विश्वास न्यूज ने चिता पर रखे पति-पत्नी के शवों की फोटो को लेकर वायरल दावे की जांच की और पाया कि वायरल पोस्ट में किया जा रहा दावा गलत है। वायरल हो रही तस्वीर असल में लखनऊ में हुई घटना की नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के मुरैना की है और साल 2018 की है। साल 2018 में एक बुजुर्ग पति-पत्नी की चिता एक साथ जली थी। यह तस्वीर पहले भी इसी तरह के मनगढ़ंत दावे के साथ वायरल हो चुकी है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है। तस्वीर में एक बुजुर्ग दंपती का शव चिता पर रखा हुआ है। इस फोटो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि लखनऊ में एक रिटायर्ड कर्नल की पत्नी की मृत्यु हो गई थी, लेकिन इनके बच्चे नहीं आए, जिसकी वजह से दुखी होकर इन्होंने भी आत्महत्या कर ली। इस घटना के बाद रिटायर्ड कर्नल और उनकी पत्नी की चिता एक साथ जली।
विश्वास न्यूज ने दावे की जांच की और पाया कि वायरल पोस्ट में किया जा रहा दावा गलत है। वायरल हो रही तस्वीर असल में लखनऊ में हुई घटना की नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के मुरैना की है और साल 2018 की है। साल 2018 में में एक बुजुर्ग पति-पत्नी की चिता एक साथ जली थी। यह तस्वीर पहले भी इसी तरह के मनगढ़ंत दावे के साथ वायरल हो चुकी है।
फेसबुक यूजर ‘विष्णु तिवारी’ ने 16 सितंबर 2023 को वायरल तस्वीर को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, “लखनऊ के एक उच्चवर्गीय बूढ़े पिता ने अपने पुत्रों के नाम एक चिट्ठी लिखकर खुद को गोली मार ली। चिट्टी क्यों लिखी और क्या लिखा। यह जानने से पहले संक्षेप में चिट्टी लिखने की पृष्ठभूमि जान लेना जरूरी है। पिता सेना में कर्नल के पद से रिटार्यड हुए । वे लखनऊ के एक पॉश कॉलोनी में अपनी पत्नी के साथ रहते थे। उनके दो बेटे थे। जो सुदूर अमेरिका में रहते थे। यहां यह बताने की जरूरत नहीं है कि माता-पिता ने अपने लाड़लों को पालने में कोई कोर कसर नहीं रखी। बच्चे सफलता की सीढ़िंया चढते गए। पढ़-लिखकर इतने योग्य हो गए कि दुनिया की सबसे नामी-गिरामी कार्पोरेट कंपनी में उनको नौकरी मिल गई। संयोग से दोनों भाई एक ही देश में,लेकिन अलग-अलग अपने परिवार के साथ रहते थे। एक दिन अचानक पिता ने रूंआसे गले से बेटों को खबर दी। बेटे! तुम्हारी मां अब इस दुनिया में नहीं रही । पिता अपनी पत्नी की मिट्टी के साथ बेटों के आने का इंतजार करते रहे। एक दिन बाद छोटा बेटा आया, जिसका घर का नाम चिंटू था। पिता ने पूछा चिंटू! मुन्ना क्यों नहीं आया। मुन्ना यानी बड़ा बेटा।पिता ने कहा कि उसे फोन मिला, पहली उडान से आये। धर्मानुसार बडे बेटे का आना सोच वृद्व फौजी ने जिद सी पकड़ ली। छोटे बेटे के मुंह से एक सच निकल पड़ा। उसने पिता से कहा कि मुन्ना भईया ने कहा कि, “मां की मौत में तुम चले जाओ। पिता जी मरेंगे, तो मैं चला जाऊंगा।” कर्नल साहब (पिता) कमरे के अंदर गए। खुद को कई बार संभाला फिर उन्होंने चंद पंक्तियो का एक पत्र लिखा। जो इस प्रकार था- प्रिय बेटो ..मैंने और तुम्हारी मां ने बहुत सारे अरमानों के साथ तुम लोगों को पाला-पोसा। दुनिया के सारे सुख दिए। देश-दुनिया के बेहतरीन जगहों पर शिक्षा दी। जब तुम्हारी मां अंतिम सांस ले रही थी, तो मैं उसके पास था।