X
X

Fact Check: भारतीय छात्र ने नहीं ढूंढा है कोविड—19 का इलाज, वायरल पोस्ट फर्जी

Disclaimer: विश्वास न्यूज की कोरोना वायरस (COVID-19) से जुड़ी फैक्ट चेक स्टोरी को पढ़ते या उसे शेयर करते वक्त आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिन आंकड़ों या रिसर्च संबंधी डेटा का इस्तेमाल किया गया है, वह परिवर्तनीय है। परिवर्तनीय इसलिए,क्योंकि इस महामारी से जुड़े आंकड़ें (संक्रमित और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या, इससे होने वाली मौतों की संख्या) में लगातार बदलाव हो रहा है। इसके साथ ही इस बीमारी का वैक्सीन खोजे जाने की दिशा में चल रहे रिसर्च के ठोस परिणाम आने बाकी हैं और इस वजह से इलाज और बचाव को लेकर उपलब्ध आंकड़ों में भी बदलाव हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि स्टोरी में इस्तेमाल किए गए डेटा को उसकी तारीख के संदर्भ में देखा जाए।

  • By: Urvashi Kapoor
  • Published: Jul 15, 2020 at 07:14 PM
  • Updated: Aug 6, 2020 at 07:20 PM

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसके जरिए दावा किया जा रहा है कि पांडिचेरी यूनिवर्सिटी के एक छात्र ने कोरोना वायरस से बचाव के लिए घरेलू नुस्खा तैयार किया है और इस उपचार को वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने भी स्वीकृति दे दी है। पोस्ट में आगे दावा किया गया है कि यह घरेलू नुस्खा एक चम्मच काली मिर्च और थोड़े-से अदरक के रस को दो चम्मच शहद में मिलाकर पांच दिन तक पीने से कोरोना का असर कम हो जाएगा।

विश्वास न्यूज ने पड़ताल में पाया कि वायरल हो रहा यह पोस्ट फर्जी है। पांडिचेरी यूनिवर्सिटी ने भी वायरल दावे को खारिज किया है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने भी अब तक कोरोना वायरस की ऐसी कोई दवाई या वैक्सीन को स्वीकृति नहीं दी है।

क्या हो रहा है वायरल?

फेसबुक पेज Aaina “The Mirror Of Democracy” ने यह पोस्ट साझा की है, जिसमें अंग्रेजी में लिखे गए टेक्स्ट का हिंदी अनुवाद है: आखिरकार पांडिचेरी यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले एक भारतीय छात्र रामू ने कोविड—19 का घरेलू उपचार ढूंढ निकाला है और इसे WHO ने स्वीकृति भी दे दी है। उसने यह साबित किया है कि दो चम्मच शहद में एक चम्मच काली मिर्च का पाउडर और थोड़ा-सा अदरक का रस मिला कर पांच दिन लगातार पीने से कोरोना वायरस का असर को 100 प्रतिशत खत्म किया जा सकता है। पूरे विश्व ने इस नुस्खे को मानना शुरू कर दिया है। आखिरकार 2020 में कोई अच्छी खबर सुनने को मिली!! यह मैसेज अपने परिवार व दोस्तों तक पहुंचाएं।

 पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखें।

पड़ताल

हमने वायरल हो रहे पोस्ट के साथ मौजूद कमेंट्स को पढ़ा। इसमें कई यूजर्स ने लिखा था कि यह फेक न्यूज है और दावे की पुष्टि करने वाला कोई सबूत मौजूद नहीं है। यूजर्स ने इस मैसेज का सोर्स भी पूछा है, लेकिन पेज एडमिन की ओर से इस पर कोई जवाब नहीं दिया गया।

विश्वास न्यूज ने वायरल दावे की पड़ताल की।

पोस्ट में दावा किया गया है कि यह दवा पांडिचेरी यूनिवर्सिटी के छात्र ने तैयार की है। हमने पांडिचेरी यूनिवर्सिटी के निदेशक, प्रोफेसर एस बालकृष्णन से संपर्क किया। उन्होंने इस दावे को सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा: पांडिचेरी यूनिवर्सिटी के नाम पर वायरल हो रही यह जानकारी सही नहीं है। हमारे किसी भी छात्र ने कोरोना वायरस का कोई उपचार तैयार नहीं किया है।

हमें ईमेल के जरिए पांडिचेरी यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर गुरमीत सिंह ने भी कहा कि वायरल हो रहा पोस्ट फर्जी है।

यह स्पष्ट हुआ कि पांडिचेरी यूनिवर्सिटी के किसी छात्र ने कोविड—19 का इलाज नहीं ढूंढा है।

