Fact Check: यूपी में गाड़ी पर जाति आदि लिखवाने पर कार्रवाई को लेकर वायरल दावा भ्रामक

यह सही है कि उत्तर प्रदेश में गाड़ियों के पीछे जातिसूचक स्टीकर लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, लेकिन इस कार्रवाई में गाड़ी सीज करने का प्रावधान नहीं है। लिहाजा विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में वायरल पोस्ट को भ्रामक पाया।

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। उत्तर प्रदेश सरकार ने दोपहिया व चौपहिया वाहनों की नंबर प्लेट या विंडस्क्रीन पर जाति अदि लिखवाने पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर इस नए आदेश को लेकर एक पोस्ट वायरल हो रहा है। इस पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि अगर वाहन के पीछे यादव, राजपूत, जाट, ब्राह्मण आदि जातिसूचक शब्द लिखे दिखते हैं तो वाहन सीज यानी कि जब्त हो जाएगा।

विश्वास न्यूज ने पड़ताल में पाया कि वायरल पोस्ट में किया जा रहा दावा भ्रामक है। यह सच है कि उत्तर प्रदेश सरकार ऐसे वाहन चालकों पर चालान कर कार्रवाई कर रही है, जिनके पीछे जातिसूचक शब्द लिखे हुए हैं, लेकिन इस प्रक्रिया में गाड़ी सीज नहीं की जा रही है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक पर यह पोस्ट Sandeep Kumar Madhukar नामक यूजर ने साझा की है। पोस्ट में एक पत्र की तस्वीर है और साथ ही लिखा गया है — लखनऊ से बड़ी खबर,
आगर आपने अपनी Bike या कार पर अपनी जाति लिखी, तो आपका वाहन जब्त हो जाएगा,
यानि कि सीज हो जाएगा,
UP में कार, Bike, बस, ट्रक, ट्रैक्टर और ई रिक्शा पर राजपूत, ब्राह्मण, यादव, जाट, क्षत्रिय समेत तमाम जाति सूचक शब्द दिखते UP के अपर परिवहन आयुक्त ने जाति लिखे वाहनों के खिलाफ UP में अभियान चलाने और उन्हें जब्त करने का अभियान चलाने का आदेश दिया है,
वाहनों पर जातिसूचक शब्द होने पर धारा 177 में चालान या सीज करने की कार्रवाई होगी।
अगर आपने भी अपने वाहन पर अपनी जाति लिखी है, तो उसे मिटा दें।

पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।

विश्वास न्यूज को वॉट्सऐप चैटबॉट नंबर 9599299372 पर भी इस पोस्ट को फैक्ट चेक करने की रिक्वेस्ट मिली। हमें मिले पोस्ट में यह भी लिखा गया था — इसके लिए महाराष्ट्र के शिक्षक हर्षल प्रभु ने PM मोदी को खत लिखा था, IGRS पर,जिसमे उन्होंने UP में दौड़ते जातिवादी वाहनों को सामाजिक ताने-बाने के लिए खतरा बताया था। PMO ने ये शिकायत UP सरकार को भेजी। इसके बाद UP के अपर परिवहन आयुक्त ने जाति लिखे वाहनों के खिलाफ UP में अभियान चलाने और उन्हें जब्त करने का अभियान चलाने का आदेश दिया है। वाहनों पर जातिसूचक शब्द होने पर धारा 177 में चालान या सीज करने की कार्रवाई होगी।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने पड़ताल शुरू करते हुए सबसे पहले वायरल पोस्ट के साथ दिख रहे पत्र के बारे में ढूंढना शुरू किया। हमें न्यूज 18 पर 27 दिसंबर को प्रकाशित हुआ एक आर्टिकल मिला। इस आर्टिकल के मुताबिक, महाराष्ट्र के रहने वाले टीचर हर्षल प्रभु ने आईजीआरएस को पत्र लिखकर यूपी की सड़कों पर दौड़ रहे ऐसे वाहनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की ​थी, जिसमें इस गाड़ियों को सीज करने की मांग भी शामिल थी। इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से उत्तर प्रदेश के ट्रांसपोर्ट विभाग को निर्देश प्राप्त हुए और विभाग ने ​रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटीज को ऐसे मामलों में एक्शन लेने को कहा। इस मामले में उत्तर प्रदेश ट्रांसपोर्ट विभाग के एडिशनल कमिश्नर मुकेश चंद्र ने रीजनल अथॉरिटीज को निर्देश दिए और साथ में हर्षल प्रभु का पत्र संलग्न करते हुए उचित कार्रवाई करने को कहा।

