Fact Check: पिंजरे में कैद बच्चों का यह वीडियो इजरायल पर हमास के हमले से पहले का है

इजरायली बच्चों को हमास के आतंकियों द्वारा अगवा कर उन्हें पिंजरे में कैद करने के दावे के साथ वायरल हो रहा वीडियो पुराना है, जिसे इजरायल पर हमास के हालिया हमले से जोड़कर भ्रामक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

Fact Check: पिंजरे में कैद बच्चों का यह वीडियो इजरायल पर हमास के हमले से पहले का है

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। इजरायल-हमास संघर्ष के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप और इसके अलग-अलग स्क्रीनशॉट को वायरल किया जा रहा है, जिसमें बच्चों को पिंजरे में बंद देखा जा सकता है। दावा किया जा रहा है कि यह इजरायल पर हमले के बाद आतंकी संगठन हमास की तरफ से अगवा किए गए इजरायली बच्चे हैं, जिन्हें अगवा करने के बाद पिंजरे में बंद कर रखा गया है।

विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को गलत पाया। वायरल वीडियो इजरायल पर हमास के आतंकी हमले के पहले सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया था। इसका मौजूदा इजरायल-हमास संघर्ष से कोई संबंध नहीं है और साथ ही इसमें नजर आ रहे बच्चे यहूदी नहीं है।

क्या है वायरल?

सोशल मीडिया यूजर ‘अमन प्रताप सिंह’ ने वायरल पोस्ट (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, “ये वो #इजरायली बच्चे हैं जिनके माता पिता मुस्लिम चरमपंथी संगठन #हमास द्वारा मारे जा चुके हैं, इसके बाद भी इन्हे कैद कर दिया गया है, मतलब साफ है वो पूरे इजरायल का सफाया चाहते हैं।”

सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर भी कई अन्य यूजर्स ने इसे समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

एक्स यूजर ‘Orthodox Canonist’ ने अपने एक्स हैंडल से इस वीडियो को शेयर किया है। इस पोस्ट पर एक्स की तरफ से रेफरेंस यानी संदर्भ को जोड़ा गया है, जिसके मुताबिक, यह वीडियो इजरायल पर हमास के हमले यानी सात अक्टूबर 2023 से पहले का है। इस रेफरेंस में ‘פייק ריפורטר | FakeReporter’ नामक एक्स हैंडल का पोस्ट शामिल है, जिसमें इसे इजरायल पर हमास के पहले का बताया गया है। ‘फेक रिपोर्टर’ हिब्रू भाषी फैक्ट चेक नेटवर्क है।

FakeReporter के एक्स हैंडल पर हमें इससे संबंधित एक और पोस्ट मिला, जिसमें इस वायरल वीडियो के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। 10 अक्टूबर 2023 को दी गई जानकारी के मुताबिक, “टिकटॉक वीडियो को डिलीट किया जा चुका है और उपलब्ध लिंक टूटा हुआ है। हमें यह नहीं पता कि यह वीडियो कहां से आया, लेकिन इस वीडियो को (इजरायल पर हमले से) पांच दिन पहले पोस्ट किया गया है।”

इस पोस्ट में टिकटॉक वीडियो के जिस स्क्रीनशॉट को लगाया गया है, उसमें इसके नीचे ‘प्रोमोशनल कंटेंट’ भी लिखा हुआ है। एक्स यूजर ‘Orthodox Canonist’ ने पहले इस वीडियो को हमास द्वारा अगवा किए गए बच्चों के दावे के साथ शेयर किया गया था।

बाद में करेक्शन करते हुए इसे फिलिस्तीनी बच्चों का बताया गया है। ‘द पैलिस्टिनियन ऑब्जर्वेटरी फॉर वेरिफिकेशन एंड मीडिया एजुकेशन-काशिफ’ kashif.ps ने अपनी रिपोर्ट (आर्काइव लिंक)में इसे हालिया इजरायली-हमास संघर्ष से असंबंधित बताया है।

kashif.ps की रिपोर्ट के मुताबिक, इस वीडियो में नजर आ रहा एक व्यक्ति ‘मजलूम फीबा लादी’ के नाम से सोशल मीडिया पर मौजूद हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, “उस व्यक्ति ने पुष्टि करते हुए बताया कि वीडियो क्लिप में नजर आ रहे बच्चे उनके संबंधी हैं, न कि इजरायली बच्चे और उन्होंने (हमास के हमले से) तीन दिन पहले इस वीडियो को पब्लिश किया था।”