वायरल मैसेज में आगे दावा किया गया है कि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने इस दवा को स्वीकृति दे दी है। WHO ने अपने Q & A page  पर इस सवाल का जवाब दिया है: क्या कोविड—19 की कोई दवाई या वैक्सीन मौजूद है? वेबसाइट पर मौजूद जवाब में लिखा गया है: कुछ पश्चिमी, पारम्परिक या घरेलू उपचार से कोरोना के मामूली लक्षणों में थोड़ा आराम मिल सकता है, लेकिन अब तक ऐसी केई दवा नहीं बन पाई है, जिससे पूरी तरह से कोरोना वायरस ठीक हो सके। डब्ल्यूएचओ कोरोना वायरस ठीक करने के लिए अपनी मर्जी से कोई दवा या एंटीबायोटिक लेने की सलाह नहीं देता। फिलहाल पारंपरिक और पश्चिमी दोनों ही तरह की दवाओं का क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है।

अगर कोरोना वायरस से निजात के लिए कोई दवा बनी होती, तो यह अब तक विश्वभर में सुर्खियों में होती।

वायरल पोस्ट में आगे दावा किया गया है कि काली मिर्च का पाउडर, अदरक का रस और शहद का पांच दिन सेवन करने से कोरोना वायरस ठीक हो जाएगा।

इस दावे की पड़ताल के लिए हमने आयुष मंत्रालय के डॉ. विमल एन से बात की। उन्होंने बताया: अदरक, शहद और काली मिर्च से खांसी में आराम मिल सकता है, लेकिन इससे कोरोना वायरस का इलाज हो सके, ऐसा कोई प्रमाण अब तक नहीं मिला है।

आयूष मंत्रालय ने अपनी एडवाइजरी  में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए कुछ सामग्री से बना काढ़ा पीने की सलाह दी है। मंत्रालय ने अपनी एडवाइजरी में यह स्पष्ट किया है कि यह काढ़ा कोरोना वायरस की दवा नहीं है, बल्कि केवल इम्यूनिटी बढ़ाने के काम आएगा।

यह पोस्ट फेसबुक पेज Aaina “The Mirror Of Democracy” पर साझा की गई है। इस फेसबुक पेज को स्कैन करने पर हमने पाया कि यह पेज 25 अक्टूबर 2019 को ही बनाया गया था और इसके 3652 फॉलोअर्स हैं।

निष्कर्ष: पांडिचेरी यूनिवर्सिटी के स्टूंडेंट ने कोविड—19 के इलाज के लिए दवा बनाई है, जिसे डब्ल्यूएचओ ने स्वीकृति दे दी है, ऐसा दावा करने वाला पोस्ट फर्जी है। पांडिचेरी यूनिवर्सिटी ने इस दावे को खारिज किया है। वहीं, डब्ल्यूएचओ ने भी अभी तक ऐसी कोई दवा की स्वीकृति नहीं दी है।

निष्कर्ष: Disclaimer: विश्वास न्यूज की कोरोना वायरस (COVID-19) से जुड़ी फैक्ट चेक स्टोरी को पढ़ते या उसे शेयर करते वक्त आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिन आंकड़ों या रिसर्च संबंधी डेटा का इस्तेमाल किया गया है, वह परिवर्तनीय है। परिवर्तनीय इसलिए,क्योंकि इस महामारी से जुड़े आंकड़ें (संक्रमित और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या, इससे होने वाली मौतों की संख्या) में लगातार बदलाव हो रहा है। इसके साथ ही इस बीमारी का वैक्सीन खोजे जाने की दिशा में चल रहे रिसर्च के ठोस परिणाम आने बाकी हैं और इस वजह से इलाज और बचाव को लेकर उपलब्ध आंकड़ों में भी बदलाव हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि स्टोरी में इस्तेमाल किए गए डेटा को उसकी तारीख के संदर्भ में देखा जाए।

  • Claim Review : पांडिचेरी यूनिवर्सिटी के एक छात्र ने कोविड—19 से निजात के लिए दवा बनाई है जिसे डब्ल्यूएचओ ने स्वीकृति दे दी है।
  • Claimed By : FB Page: Aaina
  • Fact Check : झूठ
झूठ
फेक न्यूज की प्रकृति को बताने वाला सिंबल
  • सच
  • भ्रामक
  • झूठ

पूरा सच जानें... किसी सूचना या अफवाह पर संदेह हो तो हमें बताएं

सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी मैसेज या अफवाह पर संदेह है जिसका असर समाज, देश और आप पर हो सकता है तो हमें बताएं। आप हमें नीचे दिए गए किसी भी माध्यम के जरिए जानकारी भेज सकते हैं...

टैग्स

अपनी प्रतिक्रिया दें

No more pages to load

संबंधित लेख

Next pageNext pageNext page

Post saved! You can read it later