Fact Check: इस्कॉन मायापुर की फोटो भ्रामक दावे से हुई वायरल, फोटो में दिख रहे शख्स का नहीं है बांग्लादेश में हुए हमले से कोई संबंध

वायरल फोटो 22 जून 2016 की वेस्ट बंगाल के मायापुर इस्कॉन मंदिर की है। वहां मुस्लिमों के लिए इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया था। इस फोटो में दिख रहे शख्स का बांग्लादेश में हुए हमले से कोई संबंध नहीं है। फोटो को भ्रामक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है। इसमें एक शख्स लोगों को खाना परोसते हुए देखा जा सकता है। तस्वीर को वायरल करते हुए यूजर्स दावा कर रहे हैं कि ये बांग्लादेश के इस्कॉन मंदिर के स्वामी निताई दास हैं। इन्होंने रोजे में जगातार 30 दिन तक मुस्लिमों के लिए इफ्तार का आयोजन किया था। मुस्लिमों ने मंदिर में घुसकर निताई दास की हत्या कर दी।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल फोटो वेस्ट बंगाल के मायापुर के इस्कॉन मंदिर की है, जो जुलाई 2016 में पब्लिश हुई थी। बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर पर हुए हमले से इस शख्स का कोई संबंध नहीं है।

क्या है वायरल पोस्ट में

फेसबुक यूजर Virendra Vicky Banna (आर्काइव) ने 25 मार्च को यह स्क्रीनशॉट शेयर किया है। स्क्रीनशॉट पर फोटो के साथ ही लिखा है,

निर्मम_हत्या

ये है बंग्लादेश इस्कॉन मंदिर के स्वामी निताई दास जी, इन्होंने रोज़ा में लगातार 30 दिन तक मुस्लिमों के लिए इफ्तार का आयोजन किया था और वहीं मुस्लिमो ने इस्कान मन्दिर में घुस कर स्वामी जी का निर्मम हत्या कर
और सांप को दूध पिलाओ !!!

फेसबुक पर कुछ अन्य यूजर्स ने इस स्क्रीनशॉट को शेयर किया है।

हमें ‘विश्वास न्यूज’ के चैटबॉट नंबर +91 95992 99372 पर भी यह पोस्ट चेक करने के लिए भेजी गई।

पड़ताल

वायरल फोटो की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले इसको गूगल रिवर्स इमेज से सर्च किया। इसमें हमें UCA NEWS में 4 जुलाई 2016 को प्रकाशित रिपोर्ट मिली। इसमें वायरल फोटो भी मिल गई। इसमें कैप्शन लिखा है, A monk from the International Society for Krishna Consciousness offers sweetmeats to Muslims during Iftar at the Hindu group’s temple in Mayapur on 22 June. (मायापुर के एक मंदिर में इस्कॉन के संत मुस्लिमों को इफ्तार के दौरान मिठाई देते हुए। इसका आयोजन 22 जून को हुआ था।) खबर के मुताबिक, मायापुर के मंदिर के परिसर में मुस्लिमों के लिए इफ्तार का आयोजन किया गया। उनसे मंदिर परिसर में नमाज पढ़ने की भी गुजारिश की गई। इस कार्यक्रम का आयोजन इस्कॉन की 50वीं वर्षगाठ के अवसर पर किया गया। मायापुर के मंदिर का मुस्लिमों पर काफी गहरा लगाव है। यह पहली बार है कि मंदिर में इफ्तार का आयोजन किया गया।

इसको कीवर्ड से सर्च करने पर हमें 22 जून 2016 को oneindia में छपी खबर का लिंक मिला। इसके अनुसार, मंदिर परिसर में इस्कॉन ने चुने गए मुस्लिम पंचायत सदस्यों के लिए इफ्तार पार्टी का आयोजन किया।

इसके बाद हमने बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर पर हुए हमले के बारे में सर्च किया। iskconnews में 17 अक्टूबर 2021 को छपी रिपोर्ट के मुताबिक, चौमोनी में मंदिर पर हुए हमले में दो अनुयायी प्रांता चंद्र दास और जतन चंद्र शाह की मौत हो गई। एक अन्य अनुयायी निमाई चंद्र दास गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं।

इस्कॉन के वेरिफाइड ट्विटर हैंडल से 16 अक्टूबर 2021 को ट्वीट किया गया है। इसमें लिखा है कि इस्कॉन के सदस्य पार्था दास को करीब 200 लोगों की भीड़ ने मार डाला। उनका शव मंदिर के पास तालाब में पड़ा मिला।

इसकी और पुष्टि के लिए हमने मायापुर इस्कॉन मंदिर से संपर्क किया। उनका कहना है, This is a very old pic released last year too with same claim and which is wrong. He is neither in Bangladesh nor harmed as such by the Muslims there. (यह पुरानी तस्वीर है, जिसे पिछले साल भी समान दावे के साथ वायरल किया गया था। यह दावा गलत है। फोटो में दिख रहा शख्स न तो बांग्लादेश में है और न ही मुस्लिमों ने उसे नुकसान पहुंचाया था।)

यह स्क्रीनशॉट पहले भी वायरल हो चुका है। विश्वास न्यूज ने इसका फैक्ट चेक किया था। पूरी रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।

फोटो को भ्रामक दावे के साथ वायरल करने वाले फेसबुक यूजर Virendra Vicky Banna की हमने सोशल स्कै निंग की। इसके मुताबिक, वह कोटा राजस्थान में रहते हैं। वह एक विचारधारा से प्रेरित हैं।

निष्कर्ष: वायरल फोटो 22 जून 2016 की वेस्ट बंगाल के मायापुर इस्कॉन मंदिर की है। वहां मुस्लिमों के लिए इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया था। इस फोटो में दिख रहे शख्स का बांग्लादेश में हुए हमले से कोई संबंध नहीं है। फोटो को भ्रामक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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