Fact Check: मुरारी बापू की वायरल तस्वीर अजमेर शरीफ दरगाह की नहीं, कच्छ दरगाह की है

विश्वास न्यूज ने जांच में पाया की सोशल मीडिया पर वायरल मुरारी बापू की यह तस्वीर अजमेर शरीफ दरगाह की नहीं है। तस्वीर साल 2013 की कच्छ स्थित दरगाह की है, जिसे अब हाल का अजमेर शरीफ दरगाह का बताकर वायरल किया जा रहा है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। कथा वाचक मुरारी बापू की एक तस्‍वीर सोशल मीडिया पर वायरल की जा रही है। वायरल तस्‍वीर में कुछ लोगों को एक चादर पकड़े हुए और मुरारी बापू को उस चादर पर हाथ लगाते हुए देखा जा सकता है। यूजर्स इस तस्वीर को हालिया बताते हुए दावा कर रहे हैं कि मुरारी बापू अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर चढ़ाने पहुंचे हैं।

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्ट की जांच की। पड़ताल में दावा गलत साबित हुआ। तस्वीर हाल-फिलहाल की नहीं है। वायरल तस्वीर साल 2013 की है, जब मुरारी बापू कच्छ स्थित दरगाह गए थे। उसी तस्वीर को अब हालिया बताकर शेयर किया जा रहा है।

क्या है वायरल पोस्ट में

फेसबुक यूजर ‘Suresh Bhati‘ (आर्काइव लिंक) ने 2 अगस्त को फोटो शेयर करते हुए लिखा, “सूनी हो चुकी अजमेर शरीफ दरगाह पर पुनः रौनक लौट आने हेतु चादर चढ़ा कर मन्नत मांगने पहुंचे कथित संत मुरारी बापू। अब इनका क्या किया जाए ये आपको तय करना है।”

फेसबुक पर कई अन्य यूजर्स ने इस फोटो को समान दावे से शेयर किया है।

पड़ताल

वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने फोटो को गूगल रिवर्स इमेज से सर्च किया। हमें यह तस्वीर कई फेसबुक पेज पर साल 2013 में शेयर की हुई मिली। ‘Mundra city of joy’ (आर्काइव लिंक) नाम के फेसबुक पेज पर यह फोटो 31 दिसंबर 2013 को मिली। तस्वीर के साथ कैप्शन में लिखा गया था, “मुंद्रा में पीर हजरत शाह मुराद बुखारी की पवित्र दरगाह पर “चादर” चढ़ाते संत श्री मोरारी बापू…(मुंद्रा सिटी ऑफ जॉय की कवर फोटो)”

सर्च के दौरान हमें वायरल तस्वीर फेसबुक यूजर ‘Mustak Ali Sama’ के फेसबुक अकाउंट से भी 30 दिसंबर 2013 को शेयर की हुई मिली। सर्च के दौरान वायरल तस्वीर से मिलती-जुलती तस्वीरें ‘Fakirmamad Theba’ नाम के यूजर के फेसबुक अकाउंट पर मिली। तस्वीरों को दिसंबर 2013 को शेयर किया गया है। यहां भी इन तस्वीरों को मुंद्रा कच्छ स्थित मुराद बुखारी दरगाह शरीफ का बताया गया है। इससे यह साफ हो गया कि यह हाल-फिलहाल की नहीं है।

पहले भी ये तस्वीर समान दावे के साथ सोशल मीडिया पर वायरल की गई थी। उस समय हमने इसका फैक्ट चेक कर सच्चाई सामने रखी थी। हमने वायरल तस्वीर को लेकर ‘श्री चित्रकूट धाम’ से संपर्क किया था। उन्होंने बताया था की ‘वायरल फोटो 2013 की है, जब मुरारी बापू कच्छ के दरगाह में गए थे। इसका हाल-फिलहाल या अजमेर से कोई संबंध नहीं है। मुरारी बापू सर्व धर्म को मानने वाले हैं, इस वजह से सभी लोगों की मदद भी करते हैं।‘

इस बारे में अधिक जानकारी के लिए हमने जयपुर में दैनिक जागरण के ब्यूरो प्रभारी नरेंद्र शर्मा से संपर्क किया। उन्होंने वायरल दावे को गलत बताया है।

पड़ताल के अंत में हमने पुरानी तस्वीर को हाल का बताकर शेयर करने वाले फेसबुक यूजर की प्रोफाइल को स्कैन किया। इसके मुताबिक, यूजर के फेसबुक पर करीब 5 हजार फ्रेंड्स हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने जांच में पाया की सोशल मीडिया पर वायरल मुरारी बापू की यह तस्वीर अजमेर शरीफ दरगाह की नहीं है। तस्वीर साल 2013 की कच्छ स्थित दरगाह की है, जिसे अब हाल का अजमेर शरीफ दरगाह का बताकर वायरल किया जा रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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