वह मरते समय तुम दोनों का चेहरा एक बार देखना चाहती थी और तुम दोनों को बाहों में भर कर चूमना चाहती थी। तुम लोग उसके लिए वही मासूम मुन्ना और चिंटू थे। उसकी मौत के बात उसकी लाश के पास तुम लोगों का इंतजार करने लिए मैं था। मेरा मन कर रहा था कि काश तुम लोग मुझे ढांढस बधाने के लिए मेरे पास होते। मेरी मौत के बाद मेरी लाश के पास तुम लोगों का इंतजार करने के लिए कोई नहीं होगा। सबसे बड़ी बात यह कि मैं नहीं चाहता कि मेरी लाश निपटाने के लिए तुम्हारे बड़े भाई को आना पड़े। इसलिए सबसे अच्छा यह है कि अपनी मां के साथ मुझे भी निपटाकर ही जाओ। मुझे जीने का कोई हक नहीं क्योंकि जिस समाज ने मुझे जीवन भर धन के साथ सम्मान भी दिया, मैंने समाज को असभ्य नागरिक दिये। हाँ अच्छा रहा कि हम अमरीका जाकर नहीं बसे, सच्चाई दब जाती। मेरी अंतिम इच्छा है कि मेरे मैडल तथा फोटो बटालियन को लौटाए जाए तथा घर का पैसा नौकरों में बाटा जाऐ। जमापूँजी आधी वृद्ध सेवा केन्द्र में तथा आधी सैनिक कल्याण में दी जाऐ। -तुम्हारा पिता।”
पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।
वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल रिवर्स इमेज की मदद से सर्च किया। हमें फेसबुक यूजर ‘हिन्दुस्तान मेरी जान‘ की प्रोफाइल पर भी यह फोटो मिली। इसे 3 सितंबर 2018 को अपलोड किया गया है। कैप्शन में बताया गया है, “पोरसा के पंडित जी का निधन कल शाम को हो गया था, आज सुबह जब उनके अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा था तो उनकी धर्मपत्नी ने भी पति वियोग मैं प्राण त्याग दिये।। ऐसी सती सावित्री माता दिव्यात्मा पण्डित जी को कोटि कोटि नमन।”
प्राप्त जानकारी के आधार पर हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स से सर्च करना शुरू किया। हमें दावे से जुड़ी एक रिपोर्ट दिव्य मराठी की वेबसाइट पर मिली। रिपोर्ट को 5 साल पहले प्रकाशित किया गया है। रिपोर्ट में बुजुर्ग दंपती की दूसरे एंगल से ली गई तस्वीर मौजूद है। रिपोर्ट में मौजूद जानकारी के मुताबिक, “पति का नाम छोटेलाल शर्मा और पत्नी का नाम गंगादेवी था। दोनों की शादी 70 साल पहले हुई थी। छोटेलाल की मौत की खबर जब गंगादेवी को दी गई तो वह बेहोश हो गईं। बाद में उन्होंने प्राण त्याग दिए। दोनों का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया है। मतलब इस फोटो का लखनऊ से कोई संबंध नहीं है।”
अन्य न्यूज रिपोर्ट को यहां पर पढ़ें।
अधिक जानकारी के लिए हमने नईदुनिया के मुरैना के रिपोर्टर हरिओम से संपर्क किया। हमने वायरल दावे को उनके साथ शेयर किया। उन्होंने हमें बताया, ‘वायरल हो रही तस्वीर हाल-फिलहाल की नहीं, बल्कि 23 अक्टूबर 2018 की है। दरअसल, ये मुरैना के पोरसा में रहने वाले दंपती थे। पहले पति की मौत हुई थी, उसके बाद पत्नी का निधन हुआ था।
पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने लखनऊ में रिटायर्ड कर्नल वाले दावे के बारे में सर्च करना शुरू किया। हमने गूगल की मदद से कई कीवर्ड्स से सर्च किया। लेकिन हमें दावे से जुड़ी कोई न्यूज़ रिपोर्ट नहीं मिली। फिर हमने दैनिक जागरण के लखनऊ के ब्यूरो चीफ अजय श्रीवास्तव से संपर्क किया। इस घटना को लेकर उनका कहना है, ‘हाल-फिलहाल में ऐसी कोई घटना नजर में नहीं आई है।‘
विश्वास न्यूज ने पहले भी इस दावे की पड़ताल की है। पूरी रिपोर्ट को आप यहां पर पढ़ सकते हैं।
अंत में हमने पोस्ट को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। यूजर के करीब 5 हजार मित्र और 550 फॉलोअर्स हैं। प्रोफाइल पर मौजूद जानकारी के अनुसार, यूजर जयपुर का रहने वाला है।
निष्कर्ष : विश्वास न्यूज ने चिता पर रखे पति-पत्नी के शवों की फोटो को लेकर वायरल दावे की जांच की और पाया कि वायरल पोस्ट में किया जा रहा दावा गलत है। वायरल हो रही तस्वीर असल में लखनऊ में हुई घटना की नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के मुरैना की है और साल 2018 की है। साल 2018 में एक बुजुर्ग पति-पत्नी की चिता एक साथ जली थी। यह तस्वीर पहले भी इसी तरह के मनगढ़ंत दावे के साथ वायरल हो चुकी है।
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