पश्चिम बंगाल में 2019 में हुई पुलिस भर्ती की लिस्ट को शेयर कर किया जा रहा यह दावा भ्रामक है कि राज्य में सब इंस्पेक्टर के पदों पर हुई भर्तियों में केवल मुस्लिमों का ही चयन किया गया है। 2019 में हुई भर्तियों की कुल 10 अलग-अलग सूची में से एक को शेयर कर ऐसा भ्रामक दावा किया जा रहा है। पूरी भर्ती प्रक्रिया में राज्य में मौजूदा आरक्षण के नियमों के मुताबिक सभी समुदायों के लोगों की नियुक्तियां हुई थीं। जिस सूची को शेयर करते हुए केवल मुस्लिमों की भर्ती का दावा किया जा रहा है, वह ओबीसी श्रेणी में ग्रुप ए के तहत हुई भर्तियों का है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर नियुक्तियों की एक सूची के जरिए दावा किया जा रहा है कि पश्चिम बंगाल में सब-इंस्पेक्टर के पदों पर हुई भर्तियों में केवल मुस्लिमों को ही नियुक्त किया गया है।
विश्वास न्यूज ने जांच में इस दावे को गलत पाया, जिसे सांप्रदायिक रंग देकर शेयर किया जा रहा है। बंगाल में सब-इंस्पेक्टर की भर्ती की आधी-अधूरी लिस्ट को शेयर किया जा रहा है। 2019 में हुई भर्तियों की कुल 10 अलग-अलग सूची में से एक को शेयर कर ऐसा भ्रामक दावा किया जा रहा है। पूरी भर्ती प्रक्रिया में राज्य में मौजूदा आरक्षण के नियमों के मुताबिक सभी समुदायों के लोगों की नियुक्तियां हुई थीं। जिस सूची को शेयर करते हुए केवल मुस्लिमों की भर्ती का दावा किया जा रहा है, वह ओबीसी श्रेणी में ग्रुप ए के तहत हुई भर्तियों का है।
सोशल मीडिया यूजर ‘Sangeeta Bhargava Mitra’ वायरल पोस्ट (आर्काइव लिंक) को शेयर किया है, जिसमें दावा किया गया है कि बंगाल में हुई पुलिस नियुक्तियों में 100 फीसदी मुस्लिमों की भर्ती हुई है।
कई अन्य यूजर्स ने इस वीडियो को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
वायरल पोस्ट में जिस सूची का जिक्र किया गया है, वह हमें wbpolice.gov.in की वेबसाइट पर मिली। 18 जून 2021 को जारी सूची के साथ दी गई जानकारी के मुताबिक, “यह ओबीसी-ए श्रेणी में चयनित 50 प्रतिभागियों की प्रतिभा सूची है।”
आधिकारिक वेबसाइट पर हमें अलग-अलग वर्ग की कुल 10 सूचियां मिलीं। इन्हीं 10 में से सिर्फ एक सूची को वायरल किया जा रहा है। मौजूद जानकारी के मुताबिक, प्रत्येक 10 सूचियों में हर ग्रुप के लिए आर्म्ड ब्रांच (AB)और अनआर्म्ड ब्रांच (UB) समेत दो सूचियां हैं।
वायरल की जा रही सूची ओबीसी (ए) अनआर्म्ड ब्रांच की है, जिसमें 50 कैंडिडेट्स के नाम हैं। सोशल मीडिया पर इस लिस्ट का पहला पन्ना ही शेयर किया जा रहा है, जिसमें 37 नाम मौजूद हैं। यहां पर क्लिक कर पूरे 50 नामों की लिस्ट देखी जा सकती है। इसी तरह आप ओबीसी (बी), अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अनारक्षित कोटे की दोनों लिस्ट भी यहां क्लिक कर देख सकते हैं।
जिस सूची के स्क्रीनशॉट को शेयर किया जा रहा है, उसमें मुस्लिम अभ्यर्थियों की संख्या ज्यादा है, लेकिन ओबीसी (बी), एससी, एससी और अनारक्षित कोटे की लिस्ट में दूसरे धर्म के प्रतियोगियों की संख्या सर्वाधिक है।
पश्चिम बंगाल पिछड़ा आयोग की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक ओबीसी (ए) और ओबीसी (बी) समेत दोनों आरक्षण समूहों में कुल 171 समूह शामिल हैं। ओबीसी (ए) में 80 और ओबीसी (बी) में 91 समूह। ओबीसी की कैटेगरी ए में अति पिछड़ा वर्ग शामिल है, जबकि बी में पिछड़ा वर्ग है। इन 171 समूहों में से 112 भारतीय मुस्लिम समुदाय से हैं। आधिकारिक लिस्ट के मुताबिक खासकर ओबीसी ए समूह में 80 समुदाय में 72 भारतीय मुस्लिम समुदाय से हैं। यही वजह है कि इस लिस्ट में एक समुदाय के लोगों की संख्या ज्यादा रहती है।
यह पहली बार नहीं है, जब इस सूची को वायरल कर ऐसा दावा किया गया है। इससे पहले भी जब यह सूची वायरल हुई थी, तब विश्वास न्यूज ने इसकी जांच की थी, जिसकी फैक्ट चेक रिपोर्ट को यहां देखा जा सकता है।
इस दावे को लेकर हमने हमारे सहयोगी दैनिक जागरण के बंगाल के राज्य ब्यूरो चीफ जे के वाजपेयी से संपर्क किया था। उन्होंने स्पष्ट करते हुए बताया था कि वायरल लिस्ट पूरी भर्ती लिस्ट का एक हिस्सा भर है।
हमने 2023 में जारी बंगाल पुलिस की मेरिट लिस्ट को भी चेक किया, जो 2020 में हुई भर्तियों की सूची है। इस सूची में हमें अधिकांश सफल अभ्यर्थी हिंदू समुदाय से ही हैं। वायरल पोस्ट को भ्रामक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर को फेसबुक पर करीब डेढ़ हजार से अधिक लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: पश्चिम बंगाल में 2019 में हुई पुलिस भर्ती की लिस्ट को शेयर कर किया जा रहा यह दावा भ्रामक है कि राज्य में सब इंस्पेक्टर के पदों पर हुई भर्तियों में केवल मुस्लिमों का ही चयन किया गया है। 2019 में हुई भर्तियों की कुल 10 अलग-अलग सूची में से एक को शेयर कर ऐसा भ्रामक दावा किया जा रहा है। पूरी भर्ती प्रक्रिया में राज्य में मौजूदा आरक्षण के नियमों के मुताबिक सभी समुदायों के लोगों की नियुक्तियां हुई थीं। जिस सूची को शेयर करते हुए केवल मुस्लिमों की भर्ती का दावा किया जा रहा है, वह ओबीसी श्रेणी में ग्रुप ए के तहत हुई भर्तियों का है।
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