Fact Check: कांग्रेस का ‘गोपनीय दस्तावेज’ पकड़े जाने का दावा FAKE, वीडियो PFI ठिकानों पर पड़े छापे का है

2022 में पटना के फुलवारी शरीफ समेत अन्य जगहों पर प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के ठिकानों पर पड़ी रेड की खबर को फेक दावे के साथ कांग्रेस से जोड़कर शेयर किया जा रहा है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो को लेकर दावा किया जा रहा है कि सरकार को कांग्रेस के उस ‘गोपनीय दस्तावेज’ की जानकारी मिली है, जिसमें भारत को 2047 तक कथित तौर पर मुस्लिम राष्ट्र बनाए जाने की योजना का जिक्र है।

विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इसे गलत पाया। वायरल वीडियो 2022 में पटना के फुलवारी शरीफ में पुलिस के छापे से संबंधित है, जिसमें आतंकवादी मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ था और इसी छापे में पुलिस ने पीएफआई (अब प्रतिबंधित संगठन) का झंडा, बुकलेट और पैम्फलेट समेत कई अन्य संदिग्ध दस्तावेजों को बरामद किया था, जिसमें भारत को 2047 तक इस्लामी मुल्क बनाने की जिक्र किया गया था।

क्या है वायरल?

सोशल मीडिया यूजर ‘Amit Bansal’ ने वायरल पोस्ट (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, “*काँग्रेस का गोपनीय  दस्तावेज मोदी सरकार के हाथ आ गया है। आजतक न्यूज चेनल ने जनता के सामने जाहिर  कर दिया ।*कैसे 2047 तक कांग्रेस भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने की ओर अग्रसर है।खतरनाक साजिश।”

सोशल मीडिया पर वायरल फेक पोस्ट का स्क्रीनशॉट।

कई अन्य यूजर्स ने इस वीडियो को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

वायरल वीडियो हिंदी न्यूज चैनल आज तक का वीडियो बुलेटिन है, जिसमें एंकर श्वेता सिंह नजर आ रही हैं। इसी वीडियो क्लिप के आधार पर न्यूज सर्च में हमें आज तक की वेबसाइट पर 14 जुलाई 2022 की रिपोर्ट मिली, जिसमें इस घटना का जिक्र है। रिपोर्ट के मुताबिक, “पटना के फुलवारी शरीफ इलाके में एक आतंकवादी मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ है. इनके निशाने पर प्रधानमंत्री मोदी का बिहार दौरा था, जिसपर वह 12 जुलाई को पटना पहुंचे थे. हमले के लिए पीएम के दौरे से 15 दिन पहले फुलवारी शरीफ में संदिग्ध आतंकियों की ट्रेनिंग भी शुरू हुई थी. वहीं पर छापा मारकर संदिग्धों को पकड़ा गया.” रिपोर्ट के मुताबिक, “इस मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है।  गिरफ्तार किए गए दोनों कथित आतंकवादियों में से एक झारखंड पुलिस का रिटायर्ड दरोगा मोहम्मद जलालुद्दीन और दूसरा अतहर परवेज है. अतहर परवेज पटना के गांधी मैदान में हुए बम धमाके का आरोपी मंजर का सगा भाई है.”

इसी रिपोर्ट में बताया गया है, “पुलिस ने बताया है कि दोनों संदिग्ध आतंकवादियों के तार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) से जुड़े हैं. पुलिस ने इन दोनों के पास से पीएफआई का झंडा, बुकलेट, पंपलेट और कई संदिग्ध दस्तावेज बरामद किए हैं. जिसमें भारत को 2047 तक इस्लामिक मुल्क बनाने का जिक्र किया गया है।”

कई अन्य रिपोर्ट्स में इस घटना और उसके बाद की कार्रवाई का जिक्र है।

सर्च में हमें आज तक का ऑरिजिनल न्यूज बुलेटिन मिला, जिसे 14 जुलाई 2022 को अपलोड किया गया है।

आज तक के यू-ट्यूब चैनल पर ऐसे कई अन्य वीडियो बुलेटिन मिले, जिसमें इस घटना को विस्तार से कवर किया गया है।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 28 सितंबर 2022 को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर पांच वर्षों के लिए प्रतिबंध लगाए जाने की घोषणा की थी।

अनलॉफुल एक्टीविटीज (प्रिवेंशन एक्ट), 1967 के तहत पीएफआई के साथ इससे संबद्ध अन्य संगठनों ‘रिहैब इंडिया फाउंडेशन’ (आरआईएफ), ‘कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया’ (सीएफ), ‘ऑल इंडिया इमाम काउंसिल’ (एआईआईसी), ‘नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन’ (एनसीएचआरओ), ‘नेशनल वुमेंस फ्रंट’, ‘जूनियर फ्रंट’, ‘एम्पावर  इंडिया फाउंडेशन’ और ‘रिहैब फाउंडेशन (केरल)’ पर प्रतिबंध लगाया गया है।

हमारी जांच से स्पष्ट है कि वायरल हो रहा वीडियो पटना में छापे के दौरान पीएफआई से संबंधित दस्तावेजों की बरामदगी का है, जिसमें भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाए जाने के लक्ष्य का जिक्र किया गया था। वायरल वीडियो क्लिप को लेकर हमने हमारे सहयोगी दैनिक जागरण के पटना के न्यूज एडिटर अश्निनी सिंह से संपर्क किया। उन्होंने पुष्टि करते हुए बताया कि यह पुरानी घटना है, “जब फुलवारी शरीफ समेत कई जगहों पर रेड हुई थी और इसमें कांग्रेस का कोई जिक्र नहीं था।”

वायरल वीडियो को फेक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर ने जिस ग्रुप में इस पोस्ट को शेयर किया है, वह विचारधारा विशेष से प्रेरित है और इसके करीब 24 हजार सदस्य हैं। सोशल मीडिया पर राजनीति से संबंधित अन्य वायरल दावों की फैक्ट चेक रिपोर्ट को विश्वास न्यूज की वेबसाइट पढ़ा जा सकता है।

निष्कर्ष: 2022 में पटना के फुलवारी शरीफ समेत अन्य जगहों पर प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के ठिकानों पर पड़ी रेड की खबर को फेक दावे के साथ कांग्रेस से जोड़कर शेयर किया जा रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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