Fact Check : दिलजीत दोसांझ ने नहीं किया उनके नाम से वायरल हो रहा यह ट्वीट

दिलजीत दोसांझ ने ट्वीट कर नहीं कहा कि काश किसानों के साथ पढ़े-लिखे लोग भी सड़कों पर बैठते तो न एयरपोर्ट बिकता, न रेलवे स्टेशन, न नौकरी जाती आदि, वायरल पोस्ट उनके पैरोडी अकाउंट से किया गया है।

नई द‍िल्‍ली (Vishvas News)। किसान आंदोलन के समर्थन में पंजाबी गायक व बॉलीवुड एक्टर दिलजीत दोसांझ काफी समय से सोशल मीडिया पर अपने विचार बेबाकी से रखते आ रहे हैं। इसी बीच अब एक ट्वीट का स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर शेयर हो रहा है, जिसमें लिखा गया है कि काश किसानों की तरह अगर पढ़े-लिखे लोग भी सड़कों पर आ जाते तो न एयरपोर्ट बिकता, न रेलवे स्टेशन, न नौकरी जाती, न जीडीपी गिरती आदि। दावा किया जा रहा है कि यह ट्वीट दिलजीत दोसांझ ने किया है।

विश्वास न्यूज ने पड़ताल में पाया कि वायरल हो रहा ट्वीट दिलजीत ने नहीं किया है। यह उनके किसी फैन की ओर से बनाए गए पैरोडी अकाउंट से किया गया है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर Anoop Sandhu ने यह पोस्ट शेयर की, जिसमें लिखा गया है:काश किसानों की तरह पढ़े लिखे लोग भी सड़को पर आ जाते, न एयरपोर्ट बिकता, न रेलवे स्टेशन, न LIC, BPCL बिकती, न नौकरी जाती, न बेरोजगारी बढ़ती, न जीडीपी गिरती!

पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने पड़ताल शुरू करते हुए सबसे पहले वायरल पोस्ट में नजर आ रहे ट्विटर हैंडल @Diljitdosanjhi को सर्च किया, तो हमें यह ट्विटर हैंडल मिल गया। इस ट्विटर हैंडल के बायो में साफ-साफ लिखा गया है कि यह दिलजीत दोसांझ के नाम से बनाया गया पैरोडी अकाउंट है। यह अकाउंट मई 2019 में बनाया गया था और इसके 465000 फॉलोअर्स हैं, जबकि इसे शिवम यादव नाम के एक यूजर के ट्विटर हैंडल के साथ कनेक्ट किया गया है। इस अकाउंट को दिसंबर 2020 में ही बनाया गया है। दिलजीत के पैरोडी अकाउंट से कई फर्जी ट्वीट्स किए गए हैं वहीं, साथ ही इसमें हमें दिलजीत के असली ट्विटर हैंडल से किए गए कुछ ट्वीट्स भी रीट्वीट किए हुए मिले।

हमने गौर किया कि इस ट्विटर हैंडल के आगे ​नीले रंग के टिक का निशान नहीं है, यानी कि यह वेरिफाइड ट्विटर हैंडल नहीं है, वहीं ट्विटर हैंडल में दिलजीत के नाम के अंत में एक्स्ट्रा आई (i) लगाया गया है। दिलजीत का असली ट्विटर हैंडल उन्हीं के नाम से है, ​लेकिन उसके अंत में (i) नहीं लगा हुआ है।

इसके बाद हमने दिलजीत के असली ट्विटर हैंडल को खंगाला। उनके ट्विटर हैंडल पर हमें किसान आंदोलन के समर्थन में कई ट्वीट्स दिखे, लेकिन वायरल ट्वीट या इससे मिलता-जुलता कोई ट्वीट हमें नहीं मिला।

हमने ज्यादा जानकारी के लिए मुंबई से दैनिक जागरण के लिए बॉलीवुड कवर करने वाली पत्रकार स्मिता श्रीवास्तव से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल हो रहा ट्वीट दिलजीत दोसांझ के नाम से बने किसी फर्जी अकाउंट से किया गया है। यह ट्विटर हैंडल दिलजीत का वेरिफाइड हैंडल नहीं है, लिहाजा इस पर यकीन नहीं किया जाना चाहिए।

फेसबुक पर वायरल पोस्ट Anoop Sandhu नामक यूजर ने शेयर की है। इस यूजर की प्रोफाइल को स्कैन करने पर हमने पाया कि खबर लिखे जाने तक यूजर के 4941 फ्रेंड्स थे।

निष्कर्ष: दिलजीत दोसांझ ने ट्वीट कर नहीं कहा कि काश किसानों के साथ पढ़े-लिखे लोग भी सड़कों पर बैठते तो न एयरपोर्ट बिकता, न रेलवे स्टेशन, न नौकरी जाती आदि, वायरल पोस्ट उनके पैरोडी अकाउंट से किया गया है।

False
Symbols that define nature of fake news
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