Fact Check : वायरल तस्वीर प्रयागराज के नाग वासुकी मंदिर की नहीं है, फर्जी दावा वायरल

विश्‍वास न्‍यूज की जांच में प्रयागराज के नाग वासुकी मंदिर को लेकर वायरल हो रहा दावा गलत निकला। वायरल तस्वीर प्रयागराज के नाग वासुकी मंदिर की नहीं है, बल्कि कर्नाटक के उत्सव रॉक गार्डन में एक आर्टिस्टिक बनियान ट्री की है। जिसे गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।

Fact Check : वायरल तस्वीर प्रयागराज के नाग वासुकी मंदिर की नहीं है, फर्जी दावा वायरल

नई दिल्‍ली (विश्वास न्यूज़ )। सोशल मीडिया में एक तस्‍वीर वायरल हो रही है, जिसे शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह तस्‍वीर प्रयाग के नाग वासुकी मंदिर की है और तस्वीर में नज़र आ रही यह मूर्ति एक ही पत्थर को काटकर बनाई गई है। विश्‍वास न्‍यूज ने जांच में वायरल दावे को फर्जी पाया। वायरल तस्वीर प्रयागराज के नाग वासुकी मंदिर की नहीं है, बल्कि कर्नाटक के उत्सव रॉक गार्डन के एक आर्टिस्टिक बनियान ट्री की है, जिसे गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक पेज “राष्ट्र धर्म ” ने 3 नवंबर को इस तस्वीर को शेयर किया है और लिखा है ,”
अद्भुत
*यह मूर्ति एक ही पत्थर को काटकर बनाई गई है। कैसे बनाई, यह भगवान जाने, या बनाने वाला!
नाग वासुकि मन्दिर, प्रयाग
क्या लग रहा है बरगद का पेड़?
 जी नहीं!
“ये नक्काशी पत्थर पर की गयी है।”
सनातन धर्म मे ऐसी-ऐसी चीजें हैं जिसे देखकर वैज्ञानिक आज भी अपना सर पीटते हैं लेकिन समझ नही पाते कि ये बना कैसे होगा?

सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स इस तस्वीर को मिलते-जुलते दावों के साथ वायरल कर रहे हैं।

वायरल पोस्‍ट का आकाईव वर्जन यहां देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे पहले वायरल तस्‍वीर को गूगल रिवर्स इमेज में अपलोड करके सर्च किया। हमें यह तस्‍वीर एक वेबसाइट पर मिली। फोटो को लेकर कैप्‍शन में बताया गया कि तस्‍वीर कर्नाटक के उत्सव रॉक गार्डन की है। ओरिजनल तस्‍वीर को आप यहां देख सकते हैं।

यहां से हमने अपनी पड़ताल को आगे बढ़ाया और कर्नाटक के उत्‍सव रॉक गार्डन के बारे में सर्च किया। इस दौरान हम utsavrock.com/ की वेबसाइट पर पहुंचे। यहां गैलरी में हमें वैसी ही तस्‍वीर मिली, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इसमें बताया गया कि यह ARTISTIC BANYAN TREE है। वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, ‘कलाकार ने प्रकृति मां को पेड़ की शाखाओं और जड़ों के पीछे छिपे अपने बच्चों के साथ प्रस्तुत किया है। पेड़ पर कई जीव होते हैं। जैसे- पक्षी, सांप और बंदर, जो सभी प्रकृति में खुश हैं। यहां बरगद के पेड़ की जड़ों की तुलना ज्ञान से की गई है। बरगद के पेड़ की शाखाओं और जड़ों की तरह, कला भी पृथ्वी पर फैलती है और यह परिवेश में खुशी पैदा करती है।”

हमने गूगल पर प्रयागराज के नाग वासुकी मंदिर के बारे में सर्च किया। हमें इस तस्वीर से जुड़ी कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई। पहले भी यह तस्वीर समान दावे के साथ सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है जिसकी जांच विश्वास न्यूज़ ने की थी। आप हमारी पहले की पड़ताल को यहां पढ़ सकते हैं।

वायरल दावे को लेकर हमने सचिव प्रयागराज सेवा समिति तीर्थराज पांडेय से सम्पर्क किया। उन्होंने हमें बताया, ‘प्रयागराज के दारागंज मोहल्ले में नाग वासुकी का प्राचीन मंदिर है, लेकिन उसमें ऐसी मूर्ति नहीं है। उसमें सिर्फ वासुकी नाग की एक मूर्ति है। वायरल दावा गलत है।

दावे को लेकर पं. राजेंद्र पालीवाल, अध्यक्ष प्रयाग धर्मसंघ ने भी वायरल दावे को गलत बताया और पुष्टि की कि चित्र में दिखाई गई आकृति की कोई मूर्ति नागवासुकी मंदिर में नहीं है। मंदिर में प्रमुख मूर्ति वासुकी नाग की है। ऐसी मूर्ति मंदिर परिसर व प्रयागराज में कहीं भी नहीं है।

नाग वासुकी मंदिर के मुख्य पुजारी व व्यवस्थापक पं. श्यामधर त्रिपाठी से भी हमने दावे को लेकर संपर्क किया। उन्होंने भी वायरल दावे को गलत बताया है। उन्होंने बताया कि चित्र में दिखाई गई आकृति की कोई मूर्ति नागवासुकी मंदिर में नहीं है।

पड़ताल के अंत में हमने फर्जी पोस्‍ट करने वाले पेज की जांच की। जांच में पता चला कि फेसबुक पर इस पेज के 19k फॉलोअर्स हैं। इस पेज को 13 जनवरी 2021 को बनाया गया था।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की जांच में प्रयागराज के नाग वासुकी मंदिर को लेकर वायरल हो रहा दावा गलत निकला। वायरल तस्वीर प्रयागराज के नाग वासुकी मंदिर की नहीं है, बल्कि कर्नाटक के उत्सव रॉक गार्डन में एक आर्टिस्टिक बनियान ट्री की है। जिसे गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।

False
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