विश्व बैंक ने 2016 में अर्थव्यवस्थाओं के वर्गीकरण के तरीके को बदलते हुए उसे जीएनआई प्रति व्यक्ति के आधार पर कर दिया था। इस पुरानी खबर को हालिया संदर्भ में भ्रामक दावे से शेयर किया जा रहा है। नए वर्गीकरण के आधार पर भारत 'विकासशील' देशों की श्रेणी से निकल निम्न मध्य आय वाली अर्थव्यवस्था की श्रेणी में आ गया है, लेकिन यह किसी तरह की गिरावट को नहीं दर्शाता है और न ही भारत के इस श्रेणी में आने का मतलब उसकी अर्थव्यवस्था के इसी श्रेणी में शामिल अन्य छोटे देशों के बराबर हो जाना है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों की घोषणा से पहले सोशल मीडिया पर वायरल एक इन्फोग्राफिक्स को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि विश्व बैंक ने भारत को “विकासशील” देशों की श्रेणी से हटा कर “लोअर मिडल इनकम” यानी “निम्न आय श्रेणी” में डाल दिया है, जिसमें जांबिया, घाना, ग्वाटेमाला, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देश शामिल हैं। इससे प्रतीत होता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के दर्जे में गिरावट आई है।
विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को भ्रामक पाया। वायरल पोस्ट में जिस रैंकिंग का जिक्र किया गया है, वह हाल की घटना नहीं, बल्कि 2016 की पुरानी घटना है, जब विश्व बैंक ने अर्थव्यवस्थाओं के वर्गीकरण के आधार में बदलाव किया था और विकसित और विकासशील देशों की बजाए देशों को उनकी प्रति व्यक्ति आय के आधार पर वर्गीकृत किए जाने की शुरुआत की थी।
इस नए वर्गीकरण में शामिल श्रेणी में आने का मतलब यह नहीं है कि भारत की अर्थव्यवस्था का आकार छोटा हो गया है और वह आकार और हैसियत जांबिया या घाना जैसे देशों के बराबर हो गया है।
विश्वास न्यूज के टिपलाइन नंबर +91 95992 99372 पर यूजर ने इस वीडियो को भेजकर इसकी सच्चाई बताने का आग्रह किया है।
वायरल पोस्ट में शामिल दावे के आधार पर की-वर्ड सर्च में हमें कई पुरानी रिपोर्ट्स मिली, जिसमें इसका जिक्र है। इकोनॉमिक टाइम्स की 31 मई 2016 को प्रकाशित खबर के मुताबिक, दशकों तक देशों को “विकसित” और “विकासशील” देशों की श्रेणी में रखकर निर्णय लिए जाते थे, लेकिन अब विश्व बैंक ने ज्यादा सटीक तरीका अपनाते हुए इस वर्गीकरण को बदल दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, “भारत, जो अब तक विकासशील देशों की श्रेणी में आता था, अब वह “निम्न मध्य आय” वाले देशों की श्रेणी में आ गया है।”
कई अन्य पुरानी रिपोर्ट्स में भी इसका जिक्र है।
सभी पुरानी रिपोर्ट्स में इस बात का स्पष्ट रूप से जिक्र किया गया है कि विश्व बैंक की तरफ से अर्थव्यवस्थाओं के वर्गीकरण के आधार में बदलाव किया गया है और अब देशों की गणना ‘विकसित’ और ‘विकासशील’ देशों की श्रेणी में नहीं की जाएगी।
विश्व बैंक ने 2016 में अपने वर्गीकरण मानकों में बदलाव करते हुए देशों को ‘विकसित’ और ‘विकासशील’ देशों के तौर पर चिह्नित करने की बजाए जीएनआई प्रति व्यक्ति के आधार पर करने का फैसला लिया था। विश्व बैंक की वेबसाइट पर इस वर्गीकरण को देखा जा सकता है। विश्व बैंक की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, भारत अभी भी इसी आय श्रेणी वाले समूह में बना हुआ है।