पड़ताल आगे बढ़ाते हुए विश्वास न्यूज ने लखनऊ रीजनल ट्रासपोर्ट ऑफिस के टौलफ्री नंबर पर संपर्क किया। वहां हमारी बात कस्टमर अधिकारी शोएब से हुई, जिन्होंने कहा कि वाहन की नंबर प्लेट पर गाड़ी के रजिस्ट्रेशन नंबर के अलावा कुछ भी लिखने की अनुमति नहीं होती। इसके चलते चालान किया जा सकता है।

अब बारी थी यह पता करने की कि अगर किसी की गाड़ी के पीछे इस तरह के जातिसूचक स्टीकर लगे हुए हैं तो क्या कार्रवाई हो सकती है। हमने इंटरनेट पर कीवर्ड्स की मदद से इस बारे में ढूंढना शुरू किया। हमें ऐसे कुछ न्यूज आर्टिकल्स मिले, जिसमें गाड़ियों पर जातिसूचक स्टीकर्स लगाने पर गाड़ी सीज करने की बात कही गई थी, यानी कि जो बात वायरल पोस्ट में कही जा रही है हूबहू वही बात।

इस पर स्पष्टीकरण लेने के लिए हमने रीजनल अथॉरिटीज को यह निर्देश देने वाले ट्रांसपोर्ट विभाग के एडिशनल कमिश्नर मुकेश चंद्र से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि यह बात सही है कि उत्तर प्रदेश में इस तरह की कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं, लेकिन इसमें गाड़ी सीज करने का प्रावधान नहीं है। ऐसे मामलों में मोटर व्हीकल एक्ट के तहत चालान किए जाते हैं। इस कार्रवाई के लिए कोई नया कानून नहीं बनाया गया है, बल्कि मोटर व्हीकल एक्ट के तहत पहले से मौजूद कानून के अनुसार ही कार्रवाई की जा रही है और इस कार्रवाई में कहीं भी गाड़ी सीज करने का प्रावधान नहीं है।

उनके नाम से एएनआई सहित कई मीडिया रिपोर्टस में चल रहे गाड़ी सीज वाले बयान के बारे में जब हमने मुकेश चंद्र से पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्हें मिसकोट किया गया है। उन्होंने जो ऑर्डर जारी किए हैं उसमें भी यही लिखा गया है कि नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाए। उन्होंने गाड़ी सीज करने की बात नहीं कही है।

मुकेश चंद्र ने जो ऑर्डर यूपी में सभी आरटीओ को भेजा है हमें उसकी काॅपी मिली। यहां पढ़ा जा सकता है कि इस काॅपी में महाराष्ट्र के हर्षल प्रभु के लिखे पत्र का कुछ हिस्सा भी शामिल किया गया है और नीचे नियमानुसार कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।

क्या कहता है मोटर व्हीकल एक्ट?

सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स में बताया गया है कि गाड़ी की नंबर प्लेट पर निर्धारित फाॅर्मेट के अलावा कुछ भी लिखे जाने की अनुमति नहीं है। इसका उल्लंघन करने पर मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 177 के तहत पहली बार उल्लंघन करने पर 500 रुपए और दूसरी बार करने पर 1500 रुपए का चालान काटने का प्रावधान है।

फेसबुक पर वायरल पोस्ट Sandeep Kumar Madhukar यूजर ने यह पोस्ट क्रांतिकारी अम्बेडकर विचारधारा नामक पेज पर साझा की थी। पेज की प्रोफाइल को स्कैन करने पर हमने पाया कि खबर लिखे जाने तक इस पेज को 190200 लोग फॉलो कर रहे थे।

निष्कर्ष: यह सही है कि उत्तर प्रदेश में गाड़ियों के पीछे जातिसूचक स्टीकर लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, लेकिन इस कार्रवाई में गाड़ी सीज करने का प्रावधान नहीं है। लिहाजा विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में वायरल पोस्ट को भ्रामक पाया।

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