विश्वास न्यूज़ ने वायरल वीडियो की पड़ताल में पाया कि इस वीडियो का क़तर में हो रहे फीफा वर्ल्डकप 2022 से कोई लेना-देना नहीं है, यह साल 2016 का वीडियो है, जब कुछ लोगों ने इस्लाम कुबूल किया था। इस पुराने वीडियो को फीफा वर्ल्डकप से जोड़ते हुए भ्रामक दावे के साथ फैलाया जा रहा है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें ज़ाकिर नाइक को एक स्टेज पर खड़े कुछ लोगों को कलमा पढ़ा कर इस्लाम में कुबूल करवाते हुए देखा जा सकता है। यूजर के जरिये वीडियो को इस दावे के साथ वायरल किया जा रहा है कि फीफा वर्ल्ड कप 2022 में ज़ाकिर नाइक के लेक्चर से इन चार लोगों ने इस्लाम कुबूल कर लिया।
विश्वास न्यूज़ ने वायरल वीडियो की पड़ताल में पाया कि इस वीडियो का क़तर में हो रहे फीफा वर्ल्डकप 2022 से कोई लेना-देना नहीं है, यह साल 2016 का वीडियो है, जब कुछ लोगों ने इस्लाम कुबूल किया था। इस पुराने वीडियो को फीफा वर्ल्डकप से जोड़ते हुए भ्रामक दावे के साथ फैलाया जा रहा है।
फेसबुक यूजर ने वायरल पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा, ‘अभी कुछ देर पहले 4 लोगो ने फिर कतर में इस्लाम कबूल किया, माशाअल्लाह।’
पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहाँ देखें।
वीडियो की पड़ताल के लिए हमने कीवर्ड के साथ यूट्यूब पर इसे खोजना शुरू किया। सर्च में हमें एक यूट्यूब चैनल पर इसी वीडियो का एक बड़ा वर्जन 19 जून 2016 को अपलोड हुआ मिला। यहाँ वीडियो के साथ दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘कतर के कटारा एम्फीथिएटर जाकिर नाइक का कार्यक्रम। इनमें ऐसे कई लोग थे, जिन्होंने इस्लाम स्वीकार किया और मंच पर शहादत लेने वालों में से कुछ को मैंने अपने फ़ोन से रिकॉर्ड किया।”
अल शर्क़ नाम की एक न्यूज़ वेबसाइट पर इसी वीडियो का एक स्क्रीनशॉट मिला। 28 मई 2016 को दी गई मालूमात के मुताबिक, ‘पिछले गुरुवार की शाम, कटारा कल्चरल विलेज फाउंडेशन में इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक ने “Does God Exist??” शीर्षक पर अपना लेक्चर दिया। इसमें अनुमानित 13,000 से अधिक लोग शामिल हुए और कुछ लोगों ने इस्लाम कुबूल किया।’
यही खबर हमें क़तर ट्रिब्यून की वेबसाइट पर 25 मई 2016 में भी मिली। यहाँ दी गई मालूमात के मुताबिक, इस लेक्चर को कुछ टीवी चैनलों पर भी लाइव दिखाया और डॉ. जाकिर का लेक्चर समाप्त होने के बाद चार लोग मंच पर आये और उन्होंने इस्लाम में धर्मांतरण की घोषणा की।” पूरी खबर यहाँ पढ़ी जा सकती है।
वीडियो से जुड़ी पुष्टि के लिए हमने न्यूज़18 के सीनियर स्पोर्ट्स एडिटर विनीत रामकृष्णन से भी सम्पर्क किया और वीडियो उनके साथ साझा किया। उन्होंने हमें पुष्टि देते हुए बताया कि यह वीडियो फीफा वर्ल्डकप का नहीं है, यह 2016 का वीडियो है।”
भ्रामक पोस्ट को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर की सोशल स्कैनिंग में हमने पाया कि यूजर के 5 हजार से ज़्यादा फॉलोअर्स हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने वायरल वीडियो की पड़ताल में पाया कि इस वीडियो का क़तर में हो रहे फीफा वर्ल्डकप 2022 से कोई लेना-देना नहीं है, यह साल 2016 का वीडियो है, जब कुछ लोगों ने इस्लाम कुबूल किया था। इस पुराने वीडियो को फीफा वर्ल्डकप से जोड़ते हुए भ्रामक दावे के साथ फैलाया जा रहा है।
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