नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें एक मिसाइल के साथ पूजा करते पंडित जी को देखा जा सकता है। पोस्ट में दावा किया गया है कि यह तस्वीर चंद्रयान 2 की है। हमारी पड़ताल में हमने पाया कि यह दावा गलत है। असल में यह तस्वीर 15 सितंबर, 2013 की है जब भारत ने ओडिशा तट के पास व्हीलर द्वीप से अग्नि- V मिसाइल की दूसरी परीक्षण उड़ान भरी थी। पोस्ट में एक और दावा किया गया है कि ISRO द्वारा किसी भी प्रक्षेपण से पूर्व उसका प्रतिरूप वेंकटेश्वर मंदिर में भगवान बेंकटेश्वर को अर्पित किया जाता है। हमने वेंकटेश्वर मंदिर में बात की जहाँ हमें बताया गया कि यह बात सही है।
CLAIM
वायरल पोस्ट में एक मिसाइल के साथ पूजा करते पंडित जी को देखा जा सकता है। पोस्ट में दावा किया गया है, “कर्मकाण्ड को ढोंग ढकोसला कहनेवाले के मुँह पर जोरदार तमाचा लगाते हुए हमारे चन्द्रयान -2 के वैज्ञानिकों के समूह ने प्रक्षेपण से पूर्व पूजा-पाठ किया । साथ ही ISRO द्वारा किसी भी प्रक्षेपण से पूर्व उसका प्रतिरूप वेंकटेश्वर मंदिर में भगवान बेंकटेश्वर को अर्पित किया जाता है ताकि प्रक्षेपण सफल रहे। सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया भर के वैज्ञानिक अभियान की सफलता के धार्मिक अनुष्ठान करते है। अब कोई मूर्ख ही कहेगा कि वैज्ञानिक पूजा पाठ को नहीं मानते हैं क्यों? 😃”
दावे
इस पोस्ट में मुख्य तौर से 2 दावे किये गए हैं।
1) यह तस्वीर चंद्रयान 2 की है।
2) ISRO द्वारा किसी भी प्रक्षेपण से पूर्व उसका प्रतिरूप वेंकटेश्वर मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर को अर्पित किया जाता है।
FACT CHECK
हमने इन दोनों दावों की एक-एक करके पड़ताल करने का फैसला किया। सबसे पहले हमने इस तस्वीर की पड़ताल की। तस्वीर में एक मिसाइल है जिसके ऊपर AGNI 5 लिखा देखा जा सकता है। हमने इस तस्वीर का स्क्रीनशॉट लिया और उसे गूगल रिवर्स इमेज पर सर्च किया। हमारी पड़ताल में हमारे हाथ गेट्टी इमेजेज की एक तस्वीर लगी जिसे 15 September, 2013 को अपलोड किया गया था। इस फोटो के साथ डिस्क्रिप्शन लिखा था, “भारत ने आज दूसरी बार लंबी दूरी की परमाणु क्षमता वाली अग्नि -5 मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जिसकी रेंज 5000 किलोमीटर से अधिक है। भारत अब संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस और चीन जैसे देशों के चुनिंदा क्लबों में शामिल हो गया है, जो यूरोप, एशिया और अफ्रीका में महाद्वीपों पर एक मिसाइल संचालित करने की क्षमता रखते हैं। यह मिसाइल 1000 किग्रा परमाणु वॉरहेड ले जा सकती है और इसमें तीन रॉकेट मोटर्स हैं। भारत में व्हीलर द्वीप से इसे लॉन्च किया गया था। (फोटो पल्लव बागला / कॉर्बिस गेट्टी इमेज)।” आपको बता कि चंद्रयान 2 को July 22, 2019 को लॉन्च किया गया था।
ज़्यादा पुष्टि के लिए हमने ISRO से संपर्क किया जहाँ हमें बताया गया कि यह तस्वीर चंद्रयान की नहीं है।
अब हमने दूसरे दावे की पड़ताल शुरू की। हमने दावे के कीवर्ड्स को इंटरनेट पर सर्च किया तो हमें न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस की एक खबर मिली। इस खबर को 21 July 2019 को फाइल किया गया था। इस आर्टिकल की हेडलाइन थी “अंतरिक्ष वैज्ञानिक अंधविश्वासी, राहु काल में विश्वास करते हैं।” इस खबर में बीच में लिखा था कि “प्रत्येक रॉकेट मिशन से पहले, इसरो के अधिकारी आंध्र प्रदेश के तिरुमाला में प्रसिद्ध भगवान वेंकटेश्वर मंदिर में प्रार्थना करते हैं और भगवान के चरणों में रॉकेट की प्रतिकृति लगाते हैं, और एक सफल उड़ान के लिए उनका आशीर्वाद मांगते हैं।”
दूसरे दावे की पुष्टि के लिए हमने वेंकटेश्वर मदिर में बात की जहाँ हमें बताया गया कि यह बात सही है।
इस पोस्ट को Arun Razz नाम के फेसबुक यूजर ने शेयर किया था।
निष्कर्ष: हमारी पड़ताल में हमने पाया कि इन दोनों दावों में से एक दवा पूरी तरह गलत है, यह तस्वीर चंद्रयान की नहीं है। असल में यह तस्वीर 15 सितंबर, 2013 की है जब भारत ने ओडिशा तट के पास व्हीलर द्वीप से अग्नि- V मिसाइल की दूसरी परीक्षण उड़ान भरी थी। दूसरा दवा सही नज़र आ रहा है इसकी पुष्टि के लिए हमने वेंकटेश्वर मंदिर में बात की जहाँ हमें बताया गया कि यह बात सही है।
सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी खबर पर संदेह है जिसका असर आप, समाज और देश पर हो सकता है तो हमें बताएं। हमें यहां जानकारी भेज सकते हैं। हमें contact@vishvasnews।com पर ईमेल कर सकते हैं। इसके साथ ही वॅाट्सऐप (नंबर – 9205270923) के माध्यम से भी सूचना दे सकते हैं।