Fact Check: मास्क पहनने से जुड़ा WHO का पुराना मैसेज ताजा बता कर वायरल

Fact Check: मास्क पहनने से जुड़ा WHO का पुराना मैसेज ताजा बता कर वायरल

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन WHO का लोगो लगा स्क्रीनशॉट मौजूद है। इस पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि डब्ल्यूएचओ का कहना है कि मास्क केवल हेल्थकेयर वर्कर्स, केयरटेकर्स या जिन लोगों को खांसी व बुखार जैसे लक्षण हैं उन्हें ही लगाना चाहिए। विश्वास न्यूज ने पड़ताल में इस पोस्ट को भ्रामक पाया। वायरल हो रही गाइडलाइन काफी पुरानी है और अब इसमें बदलाव किया जा चुका है।

डब्ल्यूएचओ ने सलाह दी है कि हेल्थकेयर वर्कर्स, केयरटेकर्स व कोविड संबंधी लक्षणों वाले लोगों को मेडिकल मास्क पहनना चाहिए। डब्ल्यूएचओ ने आगे कहा कि अगर कोरोना ज्यादा फैलता है, खासकर ऐसी जगह जहां फिजिकल डिस्टेंसिंग संभव न हो वहां सरकार आम जनता को कपड़े के मास्क पहनने को कह सकती है। डब्ल्यूएचओ ने मास्क के फैब्रिक और इससे पहनने के तरीके के बारे में भी गाइडलाइंस दी हैं।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक पर वायरल इस पोस्ट को चंदन आर्य (Chandan Arya) नामक यूजर ने साझा किया था, जिसमें डब्ल्यूएचओ का लोगो लगा एक स्क्रीनशॉट था। इस स्क्रीनशॉट में दावा किया गया है कि केवल हेल्थकेयर वर्कर्स, केयरटेकर्स और ऐसे लोग जिन्हें खांसी या बुखार जैसे लक्षण हैं, उन्हें ही मास्क लगाना जरूरी है।

पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने डब्ल्यूएचओ हेल्थ इमरजेंसीज, SEARO में टेक्निकल ऑफिसर से बात की, जिन्होंने बताया: डब्लयूएचओ की आधिकारिक वेबसाइट पर मास्क के बारे में डब्ल्यूएचओ की गाइलाइंस मौजूद हैं। डब्ल्यूएचओ हेल्थ वर्कर्स, या जिसे कोविड 19 के लक्षण हैं उन्हें या कोविड 19 मरीजों की देखभाल कर रहे लोगों को मेडिकल मास्क लगाने की सलाह देता है। डब्ल्यूएचओ ने सरकारों को सलाह दी है कि व लोगों को नॉन मेडिकल कपड़े के मास्क पहने के लिए प्रोत्साहित करें, इससे कोरोनावायरस को फैलने से रोका जा सकता है, खासकर ऐसी जगहों पर जहां एक मीटर की फिजिकल डिस्टेंसिंग रखना संभव न हो। जैसे- पब्लिक ट्रांसपोर्ट, दुकान या फिर भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में।

उन्होंने विश्वास न्यूज को डब्ल्यूएचओ की एडवाइजरी के लिंक भी साझा किए।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, सरकारों को यह सलाह दी जाती है कि वो लोगों को कपड़े के मास्क पहनने के लिए प्रोत्साहित करे। इससे कोरोनावायरस से बचा जा सकता है। खासकर जहां 1 मीटर की दूरी बना कर रखना संभव न हो। जैसे- पब्लिक ट्रांसपोर्ट में, दुकानों या भीड़ भाड़ वाले इलाकों में लोग कपड़े का मास्क लगा कर खुद को सुरक्षित कर सकते हैं।

मास्क दो तरह के होते हैं — मेडिकल मास्क व नॉन मेडिकल/कपड़े के मास्क। डब्ल्यूएचओ ने नॉन मेडिकल मास्क या कपड़े के मास्क के लिए खास तौर से गाइडलाइंस दी हैं।

स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी सुझाव दिया है कि जिन लोगों को कोरोना के लक्षण नहीं हैं या जिन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है, वो लोग घर से बाहर निकलते समय हाथ से बना कपड़े का मास्क पहन सकते हैं। इससे वे खुद को कोरोनावायरस से सुरक्षित कर सकते हैं।

पुरानी गाइलाइंस डब्ल्यूएचओ की वेबसाइट पर मार्च 2020 में मौजूद थी। मास्क को कैसे इस्तेमाल करना है इसे लेकर डॉ. बॉलर का एक वीडियो फरवरी 2020 में पब्लिश हुआ था। वीडियो यहां देखा जा सकता है।

जून 2020 में डब्ल्यूएचओ ने अपनी गाइडलाइंस अपडेट की थी। अब डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि जिन भी जगहों पर वायरस फैलने का खतरा है या जिस भी जगह सोशल डिस्टेंसिंग संभव न हो वहां कपड़े का मास्क जरूर पहन कर जाएं।

हमें फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट मिली, जिसमें यह बताया गया है कि डब्ल्यूएचओ ने मास्क को लेकर गाइडलाइंस में बदलाव किया है।

फेसबुक पर यह पोस्ट “चंदन आर्य” नामक यूजर ने साझा की थी। जब हमने इस यूजर की प्रोफाइल को स्कैन किया तो पाया कि यूजर दिल्ली का रहना वाला है।

Instagram Video Explaining Fact Check:

https://www.instagram.com/p/CE8rzxunIV6/

निष्कर्ष

डब्ल्यूएचओ की ओर से मास्क के इस्तेमाल को लेकर पुरानी गाडलाइंस का वायरल स्क्रीनशॉट भ्रामक है।

Disclaimer: विश्वास न्यूज की कोरोना वायरस (COVID-19) से जुड़ी फैक्ट चेक स्टोरी को पढ़ते या उसे शेयर करते वक्त आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिन आंकड़ों या रिसर्च संबंधी डेटा का इस्तेमाल किया गया है, वह परिवर्तनीय है। परिवर्तनीय इसलिए ,क्योंकि इस महामारी से जुड़े आंकड़ें (संक्रमित और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या, इससे होने वाली मौतों की संख्या) में लगातार बदलाव हो रहा है। इसके साथ ही इस बीमारी का वैक्सीन खोजे जाने की दिशा में चल रहे रिसर्च के ठोस परिणाम आने बाकी हैं और इस वजह से इलाज और बचाव को लेकर उपलब्ध आंकड़ों में भी बदलाव हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि स्टोरी में इस्तेमाल किए गए डेटा को उसकी तारीख के संदर्भ में देखा जाए।

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