Fact Check: यह तस्वीर भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के अंतिम संस्कार की नहीं, अन्य घटना की है

भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के अंतिम संस्कार के नाम से शेयर की जा रही तस्वीर असल में किसी अन्य घटना की है। तस्वीर 1978 में सिखों और निरंकारियों के बीच हुई झड़प के बाद मृत सिखों के अंतिम संस्कार की है। तस्वीर को गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव से जोड़कर एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। पोस्‍ट में एक ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर है, जिसे शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह तस्वीर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के अंतिम संस्कार की है।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत साबित हुआ। वायरल तस्वीर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के अंतिम संस्कार की नहीं है। ये तस्वीर 1978 में अमृतसर में हुई एक घटना की है। तस्वीर को गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।

क्‍या हो रहा है वायरल?

फेसबुक यूजर Shyam Sunder Bhatt ने 23 मार्च को एक तस्वीर शेयर करते हुए दावा किया : “अमर शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के अंतिम संस्कार का  क्षण।”

वायरल तस्वीर में लिखा था : “हो सके तो इस तस्वीर को हर देश वासी तक पहुँचाने की कोशिश कीजियेगा…….ये तस्वीर “शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जी के अंतिम संस्कार की है। “

फैक्ट चेक के उद्देश्य से पोस्ट में लिखी गई बातों को यहां ज्यों का त्यों पेश किया गया है। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर यह तस्वीर हर साल शहीद दिवस के समय वायरल किया जाता है।

पड़ताल

सोशल मीडिया पर ये तस्वीर पहले भी समान दावे के साथ सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है। तब विश्वास न्यूज ने इसकी पड़ताल करके सच्चाई सामने रखी थी। आप हमारी पहले की स्टोरी को यहां पढ़ सकते हैं।

वास्तव में वायरल तस्वीर 1978 में बैसाखी के दिन हुई एक घटना की तस्वीर है,जिसमें 13 सिखों की मौत हो गयी थी। ‘आल अबाउट सिख’ की वेबसाइट पर प्रकाशित आर्टिकल में इस घटना से जुड़ी कई तस्वीरों को देखा जा सकता है। यहां बताया गया है, “इस खूनी नरसंहार में 13 सिख शहीद हुए थे और 70 से अधिक घायल हुए थे। 13 सिखोंका अंतिम संस्कार शनिवार 15/4/78 को गुरुद्वारा सिरी रामसर साहिब के सामने लगभग 25-30,000 लोगों की एक बड़ी सभा के सामने हुआ। सभी शहीद गुरु सिखों का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया।’

‘आल अबाउट सिख’ पर प्रकाशित आर्टिकल में ‘कुर्बानी’ नाम की एक किताब का जिक्र किया गया था। इसलिए हमने गूगल पर इस किताब के बारे में सर्च किया। किताब में इस घटना के बारे में बताया गया है। यहां भी हमें वायरल तस्वीर के साथ -साथ कई और तस्वीरें मिली।

हमने शहीद भगत सिंह की छोटी बहन अमर कौर के बेटे प्रोफेसर जगमोहन सिंह से संपर्क किया है। उन्होंने बताया, “सोशल मीडिया पर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के अंतिम संस्कार के नाम पर वायरल हो रही तस्वीर झूठी है। पहले भी ये तस्वीर कई बार वायरल हो चुकी है।”

पड़ताल के आने में हमने इस पोस्ट को शेयर करने वाले यूजर की सोशल स्कैनिंग की। जांच में पता चला कि यूजर मध्य प्रदेश खाचरोद का रहने वाला है। यूजर को फेसबुक पर 160 लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के अंतिम संस्कार के नाम से शेयर की जा रही तस्वीर असल में किसी अन्य घटना की है। तस्वीर 1978 में सिखों और निरंकारियों के बीच हुई झड़प के बाद मृत सिखों के अंतिम संस्कार की है। तस्वीर को गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।

False
Symbols that define nature of fake news
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