#FactCheckTrends: कर्नाटक चुनाव बाद भी जारी रहा मिस-इन्फॉर्मेशन का दौर, पाकिस्तान, AI और RBI रहे अन्य ट्रेंड्स
फैक्ट चेक ट्रेंड्स के लिहाज से देखें तो मई महीने में रोचक ट्रेंड्स देखने को मिला। राष्ट्रीय रुझानों में देखें तो कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद भी चुनावी और राजनीतिक दुष्प्रचार के मामलों में कमी नहीं आई, जैसा कि आम तौर पर चुनावों के बाद देखने को मिलता है। वहीं अंतरराष्ट्रीय मामलों में पाकिस्तान में इमरान खान की गिरफ्तारी और वहां जारी सियासी खींचतान का असर मिस-इन्फॉर्मेशन ट्रेंड्स में शामिल नजर आया। अप्रैल महीने की ही तरह इस बार भी एआई उभरता हुआ ट्रेंड्स रहा। आर्थिक मामलों में देखें को 2000 रुपये के नोटों को वापस लिए जाने के फैसले से संबंधित भ्रामक दावा सोशल मीडिया पर वायरल हुआ।
- By: Abhishek Parashar
- Published: May 28, 2023 at 09:05 AM
- Updated: Jul 6, 2023 at 01:50 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। फैक्ट चेक ट्रेंड्स के लिहाज से देखें तो मई महीने में रोचक ट्रेंड्स देखने को मिला। राष्ट्रीय रुझानों को देखें तो कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद भी चुनावी और राजनीतिक दुष्प्रचार के मामलों में कमी नहीं आई, जैसा कि आम तौर पर चुनावों के बाद देखने को मिलता है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय मामलों में पाकिस्तान में इमरान खान की गिरफ्तारी और वहां जारी सियासी खींचतान का असर मिस-इन्फॉर्मेशन ट्रेंड्स में शामिल नजर आया।
अप्रैल महीने की ही तरह इस बार भी एआई उभरता हुआ ट्रेंड्स रहा। आर्थिक मामलों को देखें तो 2000 रुपये के नोटों को वापस लिए जाने के फैसले से संबंधित भ्रामक दावा सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। कुल मिलाकर मई महीने में मिस-इन्फॉर्मेशन का ट्रेंडस मिला-जुला रहा, जिसमें राजनीति से लेकर अर्थव्यवस्था से संबंधित गलत और भ्रामक दावे वायरल हुए।
राजनीतिक ट्रेंड्स
राजनीतिक ट्रेंड्स में कर्नाटक चुनाव प्रमुख रहा। 10 मई को हुए चुनाव के नतीजे 13 मई को आए और इसके बाद सोशल मीडिया पर इससे संबंधित कई सांप्रदायिक दावे वायरल हुए, जिन्हें भड़काऊ दावे के साथ शेयर किया गया।
इस संदर्भ में सर्वाधिक चर्चित क्लेम वह तस्वीर रही, जिसे लेकर दावा किया गया कि कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद मुस्लिम समर्थकों ने भटकल में पाकिस्तान के झंडे लहराए।
हमने अपनी जांच में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली स्पष्ट जीत के बाद कर्नाटक के भटकल में पाकिस्तानी झंडा लहराए जाने के दावे को गलत पाया। वायरल तस्वीर में नजर आ रहा झंडा, इस्लामिक झंडा था। वहीं, ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ का नारा लगाए जाने की कथित घटना कर्नाटक के बेलगावी जिले से संबंधित है, जिसमें पुलिस वायरल वीडियो की प्रमाणिकता की जांच कर रही है। इस मामले में पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।
वायरल दावे की फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।
दूसरा प्रमुख दावा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के नाम से वायरल ट्वीट रहा, जिसमें कांग्रेस को कर्नाटक की जीत पर बधाई देते हुए कांग्रेस और एसडीपीआई के साथ मिलकर भारत में इस्लाम और कर्नाटक की ‘संप्रभुता’ को मजबूत करने का दावा किया गया था। एसडीपीआई (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया) प्रतिबंधित इस्लामी संगठन पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) की राजनीतिक शाखा है।
हमारी जांच में यह दावा भी फर्जी निकला। वायरल हो रहा ट्वीट फेक था, जिसे एडिटिंग की मदद से तैयार किया गया था। वहीं, पीएफआई समर्थित सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया हालिया कर्नाटक चुनाव में अपना खाता भी नहीं खोल पाई। पार्टी ने कुल 16 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से 15 सीट पर उसके पार्टी उम्मीदवार की जमानत तक जब्त हो गई। कर्नाटक में कांग्रेस अपने दम पर सरकार बनाने जा रही है और पार्टी को 224 सीटों में कुल 135 सीटों पर जीत मिली।
ऐसे ही अन्य वीडियो को सांप्रदायिक रंग देकर शेयर किया गया, जिसमें एक बच्चे को सड़क के बीचोंबीच नमाज पढ़ते हुए देखा जा सकता था। दावा किया गया कि कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद अब ऐसी स्थिति हो गई है, जिसमें एक बच्चा खुलेआम सड़क के बीचोंबीच नमाज पढ़ रहा है।