इस रिपोर्ट में भी “פייק ריפורטר | FakeReporter” के पोस्ट का हवाला दिया गया है, जिसमें इस बात की पुष्टि की गई है कि यह वीडियो पुराना है और इसमें नजर आ रहे बच्चे “इजरायली” नहीं हैं।

काशिफ ने अपनी रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की है कि यह वीडियो इजरायल पर हमास के हमले से तीन दिन पहले अपलोड किया गया था। पहली बार इस वीडियो को “Mazloum fi bladi – مظلوم فبلادي” नामक यूजर्स की तरफ से टिकटॉक पर शेयर किया गया था। हालांकि, बाद में इस अकाउंट को डिलीट कर दिया गया था।

रिपोर्ट के मुताबिक, इस वीडियो को एक्स प्लेटफॉर्म पर पुराना बताते हुए शेयर किया गया था और इसके स्क्रीनशॉट में “Mazloum fi bladi” नामक यूजर अकाउंट का जिक्र था और इसे आतंकी हमले से पहले शेयर किया गया था। टिकटॉक पर यह अकाउंट फिर से सक्रिय है, जहां अकाउंट होल्डर ने वीडियो जारी कर वायरल वीडियो के संदर्भ को स्पष्ट किया है। उन्होंने बताया है कि यह वीडियो हमास के आतंकी हमले से पहले का है।

“Mazloum fi bladi – مظلوم فبلادي” नामक यूजर की तरफ से जारी किया गया वीडियो, जिसमें उन्होंने इसे हमास के आतंकी हमले से पहले का बताया है।

इस वीडियो को देखने के लिए हमने एक्सप्रेस वीपीएन टूल की मदद ली, क्योंकि भारत में प्रतिबंधित होने की वजह से टिकटॉक को एक्सेस नहीं किया जा सकता है। kashif.ps की तरफ से बताया गया कि इसमें नजर आ रहा व्यक्ति अरबी भाषा में अपनी बात रखते हुए कह रहा है, “वे बच्चे मेरे संबंधी हैं, न कि यहूदी। मैंने हमास के हमले से तीन दिन पहले इस वीडियो को पब्लिश किया था।”

Kashif.ps की फैक्ट चेकर अबू रिहम इता ने बताया, “हमने इस वायरल पोस्ट को लेकर फैक्ट चेक रिपोर्ट को प्रकाशित किया है और यह वीडियो हमास के हमले से तीन दिन पहले टिकटॉक पर पोस्ट किया गया था। जिस अकाउंट से इस वीडियो को पोस्ट किया गया था, वह अब फिर से सक्रिय है और उसने बयान जारी कर इस बात की पुष्टि की है कि यह वीडियो हमास के हमले से तीन पहले पोस्ट किया गय था और इसमें नजर आ रहे बच्चे यहूदी बच्चे नहीं हैं।”

वायरल वीडियो को लेकर हमने इजरायली फैक्ट चेकर यूरिआ बार मेर से संपर्क किया। उन्होंने पुष्टि करते हुए बताया कि वायरल वीडियो के साथ किया जा रहा दावा फेक है। उन्होंने कहा, “वैसे तो गाजा में अगवा कर कैद में रखे गए बंधकों के बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन निश्चित तौर पर यह वीडियो फेक है।”

गौरतलब है कि हमास ने इजरायल पर सात अक्टूबर को हमला किया था। न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, अभी तक इजरायल में करीब 1,400 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं गाजा में 3,400 लोग मारे गए हैं।

वीडियो के वायरल होने के बाद कई अन्य फैक्ट चेक वेबसाइट्स ने आपसी साझेदारी और समन्वय के तहत इसकी फैक्ट चेक रिपोर्ट को प्रकाशित किया है, जिसमें स्नोप्स, फैक्टिस्क समेत अन्य शामिल हैं। इजरायल-फिलिस्तीन से संबंधित अन्य फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को विश्वास न्यूज की वेबसाइट पर पढ़ा जा सकता है।

निष्कर्ष: इजरायली बच्चों को हमास के आतंकियों द्वारा अगवा कर उन्हें पिंजरे में कैद करने के दावे के साथ वायरल हो रहा वीडियो पुराना है, जिसे इजरायल पर हमास के हालिया हमले से जोड़कर भ्रामक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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