Fac Check: बेंगलुरु में मटन के नाम पर कुत्ते के मांस की सप्लाई का दावा FAKE, सांप्रदायिक दावे से शेयर किया जा रहा वीडियो

कर्नाटक के बेंगलुरु  में मटन या बकरे के मांस के नाम पर कुत्ते के मांस की सप्लाई किए जाने का दावा फेक है। विवाद सामने आने के बाद लैब की रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि होती है कि जिस मांस की खेप को कुत्ते का बताया गया था, वह वास्तव में राजस्थान और गुजरात में पाए जाने वाली विशेष नस्ल के बकरों का मांस था।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया यूजर्स एक वीडियो को शेयर करते हुए दावा कर रहे हैं कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु  में करीब 14 हजार किलो कुत्ते के मांस को जब्त किया गया है, जिसे होटलों में मटन यानी बकरे का मांस बताकर बेचा जाता था। वायरल वीडियो में एक व्यक्ति को रेलवे स्टेशन पर मौजूद मांस की खेप वाले बक्से के साथ कन्नड़ भाषा में ऐसा बताते हुए देखा जा सकता है।

विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को गलत पाया, जिसे फेक व सांप्रदायिक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। हैदराबाद स्थित आईसीएआर-नेशनल मीट रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट ने भी जब्त किए गए मांस के बकरे का मांस होने की पुष्टि की है। कर्नाटक के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री और बेंगलुरु के खाद्य सुरक्षा आयुक्त ने भी इसकी पुष्टि करते हुए लोगों से अफवाह नहीं फैलाने की अपील की है।

पड़ताल

सोशल मीडिया यूजर ‘surajsengar81’ ने वायरल वीडियो (आर्काइव लिंक) को शेयर किया है, जिस पर लिखा है, “14 हजार किलो कुत्ते का मांस कर्नाटक में पकड़ा गया, जो कि अब्दुल रजाक होटल में मटन बताकर सप्लाई करता है।”

सोशल मीडिया पर फेक दावे के साथ वायरल पोस्ट का स्क्रीनशॉट।

पड़ताल

वायरल वीडियो में किए गए दावे के आधार पर की-वर्ड सर्च में हमें कई न्यूज रिपोर्ट्स मिली, जिसमें इस घटना का जिक्र है और सभी में इस दावे को गलत बताया गया है।

‘द हिंदू’ की एक अगस्त 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, 26 जुलाई की रात पुनीथ केरेहल्ली के नेतृत्व में गौरक्षकों के एक समूह ने क्रांतिवीरा संगोल्ली रायन्ना बेंगलुरु रेलवे स्टेशन पर विरोध प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि बेंगलुरु में नॉन-वेज होटलों को सप्लाई के लिए ट्रेन से राजस्थान से कुत्ते के मांस की तस्करी की जा रही है। इसके बाद पुलिस ने जयपुर से आए लगभग 2,700 किलोग्राम मांस से भरे 90 इंसुलेटेड बक्सों को जब्त कर लिया।”

इसके बाद “जब्त किए गए मांस से नमूने नेशनल मीट रिसर्च इंस्टीट्यूट को भेजे गए थे और रिपोर्ट में पुष्टि हुई है कि नमूने में भेड़ का मांस था।” रिपोर्ट के मुताबिक, “इस मामले में गोरक्षक  पुनीत केरेहल्ली, पूर्व सांसद प्रताप सिन्हा और उनके अन्य सहयोगियों के खिलाफ अवैध तरीके से इकट्ठा होने और पुलिस को उसके काम में बाधा डालने के मामले में मुकदमा भी दर्ज किया गया है।”

डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट में भी इस घटना और उसके बाद हुई कार्रवाई का समान संदर्भ में जिक्र है। 31 जुलाई 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, केएसआर बेंगलुरु  रेलवे स्टेशन पर फूड  इंस्पेक्टर ने 26 जुलाई को मीट के सैंपल लिए थे और इसके बाद फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसआई) ने पुष्टि करते हुए बताया कि जब्त किया मांस “कुत्ते का नहीं, बल्कि बकरे का मांस” था।

बेंगलुरु  के स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री दिनेश गुंडू राव ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से इस मामले में फैलाई गई अफवाह का खंडन करते हुए लैब टेस्ट की रिपोर्ट को भी साझा किया है, जिसमें कहा गया है कि विवाद के बाद जब्त किए गए 84 पार्सल्स को जांच के लिए हैदराबाद स्थित आईसीएआर-नेशनल  मीट रिसर्ट इंस्टीट्यूट को भेजा गया था। जांच के बाद यह बात साफ हो गई है कि जब्त किया गया मांस बकरे का था।

साथ ही उन्होंने लोगों से इस मामले में अफवाह न फैलाने की अपील की है। ‘द न्यूज मिनट’ की रिपोर्ट में हमें उस व्यक्ति की तस्वीर भी मिली, जो वायरल वीडियो में नजर आ रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, गोरक्षक  पुनीत केरेहल्ली हत्या के एक मामले में आरोपी भी है। रिपोर्ट के मुताबिक, “भेजे गए मांस की खेप अब्दुल रज्जाक की थी, जो राजस्थान से मांस की खरीदारी करता है।”

एक अन्य रिपोर्ट में कर्नाटक के फूड सेफ्टी कमिश्नर के श्रीनिवास का भी बयान है, जिसके मुताबिक, “सप्लाई किया गया मांस कुत्ते का नहीं, बल्कि बकरे की विशेष नस्ल सिरोही का था, जो राजस्थान और गुजरात के कच्छ-भुज क्षेत्रों में पाया जाता है। इनकी पूंछ थोड़ी लंबी होती है, इसलिए लोगों को कुत्ते का भ्रम हो जाता है। सैंपल में कुत्ते का मांस नहीं था।”

रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में कॉटनपेट पुलिस स्टेशन में तीन एफआईआर दर्ज की गई। अतिरिक्त पुष्टि के लिए हमने कॉटनपेट पुलिस स्टेशन के प्रभारी येरी स्वामी से संपर्क किया। उन्होंने कहा, “जब्त किए गए मांस के सैंपल की रिपोर्ट आ चुकी है और इस मामले में तीन मुकदमा दर्ज हुआ है और पांच लोगों को पुलिस के काम में बाधा डालने के मामले में गिरफ्तार किया गया है।”

वायरल पोस्ट को फेक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर को इंस्टाग्राम पर करीब डेढ़ लाख लोग फॉलो करते हैं। अन्य वायरल दावों व हालिया संपन्न लोकसभा चुनावों से संबंधित वायरल दावों की फैक्ट चेक रिपोर्ट को विश्वास न्यूज की वेबसाइट पर पढ़ा जा सकता है।

निष्कर्ष: कर्नाटक के बेंगलुरु  में मटन या बकरे के मांस के नाम पर कुत्ते के मांस की सप्लाई किए जाने का दावा फेक है। विवाद सामने आने के बाद लैब की रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि होती है कि जिस मांस की खेप को कुत्ते का बताया गया था, वह वास्तव में राजस्थान और गुजरात में पाए जाने वाली विशेष नस्ल के बकरों का मांस था।

False
Symbols that define nature of fake news
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