हमारी जांच में यह दावा भी गलत निकला। वायरल वीडियो खाड़ी देश संयुक्त अरब अमीरात के किसी शहर का था, जिसे कर्नाटक का बताकर भड़काऊ दावे के साथ वायरल किया गया।
कर्नाटक चुनाव के बाद सिद्धारमैया, मल्लिकार्जुन खड़गे और डी के शिवकुमार की एक तस्वीर वायरल हुई, जिसके बैकग्राउंड में नेहरू और एडविना की तस्वीर लगी हुई थी। हमारी जांच में यह दावा भी गलत साबित हुआ और वायरल तस्वीर एडिटेड निकली।
इस महीने के दौरान एक दिलचस्प ट्रेंड देखने को मिला, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस समर्थक यूजर्स एक-दूसरे को टक्कर देते नजर आए। कुछ यूजर्स ने अदाणी विवाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एडिटेड तस्वीर को शेयर किया, तो जवाब में कुछ यूजर्स ने राहुल गांधी की एडिटेड तस्वीर को वायरल किया , जिसमें उन्हें 2जी घोटाला और बोफोर्स घोटाले से संबंधित तस्वीरों के साथ देखा जा सकता है।
हमने अपनी जांच में इस सभी तस्वीरों को फेक और एडिटेड पाया, जिसकी फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।
AI संबंधित ट्रेंड्स
एआई संबंधित ट्रेंड्स को देखें तो एक बार फिर से मशहूर व्यक्तियों की फेक तस्वीरों को गलत दावे के साथ वायरल किया गया। इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद उनकी एक तस्वीर को यह कहते हुए शेयर किया गया कि यह गिरफ्तारी के बाद सामने आई उनकी पहली तस्वीर है। कई न्यूज रिपोर्ट्स में भी यह तस्वीर इस्तेमाल की गई।
हालांकि, यह तस्वीर वास्तविक न होकर एआई टूल की मदद से तैयार की गई थी, जिसकी फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।
एआई टूल से बनी व्लादिमीर पुतिन और एलन मस्क की तस्वीरों को व्यापक रूप से गलत दावे के साथ साझा किया गया, जिसकी फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां और यहां पढ़ा जा सकता है।
एंटरनेटमेंट संबंधित ट्रेंड्स
एंटरटेनमेंट से संबंधित ट्रेंड्स को देखें को अभिनेता ऋतिक रोशन का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसे लेकर दावा किया गया उन्होंने इमरान खान का समर्थन किया है। हमने अपनी जांच में इस दावे को गलत पाया। वायरल वीडियो फेक निकला, जिसे एडिटिंग की मदद से तैयार किया गया था।
‘द केरल स्टोरी’ को लेकर भी कई फेक और भ्रामक दावे किए गए। इन्हीं मे से एक दावा यह था कि लुलु मॉल में सिनेमाघरों से इस मूवी को हटा दिया गया है। हमने अपनी जांच में इस दावे को भ्रामक पाया। वास्तव में केरल के लुलु मॉल में इस मूवी को नहीं दिखाया गया। वहीं, लखनऊ और बेंगलुरु के मॉल में इस मूवी को चलाया गया।
इसी फिल्म से संबंधित एक अन्य फेक दावा अभिनेत्री देवोलिना भट्टाचार्जी को लेकर किया गया। कहा गया कि जिस अभिनेत्री ने इस फिल्म में काम किया, उसने बाद में मुस्लिम से शादी कर ली। हमारी जांच में यह दावा भी गलत निकला। वास्तव में ‘द केरल स्टोरी’ में देवोलिना भट्टाचार्जी की कोई भूमिका नहीं थी। इस फिल्म की मुख्य अभिनेत्री अदा शर्मा हैं।
आर्थिक ट्रेंड्स
आर्थिक मामलों से संबंधित ट्रेंड्स को देखें तो मई महीने के आखिर में भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी क्लीन नोट पॉलिसी के तहत 2000 रुपये के नोटों को चलन से वापस लिए जाने का फैसला लिया। सोशल मीडिया यूजर्स ने आरबीआई के इस फैसले को दूसरी ‘नोटबंदी’ बताकर इस दावे के साथ फैलाना शुरू कर दिया कि अब लोगों को अपने नोटों को बदलने के लिए विशेष फॉर्म भरने के साथ ही पहचान पत्र देनी होगी।
हमने अपनी जांच में इस दावे को भ्रामक पाया। आरबीआई के 2000 रुपये के नोटों को चलन से वापस लिए जाने के बाद इसकी अदला-बदली के लिए ‘स्लिप फॉर एक्सचेंज’ फॉर्म को भरने और इस दौरान पहचान पत्र दिए जाने का दावा गलत निकला। 2000 रुपये के नोटों को बदलने के लिए किसी फॉर्म को भरने या पहचान पत्र को देने की जरूरत नहीं है।
हालिया संपन्न कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद सोशल मीडिया पर इससे संबंधित कई दावों को सांप्रदायिक रंग देकर वायरल किया जा रहा है, जिसकी फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को विश्वास न्यूज के चुनावी फैक्ट-चेक में पढ़ा जा सकता है।
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