र 20 वर्ष की ही थी तभी उनके पति धराधाम छोड़ गये… अकेली हो गई लेकिन हिम्मत नहीं टूटी… बाँके बिहारी लाल जी को अपना जीवन समर्पित कर दिया…लगीं वृंदावन की गलियों में दर्शन को गये भक्तों के जूतों की सुरक्षा करने… बदले में भक्त भी उन्हें कुछ अर्पण कर देते…बीते 30 वर्षों से ऐसे ही थोड़े-थोड़े पैसे इकट्ठा कर के 51 लाख रुपये जमा हो गये…अब श्री राम मंदिर निर्माण की सूचना मिली तो इस सबरी ने अपने राम के मंदिर को 51,10,025/- रुपये समर्पित कर दिए। ये ही है सनातन । कोटि कोटि नमन।”

यह पोस्‍ट 20 जनवरी 2024 को की गई। इसके कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्‍यों ही लिखा गया है। इसे सच मानकर दूसरे यूजर्स भी वायरल कर रहे हैं। पोस्‍ट का आर्काइव वर्जन यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने सबसे पहले वायरल तस्‍वीर को गूगल लेंस के जरिए सर्च करना शुरू किया। वायरल पोस्‍ट में इस्‍तेमाल की गई तस्‍वीर कई न्यूज रिपोर्ट्स और फेसबुक पोस्‍ट पर पुरानी तारीख में अपलोड मिली। पांचजन्‍य की 16 अक्‍टूबर 2017 की रिपोर्ट में बताया गया कि कटनी की निवासी फूलमती बरसों से वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर के नजदीक दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के पदवेशों की रखवाली करती हैं। अपनी पैतृक संपत्ति और जूते-चप्‍पलों की रखवाली से जोड़े गए धन से उन्‍होंने 17 लाख गौशाला को दान दिया। पूरी रिपोर्ट यहां क्लिक करके पढ़ें।

पड़ताल के दौरान हमें श्री बांके बिहारी वृंदावन नाम के एक फेसबुक पेज पर असली तस्‍वीर मिली। इसका यूज करते हुए बताया गया, “मात्र 20 वर्ष की आयु में विधवा हुई महिला का नाम ही यशोदा है जो कि सार्थक भी है जुते चप्पलो की रखवाली करती है।आज इनके चरण छूकर सपरिवार आशीर्वाद भी लिया क्योंकि इस महिला ने पिछले 30 वर्षों में 5,10,25,50 पैसे इकट्ठा करके, 40 लाख (4000000/-)रुपये की रकम से एक गौशाला व धर्मशाला का निर्माण शुरू कर डाला है।”

संबंधित महिला से जुड़ी खबर हमें वनइंडिया डॉट कॉम पर भी मिली। इसे 27 मई 2017 को पब्लिश किया गया। सर्च के दौरान हमें नईदुनिया और जागरण डॉट कॉम की वेबसाइट पर भी पुरानी खबरें मिलीं।

विश्‍वास न्‍यूज ने जांच के अगले चरण दैनिक जागरण, मथुरा के प्रभारी विनीत मिश्रा से संपर्क किया। उनके साथ वायरल पोस्‍ट को शेयर किया। उन्‍होंने जानकारी देते हुए बताया कि यह पोस्‍ट राम मंदिर के चंदा के नाम पर काफी वायरल है। इसमें सच्‍चाई नहीं है।

पड़ताल के अंत में ‘सहदेव ढांढल’ के फेसबुक पेज को स्‍कैन किया गया। पता चला कि यूजर हिसार का रहने वाला है। इसे 16 हजार से ज्‍यादा लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल पोस्‍ट फर्जी है। तस्‍वीर में दिख रही महिला ने राम मंदिर के लिए चंदा नहीं दिया है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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