Fact Check: सांस रोकने की क्षमता से नहीं पता किया जा सकता है कि आप कोरोना पीड़ित हैं या नहीं, वायरल वीडियो है फर्जी

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। विश्वास न्यूज को हमारे वॉट्सऐप हेल्पलाइन नंबर पर एक वीडियो फैक्ट चेक करने के लिए मिला। इस वीडियो में एक स्क्वायर पर एक बिंदू घूमता नजर आता है। वीडियो में लिखे गए टेक्स्ट के अनुसार, जब तक वीडियो में कर्सर घूम रहा है तब तक आप अपनी सांस रोक सकते हैं तो आपको कोरोनावायरस नहीं है। विश्वास न्यूज ने इस दावे की पड़ताल की और पाया इस कर्सर गेम से यह पता नहीं किया जा सकता कि आपको कोरोना है या नहीं।

क्या है वायरल पोस्ट में?

वॉट्सऐप पर सर्कुलेट हो रहे इस वीडियो में कर्सर घूमता है। दावे के अनुसार, व्यक्ति को जब जब कहा जाए तब तब सांस अंदर लेनी है और बाहर छोड़नी है। ऐसा कर वह चेक कर सकता है कि उसे कोरोनावायरस है या नहीं।

पड़ताल

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार कोरोनावायरस (COVID-19) का एक लक्षण सांस लेने में तकलीफ होना भी है, लेकिन इसके और भी लक्षण हैं जैसे कि बुखार आना, गले में दर्द होना आदि।

वायरल हो रहा वीडियो केवल कल्पना पर आधारित है कि अगर आप कुछ निर्धारित समय तक के लिए सांस रोक सकते हैं तो आप यह निश्चित रूप से कह सकते हैं कि आपको कोरोनावायरस नहीं है। विश्वास न्यूज ने कुछ समय पहले ही इस तरह की एक फर्जी पोस्ट का फैक्ट चेक किया था जिसमें दावा किया गया था कि अगर आप 10 सेकंड तक सांस रोक पा रहे हैं तो मतलब आपको कोरोनावायरस नहीं है।

वायरस वीडियो में किए जा रहे दावे की पड़ताल के लिए हमने डब्ल्यूएचओ व सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) की वेबसाइट को खंगाला, लेकिन हमें उस पर ऐसी कोई एडवाइजरी नहीं मिली, जिसमें कोरोनावायरस के लिए कोई सेल्फ चेक टेस्ट का तरीका बताया गया हो। न ही ऐसे किसी टेस्ट के बारे में किसी और हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की वेबसाइट पर कोई जानकारी मिली।

इसकी जगह, हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ऐसे लोगों को घर में ही खुद को आइसोलेट करने या मेडिकल हेल्प के लिए हेल्थ अथॉरिटीज से संपर्क करने की सलाह दे रही हैं, जिन्हें लगता है कि उन्हें कोरोनावायरस हो गया है।

डब्ल्यूएचओ WHO के अनुसार, कोविड 19 का सबसे प्रमुख लक्षण सूखी खांसी, थकान और बुखार है। कुछ लोगों को निमोनिया भी हो रहा है। आपको कोरोनावायरस है या नहीं यह जांचने का सबसे बेस्ट तरीका है कि आप लेबोरेटरी में जांच करवाएं। सांस लेने वाले टेस्ट की मदद से आप यह नहीं जान सकते कि आपको कोरोनावायरस है या नहीं। यह और भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है।

विश्वास न्यूज ने नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल की क्रिटिकल केयर में पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. राजेश चावला से संपर्क किया। उन्होंने वायरल वीडियो में किए जा रहे दावे को नकारते हुए कहा कि यह सही नहीं है। कोरोनावायरस की जांच का यह सही तरीका नहीं है, इससे भ्रम फैल सकता है।

मिशिगन यूनिवर्सिटी की मिशिगन मेडिसिन की वेबसाइट के अनुसार, डीप ब्रीदिंग शरीर में स्ट्रेस कम करने का काम करती है, क्योंकि जब आप लंबी सांस लेते हैं तो यह आपके दिमाग को मैसेज पहुंचाता है कि आपको रिलैक्स करना है। इसके बाद दिमाग आपकी पूरी बॉडी को मैसेज देता है। इसका असर यह होता है कि स्ट्रेस की वजह से जो आपकी हार्ट रेट बढ़ी होती है, ब्रीदिंग तेज हुई होती है या फिर आपका ब्लड प्रेशर बढ़ा होता है, वह सब नॉर्मल आ जाता है।

यह किसी भी ब्रीदिंग एक्सरसाइज के लिए जनरल रिकमेंडेशन है, यह केवल वायरल हो रहे इस गेम के लिए नहीं है। अगर आपको स्वास्थ्य संबंधी कोई भी समस्या है तो आपको कोई भी एक्सरसाइज करने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह ले लेनी चाहिए।

निष्कर्ष

वायरल वीडियो जिसमें दावा किया जा रहा है कि आप अपनी सांस रोकने की क्षमता से जांच सकते हैं कि आप कोरोना पीड़ित हैं या नहीं, यह पोस्ट फर्जी है।

Disclaimer: विश्वास न्यूज की कोरोना वायरस (COVID-19) से जुड़ी फैक्ट चेक स्टोरी को पढ़ते या उसे शेयर करते वक्त आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिन आंकड़ों या रिसर्च संबंधी डेटा का इस्तेमाल किया गया है, वह परिवर्तनीय है। परिवर्तनीय इसलिए ,क्योंकि इस महामारी से जुड़े आंकड़ें (संक्रमित और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या, इससे होने वाली मौतों की संख्या ) में लगातार बदलाव हो रहा है। इसके साथ ही इस बीमारी का वैक्सीन खोजे जाने की दिशा में चल रहे रिसर्च के ठोस परिणाम आने बाकी हैं और इस वजह से इलाज और बचाव को लेकर उपलब्ध आंकड़ों में भी बदलाव हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि स्टोरी में इस्तेमाल किए गए डेटा को उसकी तारीख के संदर्भ में देखा जाए।

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