इससे पहले भी यह दावा सोशल मीडिया पर पूर्व चुनावों के दौरान वायरल हो चुका है, जिसकी जांच विश्वास न्यूज ने की थी। हमारी विस्तृत फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।
इस वर्गीकण के आधार को समझने के लिए हमने वरिष्ठ अर्थशास्त्री अरुण कुमार से संपर्क किया था। उन्होंने हमें बताया, “2016 में विश्व बैंक ने अर्थव्यवस्थाओं के वर्गीकरण को ‘विकासशील’ और ‘विकसित’ देशों से हटाकर जीएनआई प्रति व्यक्ति के आधार पर तय करने का फैसला लिया और यह अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था के नई उभरती जरूरतों के मुताबिक किया गया। विश्व बैंक का यह तरीका बताता है कि उन्हें देशों के साथ किस तरह से डील करना है।”
उन्होंने कहा, “भारत को अन्य छोटे देशों के साथ निम्न मध्य आय वाली अर्थव्यवस्था की श्रेणी में रखा गया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह किसी तरह की रेटिंग में आई गिरावट है या भारत की स्थिति घाना, जांबिया और घाना जैसी हो गई है। भारत की अर्थव्यवस्था का आकार इन देशों से काफी बड़ा है और नई श्रेणी में औसत आय को मानक बनाया गया है, लेकिन इस तरीके में भी विसंगतियां है, क्योंकि भारत में जो पहले से अधिक समृद्ध हैं, उनकी आय बढ़ती जा रही है और जो गरीब है, वह पहले के मुकाबले और गरीब हुए हैं, लेकिन समग्र तौर पर औसत निकालेंगे तो आपको प्रति व्यक्ति आय में इजाफा होता दिखेगा। औसत आय, आय के वितरण को नहीं दिखाता है।”
वर्ल्ड बैंक की तरफ से मुहैया कराई गई जानकारी के मुताबिक, “निम्न आय अर्थव्यवस्था में उन देशों को शामिल किया गया है, जिनका जीएनआई प्रति व्यक्ति आय 2014 में 1,045 डॉलर या उससे कम रहा है। वहीं, निम्न मध्य आय अर्थव्यवस्था में जीएनआई प्रति व्यक्ति 1046-4,125 डॉलर, उच्च मध्य आय अर्थव्यवस्था में जीएनआई प्रति व्यक्ति 4,126-12,735 डॉलर आय को रखा गया है। उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में वैसे देशों को रखा गया है, जहां जीएनआई प्रति व्यक्ति 12,736 डॉलर या उससे अधिक है।”
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के आंकड़ों के मुताबिक, 2024 में दुनिया की पांच बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में अमेरिका, चीन, जर्मनी, जापान और भारत शामिल हैं।
अर्थव्यवस्था से संबंधित अन्य भ्रामक व फेक दावों की फैक्ट चेक रिपोर्ट को विश्वास न्यूज की वेबसाइट के बिजनेस चेक सेक्शन में पढ़ा जा सकता है।
निष्कर्ष: विश्व बैंक ने 2016 में अर्थव्यवस्थाओं के वर्गीकरण के तरीके को बदलते हुए उसे जीएनआई प्रति व्यक्ति के आधार पर कर दिया था। इस पुरानी खबर को हालिया संदर्भ में भ्रामक दावे से शेयर किया जा रहा है। नए वर्गीकरण के आधार पर भारत ‘विकासशील’ देशों की श्रेणी से निकल निम्न मध्य आय वाली अर्थव्यवस्था की श्रेणी में आ गया है, लेकिन यह किसी तरह की गिरावट को नहीं दर्शाता है और न ही भारत के इस श्रेणी में आने का मतलब उसकी अर्थव्यवस्था के इसी श्रेणी में शामिल अन्य छोटे देशों के बराबर हो जाना है।
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